Sunday, 13 October, 2024

मुुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में गूंजी बाघ की दहाड़

कालंदा के जंगल में दिखी बाघ टी-91 की हलचल, मार्च में 3 टाइगर बसाने की योजना। 25 साल बाद नेशनल कोरिडोर तथा राष्ट्रीय उद्यान का सपना होगा साकार। हाडौती टूरिस्ट सर्किट को मिलेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान।

मुुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व एक नजर में:

760 वर्गकिमी में फैला हुआ
342.82 वर्गकिमी बफर एरिया
417.17 किमी कोर एरिया
नेशनल कोरिडोर – 1305 वर्गकिमी (वनभूमि- 958 वर्गकिमी, राजस्व भूमि-347 किमी)
नेशनल पार्क- 205 वर्गकिमी
कोरिडोर रेेंज– सवाईमानसिंह सेंचुरी, रणथम्भौर-आमली-इंद्रगढ़-लाखेरी-तलवास-रामगढ़ सेंचुरी से जवाहर सागर सेंचुरी तक
पार्ट-1: सवाईमाधोपुर से रामगढ़ सेंचुरी (बूंदी) व आमली तक
पार्ट-2: रामगढ़ सेंचुरी से जवाहर सागर सेंचुरी तक।
कुल फॉरेस्ट ब्लॉक– 51 (बूंदी-36, सवाईमाधोपुर-8, भीलवाड़ा- 6, टोंक-1)
जुडे़गा पर्यटन- रामगढ़ विषधारी, बूंदी, शेरगढ़ सेंचुरी, बारां, मुकंदरा नेशनल पार्क, दरा, राष्ट्रीय घडियाल सेंचुरी, कोटा व जवाहर सागर सेंचुरी, चित्तौडगढ़।
बढे़गी इकोनॉमी– होटल, रेस्तरां, टांसपोर्ट, एयर सर्विस, आर्ट, हस्तशिल्प व अन्य परिवहन सेवाएं।

मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से जुड़ी है चंबल नदी की खूबसूरत वादियां

अरविंद, कोटा। मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में हरियाली से आच्छादित वादियां, घने पहाड़, घाटियां, सदानीरा चंबल नदी की गोद में बहने वाले प्राकृतिक झरने, पोखर, तालाब मानो बाघों को प्रकृति का आमंत्रण दे रहे हैं। यही वजह है कि जनवरी माह से अभयारण्य में बाघ टी-91 ने पदचाप से अपनी दस्तक दे दी। सचमुच मुकंदरा हिल्स, दरा टाइगर रिजर्व (संरक्षित क्षत्र) बाघों एवं वन्यजीवों के लिए जन्न्त बनने जा रहा है। वनविभाग की टीमें मार्च,2018 तक यहां तीन बाघों को बसाने की योजना पर काम कर रही है।

हाल में मुकंदरा रिजर्व से जुडे़ बूंदी जिले के कालंदा वनक्षेत्र में विचरण कर रहे बाघ टी-91 की हलचल 31 जनवरी को सुबह 1ः41 बजे वनविभाग के कैमरे में लाइव कैद हुई। सूत्रों के अनुसार, एक पखवाड़े तक इसका मूवमेंट इस क्षेत्र में बना रहा। वन विभाग ने मूवमेंट पर 24 घंटे नजर रखने के लिए कालदा के जंगल में आठ जगह फोटो ट्रेप कैमरे लगाये। मध्यरात्रि में डाटूंदा गांव के नजदीक बाघ टी-91 शिकार का भोजन करने आया। उसने अपने शिकार को पूरा नहीं खाया। इससे पहले वनविभाग को सूचना मिली थी कि सथूर के आसपास टी-91 की मौजूदगी हो सकती है। उसके बाद वन विभाग ने पगमार्क को चिन्हित किया। साथ ही 8 स्थानों पर फोटो ट्रेप कैमरे लगायेे।

Tiger T-91

जंगल की ट्रैकिंग कर रहे वनकर्मियों ने बताया कि चार माह पहले टी-91 जिले में सबसे पहले तलवास पंचायत के बांसी गांव में देखा गया था। तब उसने एक मवेशी का शिकार किया था। इसके बाद यह रामगढ़ अभ्यारण्य में विचरण करता हुआ 7 दिन पहले सथूर गांव के पास से गुजरते हुए कालदा वनक्षेत्र में जा पहुंचा। यहां इसने एक बैल का शिकार किया था। तभी से इसी क्षेत्र में उसकी मौजूदगी बनी हुई है।
कालदा वनखंड मुकंदरा टाइगर रिजर्व से जुड़ा हिस्सा है, जहां बाघों को विस्थापित करने की कवायद तेज हो गई है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में वन्यजीवों की मौजूदगी से रणथम्भौर अभयारण्य की तरह यहां भी टूरिज्म विकसित होने की उम्मीद है। इन दिनों टी-91 को यह क्षेत्र रास आ जाने से जनता एवं वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह है।
जनवरी व फरवरी माह में चंबल किनारे कोटा थर्मल पॉवर स्टेशन के परिसर में नर व मादा पैंथर व 3 बच्चे देखे जाने के बाद उनकी निगरानी की जा रही हैं। इससे पहले 22 दिसंबर,2016 को कोटा जिले में डाबी के डसालिया गांव के पास एक नर पैंथर शिकारियों के एक जाल में फंस गया था। उसे रेस्क्यू ऑपरेशन में टैªक्यूलाइज कर आजाद किया गया।

मुकंदरा में बाघों का नया बसेरा

मुकंदरा हिल्स को 9 अप्रैल,2011 में मुकंदरा टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। कोटा एयरपोर्ट से महज 40 किमी दूर यह नया अभयारण्य राज्य के चार जिलों कोटा, बूंदी, झालावाड़ व चित्तौडगढ़ में लगभग 760 वर्ग किलोमीटर मेें फैला हुआ है।

इसमें लगभग 417 वर्गकिमी में कोर एरिया तथा 343 वर्गकिमी में बफर जोन होगा, जिसमें मुकंदरा नेशनल पार्क, दरा अभयारण्य, जवाहर सागर सेंचुरी तथा चंबल घडियाल सेंचुरी का कुछ भाग भी शामिल रहेगा। जानकारों ने बताया कि 1962 तक इस क्षेत्र में शेर दिखाई देते थे। 1980 के दशक में यहां बाघों की दहाड़ सुनाई देती थी। 2003 में भी एक बाघ ने यहां विचरण किया।

 

टाइगर की क्रॉसबीड के लिए अनुकूल

Wild life in Mukundara hills

वन्यजीव अधिकारियों के अनुसार, इसका क्षेत्रफल सरिस्का से ज्यादा है। रणथम्भौर सेंचुरी में इस समय 62 से अधिक टाइगर होने से वहां के नर बाघ समीपवर्ती मुंकदरा रिजर्व में आकर अन्य मादा बाघ से क्रॉसबीड कर सकेंगे, जिससे निकट भविष्य में यहां टाइगर की हाईब्रिड देखी जा सकती है। जलवायु की बात करें तो मुकंदरा टाइगर रिजर्व एवं नेशनल पार्क का नजारा बरसात में देखने लायक होता है। यहां 885.6 मिमी औसत वर्षा होती है।

उंची पहाडि़यों के बीच खूबसूरत घना वन क्षेत्र, नदी व घाटियां है। इस हरे-भरे क्षेत्र में पलाश,अमलताश, नीम, जामुन, इमली, अर्जुन, तेंदू, बरगद, पीपल, महुआ, बेल, कदम, सेतल व आंवले के वृक्षों के साथ सघन जंगल है। यही वजह है कि चंबल किनारे बाघ, पैंथर, भालू, सांभर, चीतल, जरख (हाइना), भेडि़या, लोमड़ी, नीलगाय, काले हिरण, वनविलाव, खरगोश,दुर्लभ स्याहगोह, निशाचर सिविट केट और रेटल जैसे दुर्लभ वन्यजीव यहां देखने को मिलते हैं। वन्य अधिकारियों के अनुसार, मुकंदरा क्षेत्र में लगभग 1000 चीतल, 60 भालू, 60 से 70 पैंथर, 60 नील गायों सहित बाघ प्रजाति के 6 बघेरा (लेपर्ड) भी हैं। बडी संख्या में छोटे वन्यजीव विचरण करते हैं।

225 पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां

Birds in Mukundara hills Tiger Reserve

पक्षी विशेषज्ञों ने बताया कि इस प्रकृति की गोद में बसे इस क्षेत्र में लगभग 225 तरह के पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण रहंेगी। इनमें दुर्लभ सफेद पीठ व लम्बी चोंच वाले गिद्ध, केस्टेड सस्पेंट, ईमल, शॉट टोड ईगल, सारस क्रेेन, पैराडाइज प्लाई केचर, स्टोक बिल किंगफिशर, कर्ड स्कोप्स उल्लू सहित बड़ी संख्या में राष्टीय पक्षी मोर, कोयलों की गंूज पर्यटकों का मन मोह लेती है। शोधार्थियों के लिए यह अनुकूल क्षेत्र है।

दर्शनीय विरासत स्थल व चंबल सफारी
रिजर्व क्षेत्र के चारों ओर पर्यटकों के लिए दर्शनीय एतिहासिक, प्राकृतिक व धार्मिक स्थल आकर्षण के केंद्र रहेंगे। शताब्दियों पूर्व बना अबली मीणी का महल, प्राचीन किशोर सागर, शिकार गाह, बालाजी मंदिर, रांवडा महल, गागरोन का किला, कोलवी की गुफाएं, बडौली मंदिर समूह, भैसरोड़गढ़ किला, शेरगढ़ किला, कोटा व बूंदी फोर्ट के म्यूजियम, जैत सागर, गरडिया महादेव, गैपरनाथ, जैसे स्थल प्राचीन विरासत के वैभव को दर्शाती है। सदानीरा चंबल पर निर्मित राणाप्रताप सागर, जवाहर सागर डेम तथा कोटा बैराज सहित नवनिर्मित हैंगिंग ब्रिज व सेवन वंडर्स के नजारे हर मौसम में पर्यटकों का मनमोह लेते हैं।

Chambal safari

टूरिज्म विकसित करने के लिए यहां सांसद ओम बिरला की पहल पर देशी-विदेशी सैलानियों के लिए यहां जंगल में घूमने के साथ चंबल सफारी भी शुरू की जाएगी। जिसमें जवाहर सागर से भैसरोडगढ़ तक लहराती चंबल की लहरों पर 25 टूरिस्ट बोटिंग का लुत्फ उठा सकेंगे।

दर्रा से हुआ दरा
गढ़ पैलेस में क्यूरेटर बलजीत सिंह राजौरिया व गणपत सिंह शक्तावत ने बताया कि दर्रा प्राचीन घाटी है। यहां की कंदराएं शिकार के लिए मशहूर थी। कोटा के द्वितीय शासक राव मुकन्द सिंह शिकारप्रेमी थे। मशालपुरा में घना जंगल था। वे मालवा होकर इस घाटी से गुजरते थे। इसलिए संवत 1708 में दरा की नाल में दरवाजा बनवाया। यहां शिकारखाना हवेली भी है, जहां से वे शेर का शिेकार करते थे। लक्ष्मीपुरा गांव में दो माले तथा मोईकला में एक माला है। रावंठा में जनाने व मर्दाने माले अलग-अलग थेे। राव मुकन्द सिंह ने मुकन्दरा गांव बसाया, तभी से इसे मुकंदरा घाटी कहने लगे।

इतिहासकार फिरोज अहमद के अनुसार, कर्नल टॉड ने लिखा कि विंध्याचल पर्वत की सहायक पर्वत श्रेणी पर 1300 से 1600 फीट उंची चोटियां हैं। खैराबाद में मीणा जाति के लोग पशु चराते थे। अबली मीणी यहां पशु चराने आती थी। उसे दरा गांव की जागीर मिली, उसकी स्मृति में अबली मीणी का महल बना हुआ है। इसी तरह महाराव दुर्जनसाल 1723 से 1756 के दौरान रानी के साथ यहां शिकार करने आते थे। यहां पांडव कालीन मंदिर व गुप्तकालीन शिवमंदिर, भीम चैरी आज भी दर्शनीय हैं। दर्रा को फारसी में दरा कहते हैं, इसलिए अपभ्रंश में इसे दरा कहा जाने लगा। राज्य सरकार ने राव मुकन्दसिंह के नाम पर दरा को मुकंन्दरा हिल्स नाम दिया।

आसान हुई पहुंच
कोटा से झालावाड के बीच ईस्ट-वेस्ट कोरिडोर (एनएच-76) फोर लेन मेगा हाईवे से जुडने के कारण देश के अन्य शहरो से सडक मार्ग की दूरी कम हो गई है। फोर लेन मेगा हाईवे से झांसी-ग्वालियर-कोटा रूट व दिल्ली-आगरा-जयपुर-उदयपुर-चितौड़गढ-कोटा-बूंदी़ रूट से विदेशी सैलानी कम समय में यहां आसानी से पहुंच सकेंगे। कोटा एयरपोर्ट से 9 सीटर विमानसेवा मिलने से पर्यटक यहां सरलता से पहुंचेगे।

ये होंगे फायदे-
– टाइगर रिजर्व की श्रेणी में आते ही नेशनल टाइगर कंजर्वेशन एक्ट के तहत योजना के सभी लाभ मिलने लगेंगे।
– हाडौती टूरिस्ट सर्किट में देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या 45 गुना बढे़गी। विदेशी सैलानियों का ठहराव बढे़गा।
– चारों जिले में सेंचुरी व अन्य ऐतिहासिक धरोहरो का विकास तेज होगा।
– स्टार होटल, रेस्तरां, टांसपोर्ट सेवाएं, कला व हस्तशिल्प उद्योग पनपेंगे।

बाघों के पुनर्वास से टूरिज्म बढे़गा
मुकंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व में लैंडस्केप और चंबल किनारे वन्यजीवों की बहुतायत होने तथा ब्रॉडगेज लाइन से जुडा होने के कारण यह टूरिस्ट के लिए सबसे बडा आकर्षण होगा। इसमें दुर्लभ पोटर्स प्रजाति के पक्षी, चम्बल घडि़याल सेंचुरी के साथ सघन जैव विविधता जैसी खूबियां अन्य सेंचुरी से अलग खड़ा करती है।
पूरा रिजर्व क्षेत्र संरक्षित होने से यहां वाइल्ड लाइफ का हेबिटेट बढे़गा। क्षेत्र में टूरिज्म, पर्यावरण, रोजगार के लिए नए रास्ते खुलेंगे। वन्यजीवों को पानी के स्त्रोत और रहने के लिए सुरक्षित जंगल मिलने से उनकी संख्या तेजी से बढेगी। इसमें बाघों का पुनर्वास जल्द होने लगेगा।
– घनश्याम शर्मा, मुख्य वन संरक्षक व फील्ड डायरेक्टर,
मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व।

(Visited 683 times, 1 visits today)

Check Also

‘नेत्रदान का संकल्प कर मुत्यु के बाद मृत्युंजय बनें’ -डॉ. पांडेय

नेत्रदान पखवाड़ा : भारत में ढाई लाख कॉर्निया की जरूरत, जबकि प्रतिवर्ष नेत्रदान 50 हजार …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!