हाड़ौती में देसी जर्दे का चलन होने से कई बच्चे आंख में चूना जाने के कारण रोशनी खो देते हैं। सरकार चूने की ट्यूब पर चेतावनी लिखने का नियम बनाएं
न्यूजवेव @ कोटा
चूना या एडिबल कैल्शियम हाइड्रोक्साइड आँख में जाने से आँखों को गंभीर क्षति पहुँच सकती है। हाल ही में हाडौती के तीन बच्चे चूना ट्यूब से आंख में चूना चला जाने के कारण अपनी रोशनी गंवा बैठे हैं। संभाग में इस देसी तम्बाकू की खुराक का चलन ज्यादा होने से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जो बेहद खतरनाक है। नेत्र विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को तम्बाकू के साथ चूने की टयूब पर भी चेतावनी अंकित करना अनिवार्य कर देना चाहिये।
सुवि नेत्र चिकित्सालय के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.सुरेश पांडेय ने बताया कि छोटे बच्चे घरों में प्लास्टिक की चूना ट्यूब को खिलौना समझकर उसे दबाते है जिसस चूने के छींटे आंखों में चले जाते है। चूने का यह पेस्ट आंखों की पलक के अंदरूनी हिस्से (सुपीरियर फॉर्निक्स) तक पहुंच जाता है। चूना अल्कली केमिकल आई इंजरी कर आंख के कंजक्टिाइवा, कॉर्निया, लिंबल स्टीम कोशिकाओं को गंभीर रूप से क्षति पहुंचा सकता है, जिससे आँख का कोर्निया धुंधला हो जाता हैै या गल जाता है। इससे व्यक्ति अंधा भी हो सकता है। अधिकांश रोगियों में अस्पताल पहुंचने से पहले ही आंख को काफी नुकसान हो जाता है।
गंभीर है अल्काली आई इंजरी
वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.विदुषी पांडेय ने बताया कि चूने की पानी में घुलनशीलता कम होने से पानी से आंख धोने कर भी चूना बाहर नहीं निकलता है। चूना जाने के बाद बच्चे अपनी आंखों में दर्द होने के कारण पलकों को जोर से बन्द कर लेतें है। ऐसी स्थिति में दर्द को कम करने एवम् चूने का पेस्ट निकालने के लिए ऑपरेशन थियेटर में बेहोश करके आंखों को अच्छी तरह से खोलकर करके चूने का पेस्ट निकला जाता है। पलकों को डबल इवर्ट करके जमे हुए चूने के पेस्ट को पलकों के अंदर वाले हिस्से से निकला जाता है।
आँख में चूना जाने पर यह करें
नेत्र विशेषज्ञों के अनुसार, आंख में चूना जाने पर आंख को साफ पानी से बार बार धोये। तुरंत नजदीकी नेत्र चिकित्सक से परामर्श लेकर आंख में जमे चूने को ऑपरेशन थियेटर में बेहोश कर निकालना बहुत जरूरी है। क्यांेकि इससे आंख छोटी होकर चेहरे की कुरूप बना सकती है। गंभीर रोगियों में कॉर्निया का धुंधलापन दूर करने के लिए एम्नियोटिक मेम्ब्रेन ग्राफ्ट एवं लिम्बल स्टमेसेल प्रत्यारोपण नामक आपरेशन आवश्यक है।
बच्चों की रोशनी अभिभावकों के लिये सबक
पिछले दिनों चूने की ट्यूब के ढ़क्कन खुल जाने से 3 बच्चों की आंखों का उपचार सुवि नेत्र चिकित्सालय में किया गया। इनमें लबान (लाखेरी) की 9 वर्षीय चन्द्रकला मीणा की बायीं आंख चूने के ट्यूब के ढक्कन से क्षतिग्रस्त हुई। सर्जन डॉ सुरेश व डॉ.विदुषी पांडेय ने उसकी बायीं आंख में से चूना निकाला।
अटरू की 8 वर्षीय रामकैलाश गुुर्जर की दाहिनी आंख में चूना चला जाने से उसकी रोशनी कम हो गई। पिता ने इससे चूने की ट्यूब मंगवाई थी, जिसे उसने खोलकर देखा तो चूना आंख में चला गया। सुवि अस्पताल में उसका सिम्बलेफेरोन रिलीज ऑपरेशन किया गया। इसके बावजूद उसकी रोशनी में सुधार नहीं हो पाया।
बूंदी जिले के बंधन गांव में 10 साल के मदन अहीर की आंख में अचानक चूना जाने से उसे देखने में परेशानी होने लगी। जांच के बाद दाहिनी आंख में म्यूनिओटिक मेम्ब्रेन लगाया गया लेकिन 8 माह तक उपचार के बाद भी दाहिनी आंख की रोशनी में सुधार नहीं हो पाया।