UGC की धारा-12 बी की मान्यता नहीं होने से छूट से वंचित रह सकती है तीन चौथाई प्राइवेट यूनिवर्सिटी
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कुछ दिन पूर्व घोषणा की है कि देश के सभी मान्यता प्राप्त सरकारी व निजी उच्च शिक्षा संस्थानों को पेटेंट शुल्क में एक समान 80 प्रतिशत छूट दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए दुनिया में सबसे कम पेटेंट शुल्क सिर्फ भारत में ही होगा। लेकिन शिक्षाविदों ने आशंका जताई कि यह छूट देश की सभी यूनिवर्सिटी को नहीं मिल पायेगी।
केंद्र सरकार UGC अधिनियम,1956 की धारा 12 (बी) के तहत केवल मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों को ही इस छूट में शामिल करने की योजना बना रही है, जिससे 1000़ से अधिक यूनिवर्सिटी में से केवल 370 यूनिवर्सिटी को ही यह लाभ मिल सकेगा।
इससे पहले केंद्रीय उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग ने पेटेंट (संशोधन) नियम 2003 में संशोधन के प्रस्ताव पर 9 मार्च, 2021 तक सुझाव या आपत्ति मांगी थी। मार्च माह में देशभर की प्राइवेट यूनिवर्सिटी और संस्थानों के कुलपतियों, सेवानिवृत्त प्रोफेसरों, वरिष्ठ संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और छात्रों ने भी अपने शैक्षणिक संस्थानों को संशोधन प्रस्ताव के तहत शामिल करने के लिए सुझाव दिये थे।
केंद्रीय मंत्री द्वारा पेटेंट शुल्क में 80 % की एक समान छूट देने की घोषणा से शोधकर्ताओं के समूह की आशा जागृत हुई थी। लेकिन बौद्धिक संपदा अधिकार विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार और डीपीआई आईटी देश की सभी प्राइवेट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को इस छूट की श्रेणी में शामिल करने के मूड में नहीं हैं, जिससे तीन चौथाई शोधकर्ताओं को यह छूट नहीं मिल पायेगी।
आईपी मोमेंट सर्विसेज के निदेशक डॉ. परेश कुमार सी. दवे ने कहा कि यदि डीपीआई आईटी सभी प्राइवेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं, छात्रों और संकाय सदस्यों को पेटेंट शुल्क में 80 % रियायत का लाभ नहीं देती है तो इससे देश में नवाचार संस्कृति को गहरा धक्का लगेगा। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की परिकल्पना को साकार करने के लिये देश में निजी उच्व शिक्षा संस्थानों के शिक्षकों, शोधकर्ताओं एवं विद्यार्थियों को भी साथ लेना होगा।