Saturday, 4 January, 2025

भक्त के बहते आंसू को हरि पौंछ जाते हैं- आचार्य त्रिवेदी

तलवंडी के अग्रसेन सभागार में तीन दिवसीय ‘नानी बाई को मायरो’ कथा का शुभारंभ
न्यूजवेव @कोटा
श्री फलौदी महिला मंडल सेवा समिति के तत्वावधान में राधाकृष्ण मंदिर तलवंडी के पास अग्रसेन सभागार में तीन दिवसीय ‘नानी बाई को मायरो’ कथा मंगलवार से प्रारंभ हुई। प्रथम सोपान में आचार्य पं.संजय कृष्ण त्रिवेदी ने नरसी मेहता चरित्र सुनाते हुये कहा कि नरसी का सम्पूर्ण जीवन द्वारिकाधीश के भक्ति भाव में तल्लीन रहा। भक्ति मार्ग पर घर से जलती मशाल लेकर चलते हुये जब हाथ झुलसने की परवाह नहीं कि तब राधे ने तत्काल भक्त को संभाल लिया था।


आचार्य पंडित त्रिवेदी ने एक प्रसंग में कहा कि 350 वर्ष पहले जूनागढ गुजरात में भक्त नरसी अपनी पत्नी को आश्वस्त कर द्वारिकाधीश से मिलने उत्तर दिशा में अकेले निकल पडे़। भाईयों ने भी साथ नहीं दिया। 7 दिन व 7 रात तक नरसी ने जंगल में अकेले महादेव और हनुमान की निरंतर पूजा की। भक्त का अटूट भाव देख भोलेनाथ ने पूछा, तुझे क्या चाहिये। समर्पित भाव से नरसी ने कहा मैं लौकिक और आप अलौकिक हैं। आपको जो सबसे प्रिय है मुझे दे दो। महादेव को श्रीकृष्ण राधा का रास पसंद था, उन्होंने पीतांबर पहनाकर ‘राग केदार’ भाव नरसी को दे दिया। इस दौरान मधुर भजन ‘गोकुल को देखो, वृंदावन देखो रे, बंशी बाजे रे, श्याम संग राधा नाचे रे..’ सुनकर सभी श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
आचार्य त्रिवेदी ने कहा कि जो भक्त भाव से भगवान के निकट हो जाते हैं, दुनिया उससे दूर हो जाती है। हमें भक्ति करने से भगवान के श्रीचरणों में अनुराग मिला है। अपने भक्ति में भाव, भजन और स्वरूप बदलने का प्रयास करें। भक्ति करने वालों पर जो हंसे, उन्हें हंसने दें।
उन्होंने कहा कि जिस घर के बाहर तुलसी, गौमाता और भगवान का नाम लिखा हो उस घर को पहचानने में भगवान को देर नहीं लगती लेकिन आजकल हम संस्कृति बदल रहे हैं। कई घरों के बाहर लिखते हैं- कुत्ते से सावधान। उस घर में भगवान कैसे प्रवेश करेंगे। संस्कार नहीं मिलने से युवा घर में बुजुर्गों के पास नहीं बैठते हैं, सिर्फ मोबाइल के पास बैठते हैं। जिस घर में भगवान का भजन चल रहा हो, वहां दुख नहीं आ सकता। जो अपनी सारी व्यवस्था ठाकुरजी के हाथों में सौंप देते हैं उन पर कोई भार नहीं रह जाता है।
आज मांगने से संबंध खत्म हो रहे
आचार्य पं. त्रिवेदी ने कहा कि आजकल विवाह समारोह में मांगने से ही संबंध खराब हो रहे हैं। दहेज का व्यवहार में लिया जा रहा है। समधि का अर्थ है जहां समान बुद्धि हो। लेकिन आजकल सारी बुद्धि लेनेदेन पर टिकी है। इसीलिये संबंध टूट जाते हैं। नरसी जैसा गरीब भक्त अपनी बेटी नानी बाई के मायरो की ढेर सारी मांगे कहां से पूरी करता। उसने पीपल के पेड़ में झुककर जैसे ही द्वारिकाधीश को कुमकुम पत्रिका भेंट की तो ठाकुरजी प्रकट हो गये और बोले, मैं नानी बाई के मायरो में जरूर आउंगा। नरसी के सारे भार को हरि ने हर लिया। उन्होंने भजन ‘जहां कोई नहीं आता, गोपाल आते हैं, मेरी नैया चलती है, पतवार नहीं मिलते, मेरे बहते आंसू को हरि पौंछ जाते हैं..’ सुनाकर भक्त और भक्ति के दृष्टिकोण को समझाया।

भव्य शोभायात्रा निकाली

मेडतवाल वैश्य समाज सेवा समिति कोटा के अध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता एवं फलौदी महिला मंडल की अध्यक्ष श्रीमती शारदा गुप्ता ने बताया कि मंगलवार सुबह मेडतवाल समाज द्वारा राधाकृष्ण मंदिर से कथा स्थल तक पारंपरिक वेशभूषा में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शाम को सैकडों श्रद्धालुओं ने सभागार में महाआरती की। अंत में इस धार्मिक आयोजन में आर्थिक सहयोग करने वाले समाजबंधुओं को व्यासपीठ पर सम्मानित किया गया।

(Visited 157 times, 1 visits today)

Check Also

श्रीमद भागवत सुनने से बढ़ता है श्रीकृष्ण के चरणों में अनुराग -आचार्य तेहरिया

भव्य कलश यात्रा के साथ नंदवाना भवन में हुआ श्रीमद भागवत कथा महोत्सव का शुभारंभ …

error: Content is protected !!