गेट वे आॅफ सक्सेस
कोटा। ‘सबसे बड़ा काम करने के लिए आपको बड़े खिताब की जरूरत नहीं। इसलिए एक राॅक स्टार की तरह समर्पित होकर काम करते रहो। जिंदगी में क्षमता और लगन से प्रदर्शन करने वाले हर दिन सिर्फ एक छोटा कदम उठाते हैं, लेकिन वे आगे जाकर अपने मिशन में जरूर सफल होते हैं।’ कुछ ऐसी ही प्रेरक कहानी है ‘केपिटल आॅफ कोचिंग’ कोटा की।
35 वर्ष पहले शहर के एक घर में डायनिंग टेबल पर कुछ बच्चों को टयूशन पढ़ाने वाले शिक्षक वी के बंसल ने देश में सर्वाधिक 20 हजार से अधिक विद्यार्थियों को आईआईटी में दाखिला दिलाने का कीर्तिमान रचा।
मनोरंजन के सुपरस्टार ओप्रा विंप्रे कहते हैं, विजय की क्षमता आपमें हमेशा होनी चाहिए। इसी क्षमता की बदौलत उनके पढ़ाए हुए हजारों मेधावी स्टूडेंट आज इंजीनियर एवं आईआईटीयन बनकर आईएएस, सीईओ, सीआईओ, कंपनी हेड जैसे उच्च पदों पर देश-दुनिया की नामी कंपनियों में सेवाएं दे रहे हैं। स्टूडेंटस के साथ फैकल्टी की निरंतर कड़ी मेहनत से संस्थान के 25 से 30 प्रतिशत कोचिंग स्टूडेंटस प्रतिवर्ष 23 आईआईटी में पहुच रहे हैं। केरल से कश्मीर के स्टूडेंट आईआईटी के अतिरिक्त एनआईटी, त्रिपल आईटी, बिट्स पिलानी सहित प्रमुख उच्च तकनीकी संस्थानों में बीटेक करने के बाद एमआईटी, स्टेनफोर्ड तथा आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री ले रहे है।
चुनौतियों के बीच मिली बड़ी सफलता
12 लाख की आबादी वाले कोटा में इकोनाॅमिक ग्रोथ केवल कोचिंग इंडस्ट्री से हो रही है। 1983 से 85 के बीच जेके इंडस्ट्री धीरे-धीरे बंद होने से यहां हजारों परिवार आर्थिक संकट से जूझते रहे। आर्थिक गिरावट के इस दौर में जेके सिंथेटिक्स प्रा.लि. में इंजीनियर श्री वीके बंसल ने शारीरिक व्याधि को चुनौती के रूप में स्वीकार किया। 1983 में अपने घर की डायनिंग टेबल पर कुछ बच्चों को निशुल्क ट्यूशन पढाकर उन्हे इंजीनियर बनाने का संकल्प किया।
हर एट्रेंस टेस्ट की आॅल इंडिया मेरिट में सफलता का ग्राफ तेजी से बढ़ता रहा। कोचिंग संस्थानों में प्रारंभ से देश की उच्च शिक्षित फैकल्टी टीम रही जिसमें आईआईटी या एनआईटी से बीटेक, एमटेक, पीएचडी या डाॅक्टर शामिल हैं। देश के सैकड़ों होनहार गरीब बच्चे यहां से आर्थिक व शैक्षणिक मदद पाकर आईआईटी, एनआईटी या एम्स के सपने सच कर रहे हैं। यह एक बड़ा सामाजिक बदलाव है।
आंकड़ों पर गौर करें तो क्लासरूम कोचिंग ने इनोवेशन कर देश के लिए सर्वाधिक भावी इंजीनियर और आईआईटीयन तैयार करने की आधारशिला रखी। विगत 35 वर्षों में कोचिंग संस्थानों से सर्वाधिक स्टूडेंट्स देश की 23 आईआईटी से बीटेक, एमटेक या पीएचडी करने में सफल रहे।
हजारों लोगों को मिला रोजगार
शहर को विकास के हाईवे पर ले जाने वाले कोचिंग संस्थानों ने अनुकूल शैक्षणिक वातावरण के अवसर पैदा किए। आज शहर की 25 से अधिक काॅलोनियों में हजारों लोगों को कोचिंग से रोजगार मिल रहा है। 3000 रेजीडेंशियल हाॅस्टल, 2500 मैस व टिफिन सेंटर्स, बड़ी संख्या में फूड रेस्तरां, जूस सेंटर्स, फल व सब्जी विक्रेता, स्टेशनरी, मोबाइल, प्रोविजन स्टोर, इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्राॅनिक्स शाॅप, रेडीमेड गारमेंट्स, फर्नीचर, साइकिल, क्राॅकरी, मटके, रजाई, चादर,, आॅटोरिक्शा, बस या ट्रांसपोर्ट जैसी सेवाओं का कारोबार तेजी से विस्तार ले रहा है।