Saturday, 20 April, 2024

कोटा में हुआ गले की ग्रंथी में ट्यूमर का जटिल ऑपरेशन

दुर्लभ सर्जरी : ढाई साल से ‘पैराथायराइड ट्यूमर’ से पीड़ित बृजमोहन मालव (41) को मिला नया जीवन

न्यूजवेव कोटा

बचपन से बांये पैर में पोलियो से ग्रसित 41 वर्षीय बृजमोहन मालव की गले की ग्रंथी में पैरा थायराइड ट्यूमर हो जाने से उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। ढाई वर्ष से वह चलने-फिरने में सक्षम नहीं था लेकिन इस माह कोटा के डॉक्टरों की टीम ने ट्यूमर का जटिल ऑपरेशन कर उसे नई जिंदगी लौटा दी।

Brij Mohan Malav

जिंदल लेप्रोस्कॉपिक हॉस्पिटल  के निदेशक व सर्जन डॉ. दिनेश जिंदल ने बताया कि रोगी के बांये पैर में बचपन से पोलियो था, 2 वर्ष पूर्व घर में गिर जाने से उसके दांये पैर के कुल्हे की हड्डी भी टूट गई, जिससे ढाई वर्ष से वह बिस्तर पर रहा। पैर में रॉड भी डाली गई। एक्सरे व एमआरआई में पता चला कि उसके दोनों कुल्हे की हड्डी में फ्रेक्चर है, आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. अभिवन सोनी ने उसका रिप्लेसमेंट करने की बजाय उसे एंडो क्रायोनोलॉजिस्ट डॉ. अखिल जोशी से परामर्श की सलाह दी। डॉ. जोशी ने जांच रिपोर्ट में क्रिटेनिन व पीटीएच असामान्य होने से गले की ग्रंथी में ट्यूमर होने का संदेह जताया। जयपुर से उसकी एमआईबीजी स्केन कराने पर इसकी पुष्टि हुई।

इसके बाद लेप्रोस्कॉपिक सर्जन डॉ.दिनेश जिंदल, ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. मनीष मेहता व एनेस्थेसिया डॉ. विजय गोयल की टीम ने उसका दुर्लभ आपॅरेशन कर 3 गुणा 2 सेमी मोटे पैरा थायराइड ट्यूमर को बाहर निकाला। तीन दिन पूर्व डॉ. जिंदल ने उसकी किडनी में स्टोन का सफल ऑपरेशन भी किया। कोटा के विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम ने इस केस को चुनौती मानकर मात्र 7 दिन में उसे गंभीर बीमारी से निजात दिला दी।

Dr.Dinesh Jindal, Dr.Manish Mehta & Dr.Vijay Goyal

प्रेमनगर प्रथम निवासी बृजमोहन ने बताया कि पिछले ढाई वर्ष से वह बिस्तर पर था। इससे पहले ढाबादेह के पास जामुनिया गांव में 15 वर्ष से आरएमपी चिकित्सक के रूप में ग्रामीणों का इलाज करते था। इस गंभीर बीमारी का खर्च उठाने में वह सक्षम नहीं था, लेकिन कोटा के डॉक्टर्स ने सफल ऑपरेशन कर उसका 40 प्रतिशत ऑपरेशन खर्च भी बचा दिया।

क्या है पैरा थायराइड ट्यूमर
थायरायड विशेषज्ञ डॉ. अखिल जोशी ने बताया कि एक ऐसा ट्यूमर जो हमारी पैरा थायराइड ग्रंथी में बनता है, यह केल्सियम कंट्रोल ग्रंथी है। यह ग्रंथी पीटीएच हार्मोंस स्त्रावित करती है, जिससे शरीर में केल्सियम व फॉस्फोरस की मात्रा नियंत्रित रहती है। हमारे शरीर में विटामिन-डी, पीटीएच व केल्सिटोनिन तीन हार्मोंन्स से केल्सियम नियंत्रित रहता है। रक्त में केल्सियम जमा हो जाने पर शरीर में इसकी कमी होने से हड्डियां टूटने लगती है।

9 वर्ष बाद यह दूसरा मामला
लेप्रोस्कॉपिक सर्जन डॉ.दिनेश जिंदल ने बताया कि कोटा में फरवरी,2009 में गोबरिया बावडी में रहने वाली 15 वर्षीया मनभर की हड्डियां गलने लगी थी, गिरते ही उसकी हड्डियां टूट जाती थी। जांच में पता चलने पर उसका पैराथायराइड ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया। अब वह स्वस्थ होकर विवाहित जीवन जी रही है। 9 वर्ष के बाद यह दूसरा मामला सामने आने पर कोटा के डॉक्टर्स ने इस चुनौती को स्वीकार कर रोगी को स्वस्थ कर दिया।

ट्यूमर के यह लक्षण 
विशेषज्ञों के अनुसार, रोगी की हड्डियां कमजोर होकर बार-बार टूटना (ऑस्टियोपायरेसिस), किडनी में पथरी बनना, पेटदर्द, याददाश्त कमजोर होना, डिप्रेशन, ज्यादा पेशाब आना जैसे लक्षण होने पर समय पर सही जांच करवाना आवश्यक है। महिलाओं में 50 वर्ष की उम्र के बाद हाइपर पैराथायराइड ग्रंथी की समस्या हो सकती है। 20 प्रतिशत रोगियों को पीटीएच बढने से कैंसर भी हो सकता है।

(Visited 1,122 times, 1 visits today)

Check Also

एक माह की नवजात की सांसें थमी तो ENT डॉक्टर ने बचाई जान

न्यूजवेव @ कोटा  कोटा में महावीर ईएनटी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक माह की नवजात …

error: Content is protected !!