स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने जारी की गाइडलाइन, वैज्ञानिकों ने कहा- तीसरी लहर अवश्य आयेगी
– बच्चों को रेेमडेसिविर इंजेक्शन नहीं लगवायें
– छोटे बच्चों को स्टेरायड दवाओं से बचायें
– एचआर-सीटी स्केन से उपचार में मदद नहीं
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में संक्रमण की तीसरी लहर अवश्य आएगी। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों पर देखने को मिल सकता है। ऐसे में, संभावित तीसरी लहर में बच्चों के महामारी की चपेट में आने की आशंकाओं के बीच स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) ने बच्चों के इलाज के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
गाइडलाइन में बताया गया है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में मास्क नहीं लगाने एवं बच्चों में सीटी स्केन का तर्कसंगत उपयोग करने की हिदायत दी गई है। दिशानिर्देश के अनुसार बच्चों के इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल नहीं करें। साथ ही, DGHS ने बच्चों में एसिंप्टोमेटिक यानी कोई लक्षण नहीं होने या मध्यम लक्षण होने पर स्टेरॉयड दवाओं का उपयोग नहीं करें क्योंकि बच्चों में स्टेरॉयड का प्रयोग बेहद हानिकारक हो सकता है।
6 मिनट घूमकर ऑक्सीजन लेवल जांच लें
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने अभिभावकों को सलाह दी कि वे 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों का अपने घर में 6 मिनट तक घूमने वाला परीक्षण करते रहें। इसके बाद ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल का समय पर पता लगाएं। ऑक्सीजन लेवल 94 या उससे अधिक सामान्य श्रेणी में आता है।
कोरोना संक्रमण के हल्के लक्षण वाले मरीज 10 मिग्रा की पैरासिटामोल हर 4 से 6 घंटे के अंतराल पर ले सकते हैं। पीने के लिए गर्म पानी और नियमित गरारे करने की आदत बना लें।
एचआर-सीटी स्केन ज्यादा नहीं करवाएं
डीजीएचएस ने हाई रेजोल्यूशन सीटी (HR-CT) स्केन का तर्कसंगत उपयोग करने की सलाह दी है। क्योंकि स्केन से कोरोना उपचार में बहुत कम मदद मिलती है। ऐसे में, इसे रोेकना होगा। DGHS ने कोविड-19 को वायरल संक्रमण बताते हुए कहा कि बच्चों, वयस्कों, सभी को मास्क लगाने, हाथ धोने, सामाजिक दूरी जैसे सस्ते-सुलभ उपचार पर अमल करना होगा। (इंडिया सांइस वायर)