न्यूजवेव,नई दिल्ली
जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरा भारत को है। उसके बाद पाकिस्तान, फिलिपींस और बांग्लादेश का नंबर आता है। ग्लोबल बैंक एचएसबीसी ने जलवायु परिवर्तन से होनेवाले नुकसान की चपेट में आनेवाले देशों की लिस्ट जारी की है। एचएसबीसी का मुख्यालय लंदन में है।
बैंक ने क्लाइमेट चेंज के प्रति 67 विकसित, उभरते और सीमावर्ती देशों के संभावित नुकसान का आकलन किया। इसके लिए क्लाइमेट चेंज के भौतिक प्रभावों, मौसम में बदलाव से हुई बड़ी घटनाओं की संवेदनशीलता, ऊर्जा संक्रमण के जोखिमों का खतरा और जलवायु परिवर्तन के प्रति कदम उठाने की क्षमता को मानदंड बनाए गए। इन 67 में से दुनिया के करीब एक तिहाई देश, 80 प्रतिशत आबादी और 94 प्रतिशत वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद शामिल है।
एचएसबीसी ने रैकिंग तैयार करने के लिए हरेक क्षेत्र में इन देशों के आकड़ों का औसत निकाला। इसके मुताबिक, कुछ देशों के सामने कुछ खास क्षेत्रों में काफी खतरा है जबकि अन्य देशों के सामने उन खास क्षेत्रों में कम खतरा है। एचएसबीसी के आकलन में जिन चार देशों के सामने सबसे बड़ा खतरा है, उनमें भारत का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण खेती से आय घट सकती है, खासकर असिंचित क्षेत्रों में जो तापमान बढ़ने और बारिश कम होने से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
उधर, पाकिस्तान, बांग्लादेश और फिलिपींस के सामने तूफान और बाढ़ का भयावह खतरा है। एचएसबीसी ने पाकिस्तान की रैकिंग उन देशों में रखी है जहां क्लाइमेट चेंज के खतरों से निपटने की सबसे कम व्यवस्था है। जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा खतरने की चपेट में आने के संदिग्ध टॉप 10 देशों में 5 दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के हैं। इस समूह में ओमान, श्री लंका, कोलंबिया, मेक्सिको, केन्या और दक्षिण अफ्रीका भी शामिल हैं।
क्लाइमेट चेंज का जिन देशों पर बेहद कम खतरा है, उनमें फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे, एस्टोनिया और न्यू जीलैंड शामिल हैं। 2016 की अपनी पिछली रैकिंग में एचएसबीसी ने G20 देशों पर जलवायु परिवर्तन के खतरे का आकलन किया था।