Thursday, 12 December, 2024

भक्ति भाव और अच्छे कर्म से अवतरित होते हैं श्रीराम- आचार्य तेहरिया

टीचर्स कॉलोनी के चौथमाता मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में उमडे़ श्रद्धालु
न्यूजवेव @ कोटा

शहर में टीचर्स कॉलोनी स्थित चौथमाता मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव में कथावाचक आचार्य कैलाश चंद तेहरिया ने कहा कि जिस घर में भक्ति का वास होता है, भावनायें निर्मल होती हैं, कर्म अच्छे होते हैं, उनके घर श्रीराम अवतरित होते है।
श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ सोपान में श्रीराम जन्म प्रसंग का उल्लेख करते हुये उन्होंने कहा कि कौशल्या भक्ति की प्रतीक, सुमित्रा भाव की प्रतीक और कैकयी क्रिया की प्रतीक थी, तीनों माताओं में भक्ति, भाव और अच्छे कर्म का पवित्र संगम होने से दशरथ के घर श्रीराम ने जन्म लिया। भगवान श्रीराम ने मनुष्य को मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने तपस्वी जीवन में माता-पिता की सेवा, गुरूजनों को सम्मान, दीन-दुखी की सेवा और धर्म-संस्कृति के साथ राष्ट्र की सेवा करने की सीख दी। आज के दौर में इन सद्गुणों पर चलकर हम कई बाधाओं और आपदाओं से बच सकते हैं। सांसारिक जीवन में इन गुणों को हृदय में धारण कर श्रीराम की राह पर चलते रहें।
राम-सीता विवाह प्रसंग में आचार्य तेहरिया ने कहा कि सीता त्याग की प्रतिमूर्ति रहीं। जो श्रीराम नहीं कर पाते थे, वे कार्य सीता ने किये हैं। एक धोबी के कथन पर गुप्तचरों की मदद से सीता ने सच्चाई का पता किया और श्रीराम को मर्यादित बनाये रखने के लिये उन्हें सीता का त्याग कर वनवास के लिये प्रेरित किया। आज नारी यदि अपने स्वार्थ का त्याग करना सीख ले तो सारे गृह कलेश दूर हो सकते हैं। त्याग, दया और समर्पण जैसे भाव लेकर हम सीता के जीवन चरित्र से सही शिक्षा लें।
मन रूपी माखन चुराते हैं श्रीकृष्ण
सोमवार को पंचम सोपान में श्रीकृष्ण जन्म एवं नंदोत्सव पर खचाखच भरे पांडाल में श्रीकृष्ण की बाललीला की झांकियां सजाई गई। आचार्य तेहरिया ने कहा कि भगवान भक्तों के मन रूपी माखन को भी चुरा लेते हैं। इसलिये कथा-सत्संग से अवश्य जुडें। गिरिराज पूजन पर उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण ने देवराज इंद्र के गर्व को दूर करने के लिये 7 वर्ष की उम्र में 7 कोस के गिरिराज पर्वत को 7 दिन तक कनिष्ट उंगली पर धारण कर लिया था। श्रीकृष्ण बांसुरी की धुन से सबके कष्ट हर लेते थे। इसीलिये जो भक्त मन से श्रीकृष्ण की भक्ति करते हैं, वे बाहरी कष्टों से सदैव दूर रहते हैं। आयोजक यशपाल सिंह जादौन ने सामूहिक आरती के बाद प्रसाद वितरण किया।

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