सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा में पहली बार हुआ दुर्लभ ऑपरेशन एवं पेनऑपटिक्स ट्राईफोकल से लैन्स प्रत्यारोपण
न्यूजवेव @ कोटा
नागदा की 58 वर्षीया लता अग्रवाल कुछ वर्षो से मोटापे, मेनियर्स डिजिज, हृदय व फेफड़ों की बीमारी के कारण सीधे लेटने में असमर्थ थी। पिछले 4 वर्षो से उनकी दायीं आंख की रोशनी धीरे-धीरे कम होती गई। परिजनों ने उन्हें इंदौर, उज्जैन,अहमदाबाद, चैन्नई सहित देश के अनेकों बड़े नेत्र संस्थानों में दिखाकर परामर्श लिया। जांच में उनकी आँखों में इन्टूमेशन्ट मोतियाबिन्द का पता चला, जिससे उनकी रोशनी बहुत ही कम हो चुकी थी। महिला रोगी मेनियर्स डिजीज के कारण ऑपरेशन टेबल पर सीधे लेटने में सक्षम नहीं थी, जिससे नेत्र सर्जन के लिए वे चुनौती बन गई।
सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेज़र सेन्टर, कोटा के नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश एवं डॉ. विदुषी पाण्डेय ने उनकी जांच कर ऑपरेशन थियेटर में लगभग आधे घंटे भिन्न-भिन्न स्थितियों में बिठाकर ऑपरेशन से पूर्व पूर्वाभ्यास (मॉक ड्रिल) किया। ऑपरेशन थियेटर की टेबल पर लेट पाने में असमर्थ होने के कारण उन्हें स्पेशल रिक्लाईनिंग बेड पर बिठाया गया तथा उनके पैरों को स्थिर रखा गया। उनकी ठोड़ी (चिन) को ऊपर उठाकर छत की तरफ देखने को कहा। आँखों में प्रोपेराकेन आई ड्रोप नामक टोपिकल एनिस्थिया का उपयोग कर, आँखों को सुन्न किया गया।
सर्जन ने फेको मशीन को पैरों से नियंत्रित किया
इस नाजुक स्थिति में कोटा डिवीजन नेत्र सोसायटी के अध्यक्ष एवं सुवि नेत्र चिकित्सालय के वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने 23 दिसंबर को समूचे ऑपरेशन को खड़े होकर सफलता से किया। गौरतलब है कि खड़ी हुई स्थिति में फेको पद्धति से मोतियाबिन्द ऑपरेशन करते समय सर्जन डॉ. पाण्डेय को ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप एवं फेको मशीन के फुट स्वीच को अपने पैरों से संभालना (एडजस्ट करना) भी चुनौतीपूर्ण रहा।
डॉ. पाण्डेय ने टोपिकल फेको इमल्सीफिकेशन पद्धति से मोतियाबिन्द को निकालकर 18.5 नम्बर का एलकॉन कम्पनी द्वारा निर्मित पेनऑपटिक्स लैन्स को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। करीब 30 मिनट में बिना इंजेक्शन, बिना टांके एवं बिना पट्टी बांधे ओ.टी. टेबल पर बैठाकर किए इस सफल ऑपरेशन के तुरन्त बाद लता अग्रवाल की 100 प्रतिशत रोशनी लौट आई। अब वे बिना चश्मा लगायें, पास व दूर तक स्पष्ट देखने में सक्षम हो गई हैं।
दुुनिया में यह पहला ऑपरेशन
विश्व में रिक्लाईनिंग बेड पर पहली बार किये गये मोतियाबिन्द ऑपरेशन एवं एलकॉन द्वारा निर्मित पेनऑपटिक्स ट्राईफोकल लैन्स प्रत्यारोपण को यू-ट्यूब से दुनियाभर के नेत्र सर्जन को साझा किया। विदेशी नेत्र चिकित्सकों ने इस दुर्लभ ऑपरेशन को सराहा। डॉ. सुरेश पाण्डेय रिक्लाईनिंग बेड पर बिठाकर सम्पन्न किये इस अनूठे अनुभव को बोस्टन (अमेरिका) में अमेरिकन सोसायटी ऑफ कैटरेक्ट एवं रिफ्रेक्टिव सर्जरी के अन्तर्राष्ट्रीय नेत्र महाधिवेशन में प्रस्तुत करेंगे। मेट्रो सिटी की तुलना में ऐसे जटिल ऑपरेशन कोटा जैसे छोटे शहरों में होने से यहां अन्य राज्यों सहित विदेशों के रोगी भी आने लगे हैं। इससे कोटा में मेडिकल टूरिज्म बढ रहा है।