सबसे अलग: वायब्रेंट एकेडमी का एज डिवीजन क्लास-7 से 10वीं तक विद्यार्थियों को नेशनल कॉम्पिटिशन के लिए तैयार कर रहा है। बच्चों की शैक्षणिक बुनियाद मजबूत होने से वे कॅरिअर में आत्मविश्वास के साथ लक्ष्य पर फोकस कर रहे हैं।
कोटा। वायब्रेंट एकेडमी का एज डिवीजन। शांत शैक्षणिक वातावरण। एक-एक विद्यार्थी से शिक्षक का सीधा संवाद। निर्घारित शैड्यूल के साथ सर्वश्रेष्ठ क्लासरूम कोचिंग। देश का भावी टेलेंट पूल यहां तैयार किया जा रहा है। एक विद्यार्थी शांत वातावरण में रोज अपने डाउट्स को दूर करता है। इसीलिए स्कूल में दूसरे बच्चों से स्वयं को आगे महसूस करता है। विषय विशेषज्ञों के अनुसार, स्पर्धा में जीत के लिए योग्यता व दक्षता के साथ आत्मविश्वास व टाइम मैनेजमेंट सबसे जरूरी है, जो वायब्रेंट एकेडमी में अध्ययनरत सभी बच्चों को मिल रहा है। अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित विभिन्न राज्यों के बच्चों से हमने यह जानने का प्रयास किया कि क्लास-8 से क्लासरूम कोचिंग लेने से उन्हें क्या अतिरिक्त लाभ मिला-
क्लास-9 की स्टूडेंट चिया गुप्ता, खुशी शर्मा व साफिया फातिमा ने कहा कि वायब्रेंट एकेडमी के एज डिविजन में हमें स्कूल से अच्छा पढाई का माहौल मिला। हमने यहां रेगुलर पढ़ाई से मैथ्स बहुत इम्प्रूव की। क्लास में टीचिंग तकनीक बढि़या होने से हर सब्जेक्ट में हमारे डाउट रोज क्लिअर हो जाते हैं। क्लास-9 के स्टूडेंट ओज अवस्थी व सक्षम गुप्ता ने बताया कि यहां हर स्टेट के स्टूडेंट्स के साथ पढ़ने से मन में कॉम्पिटिशन का डर खत्म हो गया। हम टेस्ट देकर खुद इसके लिए तैयार हो गए। मैथ्स, फिजिक्स व बायोलॉजी पहले से इम्पू्रव हो गई।
क्लास-8 के सुरमित जैन व नयन जायसवाल ने कहा कि स्कूल की बजाय यहां स्टडी के लिए पॉजिटिव माहौल रहता है। हर शनिवार को टेस्ट देकर हम कॉम्पिटिशन से हर कोर्स में साथ चलते हैं। एक्स्ट्रा क्लास व डाउट क्लास से सभी सब्जेक्ट में बहुत सपोर्ट मिला।
किसान जयसिंह के बेटे कृष्णा को क्लास में शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका अच्छा लगा। उसने फिजिक्स में अपनी कमियां दूर कर ली। आगे आईएएस बनना है, इसलिए पढ़ाई के माहौल में रहकर खुश है। फेक्ट्री मैनेजर शिवसिंह का बेटा अमित कुमार यहां दूसरे राज्यों के बच्चों के साथ पढ़ते हुए खुश है। बीएसएनएल में एसडीओ रमेश सोनी के बेटे रचित ने आईआईटी का सपना सच करने के लिए क्लास-9 से कोचिंग ज्वाइन की। उसने बताया कि रोज डाउट क्लिअर हो जाने से मैथ्स में बहुत सुधार दिखा। बांसवाड़ा से जॉय शाह क्लास-9 में यहां कोचिंग लेकर फाउंडेशन मजबूत कर रहा है।
बाहरी राज्यों के बच्चे कक्षा-8 से कोटा में
झांसी के जयकिरण राजपूत के बेटे रितेंद्र राजपूत क्लास-9 से कोटा आकर यहां कोचिंग ले रहा है। वह आईआईटी में अच्छी रैंक के लिए प्रेशर कम करना चाहता है। टीसर्च व बैचमेट अच्छे मिलने से यहां डिस्कशन अच्छा हो जाता है। वे हर सब्जेक्ब्ट में कंसेप्ट को समझने पर फोकस करते हैं।
एनपीसीआईएल, रावतभाटा में सीनियर केमिस्ट राजेश वर्मा की बेटी तरूणिका क्लास-8 से कोचिंग ले रही है, उसने डीपीपी से बहुत सुधार किया। हाजीपुर (बिहार) में कॉन्टेªक्टर कालेश्वर राय ने दोनों बेटों अनंत (क्लास-10) व नीरज (क्लास-8) को केवल अच्छी पढ़ाई के लिए कोटा भेजा। वहां स्कूलों में रेगुलर पढ़ाई नहीं होती है। अनंत ने डीपीपी से रोज प्रेक्टिस करते हुए फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथ्स तीनों में इम्प्रूव कर लिया। हरदोई (यूपी) में शिक्षक जसकरण वर्मा ने दोनों बच्चों अभिषेक व अंकित को 11वीं तथा 9वीं में पढाई के लिए कोटा भेजा। उन्हें वायब्रेंट एकेडमी में स्कूल से एक्स्ट्रा पढ़ने को मिला। स्टडी मैटेरियल व मॉड्यूल से उनका आत्मविश्वास बढ़ा।
रेलवे में कंट्रोलर गोविंद सिंघल की बेटी उन्नति क्लास-8 से ही क्वालिटी एजुकेशन के लिए कोचिंग ले रही है। उसने मैथ्स व एसएसटी में बहुत इम्प्रूव किया। उसे स्टडी पैटर्न स्कूल से बेहतर लगा। अटवाल नगर के गरीब मजूदर सुरेश सिंगर के बेटे करण कक्षा-8 में यहां पढाई कर रहे हैं, उसने इंग्लिश में बहुत सुधार किया। गरीब होने से संस्थान ने फीस में छूट भी दी।
बेटी के लिए लेक्चरर मां ने जॉब छोड़ा
जोधपुर के जीडी मैमोरियल कॉलेज में बॉटनी की लेक्चरर दीपिका अपना जॉब छोड़कर बेटी नव्या चौहान को आईआईटी-जेईई की क्लासरूम कोचिंग दिलाने कोटा आ गईं। क्लास-9 से नव्या ने वायब्रेंट एकेडमी के एज डिविजन में एडमिशन लिया। पिता नरेंद्र सिंह चौहान बिजनेसमैन हैं। छोटा भाई पन्नव भी कक्षा-6 से कोटा में पढ़ाई कर रहा है। नव्या ने बताया कि वह वायब्रेंट से गर्ल्स टॉपर अदिति लढ्डा के सलेक्शन से प्रेरित होकर यहां आ गई। स्कूल में टीसर्च केवल कोर्स ही पूरा करते हैं। यहां हमने में कॉम्पिटिशन में जीतना सीखा। टीचर्स बहुंत सपोर्ट करते हैं, क्लास में रोज डेली प्रेक्टिस प्रॉब्लम सॉल्व सबसे अच्छा लगा। मेधावी छात्रों के बीच स्पर्धा करने से आत्मविश्वास बढ़ा। मां के साथ दोनों भाई-बहन तलवंडी में किराए के मकान में रहते हैं।
बड़ौद (उप्र) में पुलिसकर्मी सरविंदर सिंह की बेटी निष्ठा क्लास-8 से यहां इसलिए आ गई कि भाई विशाल भी वायब्रेंट एकेडमी से 11वीं में जेईई-मेन की क्लासरूम कोचिंग ले रहा है। मां प्रतिभा दोनों बच्चों की देखरेख के लिए साथ रहती हैं।
सूरत (गुजरात) में बिजनेसमैन हरेश पुरोहित के बेटे स्वराज यहां 12वीं के साथ जेईई की कोचिंग ले रहा है। उसे कोटा में एजुकेशन का महौल सबसे अच्छा लगा इसलिए बहिन चार्मी भी क्लास-8 से यहां आ ई। मां ने बताया कि उन्होंने बेटे-बेटी की च्वाइस से वायब्रेंट एकेडमी में एडमिशन दिलाया। चार्मी ने बताया कि यहां हर सब्जेक्ट में इम्पू्रवमेंट हुआ।
मुरैना (मप्र) में एक हाईस्कूल में प्रिंसिपल कमल सिंह चौहान ने बेटे आदित्य को क्लास-9 से ही यहां कोचिंग के लिए भेजा। दादा भीकमंसिंह कोटा आकर पोते के साथ रहने लगे। आदित्य ने बताया कि आईआईटी के लिए रेगुलर पढ़ाई करना जरूरी है, इसलिए वह 9वीं से यहां आ गया। सभी सब्जेक्ट में उसने काफी सुधार किया।
ककरी (यूपी) में एनसीएल में इंजीनियर हरिओम मिश्रा ने बेटे सिद्धांत को क्लास-11वीं में यहां कोचिंग के लिए भेजा। उससे अच्छा फीडबेक मिलने पर छोटे बेटे अरीन को भी क्लास-9 से यहां भेज दिया। अरीन ने बताया कि संस्थान के टीचर्स बहुत फ्रेंडली हैं, वे रोज डाउट्स क्लिअर करते हैं। यहां केवल पढाई का माहौल दिखा।
महेंद्रगढ़ (हरियाणा) में किसान नरेंद्र कुमार ने दोनों बच्चों रोहित व मोहित को अच्छी पढ़ाई के लिए कोटा भेजा। रोहित वायब्रेंट एकेडमी में क्लास-11वीं के साथ जेईई की कोचिंग ले रहा है। मोहित ने भी कक्षा-8 से भाई के साथ पढ़ाई करने का मन बना लिया। मोहित ने बताया कि स्कूल में टीचर्स पढ़ाने के बाद घर चले जाते हैं। जबकि यहां टीसर्च क्लास के बाद भी डाउट्स दूर करते हैं।
इसलिए कोटा सबसे बेहतर
एक-एक स्टूडेंट पर फोकस
क्वालिटी एजुकेशन के लिए मुझे क्लास-9 से कोटा आना अच्छा लगा। वायब्रेंट एकेडमी में स्कूल से बढि़या एकेडमिक सपोर्ट मिलने से आत्मविश्वास बढ़ा। क्लास में टीचर्स हर स्टूडेंट पर फोकस करते हैं, उन्हें मोटिवेट भी करते हैं। आईआईटी में जाने के लिए फाउंडेशन मजबूत करना जरूरी है, इसलिए क्लासरूम कोचिंग से मेरा बहुत इम्प्रूवमेंट हुआ। पापा अडानी पॉवर लि. में ऑपरेशन हेड हैं।
– सोतम आइच, क्लास-9
प्रतिस्पर्धा को फेस करना सीख गए
दीदी तुलिका क्लास-12वीं के साथ जेईई-एडवांस्ड की कोचिंग ले रही है। इसलिए मैने भी क्लास-8 से वायब्रेंट एकेडमी में पढ़ने की इच्छा जताई। मां अनुपमा हमारे साथ रहती हैं। तीनों टीवी तक नहीं देखते हैं। हमें यहां का शैक्षणिक वातावरण शांत लगा, नियमित टेस्ट देने से कॉम्पिटिशन को फेस करने की आदत हो गई। पापा धनंजय कुमार बेगुसराय में जज हैं।
– जयेश शांडिल्य, क्लास-8
डाउट्स दूर होने से आत्मविश्वास बढ़ा
भाई मो. अरमान क्लास-11वीं से वायब्रेंट एकेडमी में जेईई की कोचिंग कर रहा है। इस वर्ष मैने क्लास-8 से यहां एडमिशन लिया। रोज डीपीपी सॉल्व करने से बहुत फायदा मिला। क्लास में डाउट दूर हो जाने से दोनों का कॉन्फिडेंस बढा है। दोनों को स्कूल से अच्छा पढाई का माहौल मिला। पापा मो.तवैद खान ओरंगाबाद में मैकेनिकल इंजीनियर हैं।
– तारिक अनवर क्लास -8
It is nice to be important, but it’s more important to be nice.