नंदवाना भवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा में जीवंत हुआ श्रीकृष्ण-रूकमणी विवाह
न्यूजवेव @कोटा
महावीर नगर विस्तार के नंदवाना भवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन आचार्य पं. कैलाशचंद्र तेहरिया ने कहा कि द्वारिकाधीश में प्रगाढ आस्था और अटूट निष्ठा रखने वाले भक्त जब मन से ठाकुरजी का स्मरण करते हैं तो उनके सारे विध्न और पाप धुल जाते हैं। आज कोई तन से दुखी है तो कोई धन से व्यथित है लेकिन जिनका मन सांवरिया से मिल रहा हो, उनके चेहरे पर मुस्कान तैरती है। ठाकुरजी के दर्शन में उनकी दिव्य मुस्कान भक्तों से छिपती नहीं है, इसलिये उनके भक्त भी सदैव दर्शन करके प्रसन्न रहते हैं।
खचाखच भरे पांडाल में उन्होंने कहा कि रूकमणी ने अटूट भक्ति करते हुये ठाकुरजी को पाने के लिये मुकुंद नाम से पत्र लिखा। श्रीकृष्ण मुक्ति प्रदाता हैं, इसलिये रूकमणी ने लिखा हे प्रभू, मुझे शशिपाल से मुक्ति दिलाकर अपनी शरण में रखना। ‘कब आयेगा मेरा सांवरिया…’ गाते हुये रूकमणी ने श्रीहरि की लंबी प्रतीक्षा की। 25 वर्ष की अवस्था में श्रीकृष्ण गृहस्थाश्रम में प्रवेश करने के लिये द्वारिका आ गये। माता देवकी ने गणपति पूजा की। पहले रिद्धि-सिद्धि से गणेशजी का विवाह हुआ। उसके पश्चात् श्रीकृष्ण-रूकमणी का मंगल विवाह हुआ जो सारी द्वारिका के कण-कण में मानो श्रीकृष्ण का वास हो गया।
संगीतमय कथा में सुमधुर भजनों के साथ श्रीकृष्ण-रूकमणी विवाह की जीवंत झांकी में सैकडों श्रद्धालुओं ने भावपूर्ण पूजन एवं दर्शन किये। आचार्य तेहरिया ने कहा कि जो भक्त अनासक्त भाव से ठाकुरजी से मन लगा लेता है वह कर्मबंधन से मुक्त हो जाता है। जो प्रभू से प्रीति रखते हैं वे भवसागर पार हो जाते हैं। सांसारिक जीवन में हमेशा अपने दोष देखें, दूसरों के दोष देखने या निंदा करने से स्वयं दोषी हो जाते हैं। 50 की उम्र के बाद ठाकुरजी आपको अपने पास बुलाने लगते हैं। कथा-सत्संग में पहुंचकर अपना खाली समय श्रीहरि के जप में अवश्य लगायें।
कथा आयोजक समाजसेविका श्रीमती अनोख गुप्ता एवं उनके सुपुत्र रोहित गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार को कथा समापन दिवस पर श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन एवं भागवत सार पर प्रवचन होंगे। गुरूवार को मेडतवाल वैश्य समाज कोटा के सैकडों श्रद्धालुओं ने महाआरती में भाग लिया। अंत में प्रसाद वितरण किया गया। इस भागवत कथा का सीधा प्रसारण यू-ट्यूब पर गुरू दर्शन चैनल पर नियमित किया जा रहा है। जिससे देशभर के भक्तों को कथा प्रवचन का आनंद मिल रहा है।