श्री फलौदी महिला मंडल द्वारा आयोजित ‘नानी बाई रोे मायरो’ का भव्य समापन
न्यूजवेव @कोटा
श्री फलौदी महिला मंडल सेवा समिति द्वारा आयोजित ‘नानी बाई रोे मायरो’ भक्तमाल कथा का गुरूवार को मांगलिक हर्षोल्लास के साथ समापन हुआ। मेड्तवाल वैश्य समाज की विभिन्न पंचायतों से आये सैकडों समाजबंधुओं ने मायरो उत्सव में उत्साह से भाग लिया। इस अवसर पर एक जीवंत झांकी में ठाकुरजी व रूकमणी रथ पर मायरो लेकर जूनागढ होते हुये अंजार नगर में नानी बाई के घर पहुंचे। जहां प्रतीक्षारत नरसी भगत एवं 16 सूरदास संतों ने करूणा के आंसू बहाते हुये आंखें खोली तो सांवरिया के दर्शन पाकर धन्य हो उठे।
आचार्य पं.संजय कृष्ण त्रिवेदी ने अंतिम सोपान में कहा कि भक्त नरसी सारे अभावों में रहकर भी ठाकुरजी की भक्ति से लीन रहे। उनसे प्रेरणा लेकर हम गृहस्थ धर्म में हर कष्ट सहना सीखें। आज हमारा व्यवाहार ही हमें परेशान कर रहा है। हमारे हृदय में नरसी जैसा करूणाभाव हो, सबको अपने जैसा मानें, युधिष्ठिर की तरह अजातशत्रु बने, जिसका कोई दुश्मन नही हो। जो अपमान में भी समाधान ढूंढ ले वहीं भक्त है।
पैसे की पहचान यहां, इंसान की कीमत नहीं
आचार्य त्रिवेदी ने एक छंद में कहा कि आज हर घर में धन के अभाव से अशाति व क्लेश है। कोटा में मथुराधीशजी विराजित हैं। हर घर में ठाकुरजी को सर्वस्व मानकर उनकी सेवा हो। जहां भक्ति के भाव होंगे वहां देवों का वास होगा। ‘नानीबाई रो मायरो’ संबंधों की कथा है। जब नानी बाई ने द्वारिकाधीश को भाई मानकर गाया- ‘थारी चाकरी में चूक कोनी राखूं सांवरिया..।’ तो ठाकुरजी ने मायरे को संभाल लिया।
मायरो पर एक गरीब घर की बेटी का प्रसंग सुनाते हुये उन्होंने कहा कि समाज के रीति रिवाजों के लिये किसी गरीब घर की बेटी को धन के लिये परेशान मत करना। बेटा हुआ है तो उसके लिये बहु से धन लेने का भाव निकाल दो। पिता द्वारा ‘दाय जन्य’ को दहेज कहते हैं जो 225 देशों में सिर्फ भारत में ही प्रचलित है। बेटे-बेटी को समान भाव से देखो। आज कई परिवारों में जमीन जायदाद के लिये नीयत बदल रही है।
उन्होंने महिलाओं से अपील की कि वे खुद को लक्ष्मी स्वरूप में मानें। तीन माह तक रोज सुबह स्नान करके रसोई में जायंे। दूसरा, गुरूवार छोडकर घर में मंदिर या दरवाजे के बाहर देसी गौमाता के गोबर का लेप कर दें। गौमाता ठाकुरजी का ही स्वरूप है। इसके बाद घर में हमेशा शांति रहेगी। यह परिवर्तन करके देखें।
जब नरसी की आंखों से आंसू झरने लगे
अंत में मार्मिक मायरो प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि सांवरिया को आधी रात में भक्त नरसी की चिंता हुई। रूकमणी ने ठाकुरजी से बोली कि किसी भक्त ने मांगलिक प्रसंग में बुलाया है तो मैं भी साथ चलूंगी। वे मुनीम बन गाडी में मायरा लेकर चल पडे़। रंगजी के घर पहुंच कर नरसी का प्रताप बढाते हुये बोले, मेरे उपर सेठ नरसी की कृपा है। उन्होने मुझे मायरा लाने के लिये बोला था। यह सुन भक्त नरसी की आंखों से आंसू झरने लगे। सांवरिया ने अपने गरीब भक्त की लाज रख ली।
मेडतवाल वैश्य समाज सेवा समिति के अध्यक्ष राधेश्याम गुप्ता बोबस एवं श्री फलौदी महिला मंडल सेवा समिति की अध्यक्ष श्रीमती शारदा गुप्ता ने बताया कि मेडतवाल समाजबंधुओं के सहयोग से हुई इस कथा में बाहर से भी बडी संख्या में समाजबंधु शामिल हुये। गुरूवार को नानी बाई रो मायरो की भव्य झांकी में विवाह जैसा मांगलिक उल्लास छाया रहा। मायरे की रस्म में महिलाओं ने उत्साह से भाग लिया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं का आभार जताया। छप्पनभोग के रूप में महाप्रसादी वितरण हुआ।