नई किरण : नेत्र मुंबई से इंजीनियर दम्पत्ति ने कोटा आकर सुवि नेत्र चिकित्सालय में करवाया बेबी का दुर्लभ नेत्र ऑपरेशन
न्यूजवेव @ कोटा
5 माह की नन्ही यान्वी के लिए नववर्ष खुशियों का उजाला लेकर आया। नेशनल न्यूक्लियर कार्पोरेशन लि., मुंबई में इंजीनियर विक्रम शुक्ला की 5 माह की बेबी यान्वी को जन्म से ही मोतियाबिन्द था, जिससे उसकी दोनों आंखोें की रोशनी बहुत कमजोर हो गई। मुम्बई के नेत्र विशेषज्ञों ने छोटी सी उम्र में उसका मोतियाबिंद ऑपरेशन एवं लैन्स प्रत्यारोपण करना चुनौतीपूर्ण माना। पिता विक्रम परिचितों की सलाह पर बेटी को लेकर कोटा में सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेज़र पहुंचे।
वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.सुरेश पाण्डेय एवं डॉ.विदुषी पाण्डेय ने बेबी यान्वी को एनेस्थेसिया देकर दोनों आंखों की गहनता से जाँच की। उन्होंने पाया कि नन्ही बिटिया की दोनों आंखों में जन्मजात मोतियाबिन्द है।
उन्होंने टीम के साथ जेप्टो नैनोपल्स टेक्नोलॉजी जैसी अत्याधुनिक मशीन से बच्ची को जेप्टोरेक्सिस कर फेको एस्पेरिशन पद्धति से मोतियाबिन्द ऑपरेशन किया। उसकी दोनों आंखों में अमेरिकन मोनोफोकल लैंस दायीं आंख में प्लस 27 डायोप्टर एवं बायीं आंख में प्लस 28 डायोप्टर का सफल प्रत्यारोपण किया। उन्होंने दावा किया कि 5 माह के छोटे बच्चे में समूचे विश्व में अत्याधुनिक जेप्टो नैनोपल्स टेक्नोलॉजी द्वारा किया गया यह दुर्लभ ऑपरेशन है।
मोतियाबिन्द ऑपरेशन के बाद झिल्ली को दोबारा मोटी होने से रोकने के लिए पोस्टिरियर कैप्सुलोटोमी एवं एन्टीरियर विटेªक्टोमी नामक तकनीक प्रयोग की गई। गौरतलब है कि 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मोतियाबिन्द ऑपरेशन के दौरान केप्सुलोरेक्सिस मोतियाबिन्द की झिल्ली को गोलाई में हटाना जटिल सर्जरी है। क्योंकि ऐसे बच्चों में आंखों के लैन्स अत्यधिक लचीले होते हैं। जिसे 5 मिमी. की गोलाई में कर पाना नाजुक व चुनौतिपूर्ण होता है।
राज्य में यह तकनीक सिर्फ कोटा में उपलब्ध
मेडिकल साइंस में जेप्टो नैनोपल्स टेक्नोलॉजी के जरिये कुछ ही सैकंड में केप्सुलोरेक्सिस स्टेप को रोबोटिक तकनीक से करना सुरक्षित रहता है। डॉ. विदुषी ने बताया राजस्थान में यह नैनौ टेक्नोलॉजी सर्जरी सुविधा केवल कोटा में सुवि नेत्र चिकित्सालय पर उपलब्ध है। अब तक अधिक उम्र के 50 से अधिक नेत्र रोगियों के जेप्टो नैनोपल्स टैक्नोलॉजी द्वारा मोतियाबिन्द ऑपरेशन एवं लैन्स प्रत्यारोपण किये गये है।
नेत्र सर्जन डॉ.पाण्डेय ने जेप्टो रेक्सिस नामक तकनीक से किये गये चुनौतिपूर्ण मोतियाबिन्द ऑपरेशन को इण्डियन जनरल ऑफ्थेलमॉलोजी जर्नल में प्रकाशित किया है। बेबी यान्वी के पिता विक्रम ने बताया कि मेट्रो शहरों की तुलना में कोटा में एक तिहाई खर्च में यह दुर्लभ नेत्र सर्जरी संभव हो सकी। उन्होंने खुशी जताई कि कोटा से नन्ही बिटिया नववर्ष-2019 में जीवन में नया उजाला लेकर घर लौटेगी।