न्यूजवेव @ कोटा
श्री सांवलिया सेठ पावन धाम, तलवंडी सेक्टर 2-3 में आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के प्रथम सोपान में मंगलवार को आचार्य पं. कैलाश चंद तेहरिया ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा वेदरूपी कल्पवृक्ष का फल है, जिससे ज्ञान, वैराग्य और भक्ति के अलौकिक प्रभाव से हमारे चारों ओर हरि रस बरसता है। परमात्मा की आराधना के बिना हमारी कर्म साधना पूरी नहीं हो सकती इसलिये जिस ठाकुरजी से हमें सब कुछ मिला हैए उनसे जुडे रहने के लिये समय अवश्य निकालें।
उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन में भागवत यज्ञ से दीन-दुखी, गरीब, जरूरतमंद और राष्ट्र के लिये सेवा भाव जागृत करें। हमारे धर्म-कर्म में सेवा भाव सर्वोपरि हो। एक प्रसंग में उन्होंने कहा कि माया दुष्टों के हृदय में कभी प्रवेश नहीं करती है लेकिन भक्ति भक्त के हृदय में अवश्य प्रवेश कर जाती है। भागवत श्रवण से तन-मन-धन तीनों पवित्र हो जाते हैं।
गोविंद मेरो है, गोपाल मेरो है..
आचार्य तेहरिया ने कहा कि जीवन में सात्विकता हमेशा बनाये रखें। यही भाव हमें ईश्वर से जोडे़गा। आज हर कोई तन-मन व धन से उदास है लेकिन जिन्होंने ठाकुरजी के श्रीचरणों में आश्रय लिया वे आत्मिक शांति महसूस करते हैं। भागवत निराला पंचम वेद है जो 10 लक्षणों से विभूषित होकर हरि दर्शन कराता है। जीवन में कभी ऐसे अवसर भी आते हैं जब रिश्ते-नाते सब छूट जाते हैं जब कथा-सत्संग सुनने से पुण्य का पलड़ा भारी हो जाता है। कष्ट आने पर हमारे संचित पुण्य ही बाधाओं को दूर करते हैं। अंत में भजन ‘गोविंद मेरो है, गोपाल मेरो है..’ पर झूमते हुये श्रद्धालुओं ने समूचे पांडाल में भक्ति रस बरसाया।
आयोजक रमेश गुप्ता-मधु गुप्ता ने बताया कि मंगलवार सुबह महावीर नगर द्वितीय से तलंवडी तक भव्य कलश यात्रा निकाली गई जिसमें महिलाओं व श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण का मनोहारी गुणगान किया। बुधवार को कथा में सुखदेव जन्म व महाभारत सार सहित अन्य प्रेरक प्रसंगों पर प्रवचन होंगे।