महावीर नगर तृतीय औंकारेश्वर मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन में उमडे़ श्रद्धालु
न्यूजवेव @ कोटा
महावीर नगर तृतीय सेक्टर-1 स्थित औंकारेश्वर मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के चतुर्थ सोपान में आचार्य कैलाश चंद तेहरिया ने कहा कि जिस घर में भक्ति का वास होता है, भावनायें निर्मल होती हैं, कर्म अच्छे होते हैं, उनके घर श्रीराम अवतरित होते है।
सोमवार को श्रीराम जन्म प्रसंग सुनाते हुये उन्होंने कहा कि कौशल्या भक्ति की प्रतीक, सुमित्रा भाव की प्रतीक और कैकयी क्रिया की प्रतीक थी, तीनों माताओं में भक्ति, भाव और अच्छे कर्म का पवित्र संगम होने से दशरथ के घर श्रीराम ने जन्म लिया। भगवान श्रीराम ने मनुष्य को मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने तपस्वी जीवन में माता-पिता की सेवा, गुरूजनों को सम्मान, दीन-दुखी की सेवा और धर्म-संस्कृति के साथ राष्ट्र की सेवा करने की सीख दी। आज के दौर में इन सद्गुणों पर चलकर हम कई बाधाओं और आपदाओं से बच सकते हैं। सांसारिक जीवन में इन गुणों को हृदय में धारण कर श्रीराम की राह पर चलते रहें।
सीता त्याग की प्रतिमूर्ति रहीं
राम-सीता विवाह प्रसंग में आचार्य तेहरिया ने कहा कि सीता त्याग की प्रतिमूर्ति रहीं। जो श्रीराम नहीं कर पाते थे, वे कार्य सीता ने किये हैं। एक धोबी के कथन पर गुप्तचरों की मदद से सीता ने सच्चाई का पता किया और श्रीराम को मर्यादित बनाये रखने के लिये उन्हें सीता का त्याग कर वनवास के लिये प्रेरित किया। आज नारी यदि अपने स्वार्थ का त्याग करना सीख ले तो सारे गृह क्लेश दूर हो सकते हैं। हर नारी को सीता से त्याग, दया और समर्पण जैसे भाव सीखना चाहिये।
आयोजक सुधा व्यास, मंजू यादव, अंजू बंसल, इंद्र विजय, सीमा शर्मा व शोभा शर्मा ने बताया कि सावन मास में श्रीमद् भागवत कथा सुनने से महिलाओं में भक्ति भाव जागृत हुआ है। अंत में सामूहिक आरती के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण किया गया।