Monday, 17 November, 2025

भक्तों को असमय कष्टों से मुक्त कर देतें हैं श्रीकृष्ण- अचार्य त्रिवेदी

कोटा में श्रीमद भागवत कथा के चौथे सोपान में हुई अमृत वर्षा
न्यूजवेव @कोटा 

विनोबाभावे नगर स्थित बघेरवाल भवन में श्रीमद भागवत कथा के चौथे सोपान में मंगलवार को आचार्य पं.संजय कृष्ण त्रिवेदी ने कहा कि सांसारिक जीवन में अहंकार आ जाये तो हमारा शरीर अज्ञान से प्रेरित हो जाता है। इसलिये साधना के सुपथ पर भक्तिभाव से जुडकर अच्छे साधक बनें। श्रीकृष्ण अपने हर भक्त को असमय आने वाले कष्टों से मुक्त कर देते हैं।
आचार्य त्रिवेदी ने प्रहलाद प्रसंग सुनाते हुये कहा कि भगवान नरसिंह ने भक्त प्रहलाद को सशरीर अंगीकार कर लिया था। पहली बार भगवान नरसिंह ने रूदन के साथ भक्त से क्षमा मांगी थी। क्योंकि हिरन्यकश्यप ने प्रहलाद को बहुत यातानायें दी थी। भगवान ने उसे गोद में बिठाया तो प्रहलाद धन्य हो गया। उसने कहा कि मुझे कोई वरदान नहीं चाहिये। आप मेरे मन से सारी कामना को बाहर निकाल दें। यह सुनकर नरसिंह ने वरदान दिया कि तुम असुर योनी में आये हो। इस संसार में सारे दैत्यों के एश्वर्य पर तुम्हारा आधिपत्य एक मनवंतर तक बना रहेगा। उन्होने कहा कि राजा परीक्षित ने जब समर्पित भाव से कथा सुनकर धैर्य की परीक्षा दी तो उनके राज्य में खूब अमृत वर्षा हुई। जिससे सुख-समृद्धि के द्वार खुल गये। कथा में प्रवचन के दौरान बाहर निरंतर बरसात जारी रही।
कथा के दौरान आचार्य त्रिवेदी ने श्रीराम जन्मोत्सव प्रसंग सुनाते हुये कहा कि ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाये पर वचन न जाई’ इससे स्पष्ट है कि भगवान राम एक प्राण, एक पत्नी और एक वचन के पर्याय रहे। अयोध्या में उनके जन्म से भारतभूमि पवित्र हुई है। उनके सादगीपूर्ण जीवन की मर्यादाओं को हम जीवन में अवश्य उतारें। उनके नाम का स्मरण करने मात्र से ही आप आंतरिक अलौकिक शक्ति महसूस करते रहेंगे।
गोविंद आला रे आला, जरा मटकी संभाल बृजबाला..


श्रीमद् भागवत कथा में मंगलवार को धूमधाम से नंदोत्सव मनाया गया। आचार्य त्रिवेदी ने ‘गोविद आला रे आला, जरा मटकी संभाल बृजबाला…’ सुनाकर पांडाल को भक्तिरस में डूबो दिया। उन्होंने कहा कि जब नीलमणि के समान नंदलाला का जन्म हुआ तो सेवक शेषनाग के भाग्य जाग उठे। रात्रि में बिजलियां कडक रही थी,यमुना में खूब वर्षा हुई लेकिन उनकी छत्रछाया में वासुदेव पर एक बूंद पानी नहीं गिरा। किनारे आते आते यमुना ने उनके नन्हें  चरणों को स्पर्श किया। कथा में पीत वस्त्र पहने महिलाओं एवे पुरूषों ने महाआरती की। आयोजक पूनमचंद गुप्ता ने बताया कि भागवत कथा का समापन 19 जुलाई को होगा।

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