Friday, 19 April, 2024

‘हम महाराणा प्रताप के वंशज बगैर मेहनत कुछ नहीं लेते’

भीलवाड़ा में गाडिया लुहार बंधुओं ने 51000 रू एकत्रित कर कच्ची बस्ती में भोजन सामग्री बांटी, संघ कार्यकर्ताओं के सामने यह अतुलनीय मिसाल प्रस्तुत की।
न्यूजवेव @ भीलवाड़ा
भीलवाड़ा में बुधवार को एक लुहार बस्ती के मेहनतकश लोगों ने संकट में दूसरों की सेवा करने का अनूठा इतिहास रच दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता जब लुहारांे की सेवा बस्ती में सूखी सामग्री बांटने गए तब इन गाड़िया लुहारों ने वह सामग्री लेने से मना कर दिया और कहा कि अभी इसकी आवश्यकता दिहाड़ी मजदूरों को ज्यादा है। ’हम वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज है बगैर मेहनत के हम कुछ भी प्राप्त नहीं करत हैं।

एक बुजुर्ग लुहार प्रमुख ने बताया कि 1576 में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने संकट के समय यह प्रतिज्ञा की थी कि जब तक मेवाड़ की धरती स्वतंत्र नहीं हो जाती तब तक मैं महलों में नहीं रहूंगा, बर्तनों में नहीं खाऊंगा और पलंग पर नहीं सोऊंगा।’ जब से आज तक हमारी जाति के लोग इस प्रतिज्ञा का पालन करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि 6 अप्रैल 1955 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने प्रतिज्ञा मुक्ति कार्यक्रम चित्तौड़ की पावन धरा पर किया, लेकिन तब भी हमने निश्चय किया था कि हम जब तक मेवाड़ स्वतंत्र नहीं हो जाता हम इसका निर्वहन करेंगे। उस संकट के समय में भी हम देश के साथ खड़े थे।

हम राशि एकत्र कर पीड़ित जनों को राशन पहुंचाएंगे

आज फिर देश पर संकट आया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे हाथ जोडकर अपील की है कि हमारे आसपास कोई भूखा नहीं रहे, कोई भी भूखा ना सोए। उसकी चिंता हमें भी करनी है इसीलिये हम राशि एकत्रित करके पीड़ित दुखी जनों को राशन सामग्री पहुंचाएंगे। यह बात उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं को बतायी और कहा कि हमें राशन सामग्री उपलब्ध कराइए हम आपको उसकी राशि देंगे। इस प्रकार उन्होंने 51000 रूपए एकत्र करके दिए। जिससे 200 सूखी सामग्री के भोजन पैकेट बनाकर देने का निश्चय किया। गाड़िया लुहार बस्ती में पूज्य महामंडलेश्वर हंसराम उदासीन ने उनका शाल और माला पहनकर अभिनन्दन किया तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक चांदमल सोमानी ने उन्हें श्रीनाथजी का ऊपरना पहना कर स्वागत किया।
’माई एहड़ा पूत जण, जेड़ा राणा प्रताप’
पूज्य महामंडलेश्वर ने कहा कि मेवाड़ की धरा पर आज फिर से मानव सेवा का इतिहास रचा गया है तभी तो कहावत है, ’माई एहड़ा पूत जण, जेड़ा राणा प्रताप’। कार्यक्रम में गाड़िया लुहार समाज से कालू लुहार, सोहन, राजू लाल, भंवरलाल, कब्ब लुहार, गोपीलाल, दल्ला बा सहित समाज के प्रमुख लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम चल रहा था उसी समय एक दिव्यांग दृष्टिहीन मां दोऊ बाई जिनके दोनों आंखों में रोशनी नहीं थी वह आई और बोली कि हमारे देश में अभी संकट आया है। ऐसे में हमें सबकी मदद करनी चाहिए। हमने कुछ नहीं किया यह सब एकलिंगनाथ ने करवाया है। बाद में गाड़िया लुहार समाज के साथ यह सामग्री शहर की विभिन्न कच्ची बस्तियों में वितरण की गई। यह छोटा सा कार्यक्रम दुनिया के लिए एक अनुकरणीय मिसाल बन गया। हम सब जरूरतमंदों की मदद के लिये आगे आये तो भारत में कोई भी भूखा नहीं सोएगा। ईश्वर हमारी भी अग्निपरीक्षा ले रहा है।

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