Monday, 13 January, 2025

कलियुग में नाम से अधिक दान की महिमा- आचार्य तेहरिया

श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ सोपान में बामन अवतार व राम-सीता विवाह की आकर्षक झांकियां सजाई

न्यूजवेव कोटा

तलवंडी सेक्टर-3 स्थित सेठ सांवलिया पावन धाम में शुक्रवार को श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ सोपान में आचार्य कैलाश चन्द तेहरिया ने कहा कि हमारी संस्कृति में दान भाव प्रधान होता है। आज कलियुग में सिर्फ नाम की होड़ मची है, जबकि पुरूषार्थ के लिये नाम से अधिक अच्छे कार्यों में दान करें। जब आप दान करते हैं तो वह कई गुना लौटकर आता है। इसलिये जो आपको अच्छा लगे उसका दान करें। दान कभी निष्फल नहीं जाता है।

‘मुझे दर्शन दे गिरधारी रे..’ मनोहारी भजन सुनाते हुये उन्होंने कहा कि हरि दर्शन से नेत्र, दान करने से हाथ, तीर्थ करने से पैर और कथा सुनने से हृदय के विकार दूर होते हैं। गृहस्थ जीवन में खुशहाली के लिये प्रत्येक घर में मां स्वरूपा गंगा-गाय-गीता का वास रहे। गंगाजल ब्रह्मद्रव्य है। तुलसी का चरणामृत लेने मात्र से शरीर से कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसलिये हर घर में तुलसी का वास हो।

आचार्य तेहरिया ने कहा कि गंगा,श्रीराम व श्रीकृष्ण का पुण्य अवतरण केवल भारत जैसी पवित्र धरती पर हुआ है। राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या भक्ति, कैकयी भाव और सुमित्रा क्रिया शक्ति की प्रतीक थी। जहां देवी वृत्तियों का वास होता है, वहां भगवान का अवतरण भी होता है। कथा में बामन अवतार व राम-सीता विवाह की आकर्षक झांकियां सजाई गई। समूचे पांडाल में मंगलगीतों पर श्रद्धालु झूम उठे।
मोह दुख का सबसे बड़ा कारण
आचार्य ने कहा कि मानव जीवन में तीन वस्तुओं से मुक्ति मिल जाये तो जीवन सफल हो जाता है। इनमें पुत्रेष्णा, वित्तेषणा व लोकेषणा तीनों हमें सद्मार्ग से भटकाती है। आज मोह ही दुखों का सबसे बडा कारण है। इच्छा या महत्वाकांक्षायें दुख को जन्म देती है। जब आप मन की इच्छा को विराम देंगे तो मोह पर पूर्ण विराम लग जायेगा। सुख-दुख मेहमान की तरह आते हैं और चले जाते हैं। इसलिये विपरीत समय में धैर्य पूर्वक भक्ति में ध्यान लगायें। आयोजक रमेश गुप्ता ने बताया कि शनिवार को कथास्थल पर कृष्ण जन्म व नंदोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।
व्रत के साथ बुराई छोड़ने का संकल्प भी लें


आचार्य तेहरिया ने कहा कि हमारी भक्ति-भावना निष्कपट हो। प्रत्येक व्रत एक संकल्प की तरह करें। इस दिन कोई एक बुराई, व्यसन, ईर्ष्या, बुरी आदत, क्लेश को छोड़ परिवार में प्रेमभाव से रहने का संकल्प लें। जो जीवन में शुभ संकल्प करते हैं वे खुद प्रियव्रत बन जाते हैं।

(Visited 265 times, 1 visits today)

Check Also

द्वारिकाधीश की भक्ति से सारे पाप धुल जाते हैं-आचार्य तेहरिया

नंदवाना भवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा में जीवंत हुआ श्रीकृष्ण-रूकमणी विवाह न्यूजवेव @कोटा  …

error: Content is protected !!