एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा द्वारा ‘रिसर्च एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकार संरक्षण‘ पर वर्चुअल राष्ट्रीय कार्यशाला
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
‘शिक्षा मंत्रालय द्वारा उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय सर्वे के अनुसार, देश में 1,69,170 स्टूडेंट्स पीएचडी कर रहे हैं, यह संख्या देशभर के कॉलेजों में कुल नामांकित विद्यार्थियों का 0.5 प्रतिशत ही है। निकट भविष्य में कॉलेज एवं यूनिवर्सिटी स्तर पर रिसर्च कार्यों को प्रोत्साहित करना होगा।
सर्वे में सामने आया कि देश के 34.9 प्रतिशत कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कोर्स हैं। इसमें से मात्र 2.5 प्रतिशत कॉलेजों में ही पीएचडी उपाधि लेने की सुविधा है।’ एमिटी यूनिवर्सिटी नोएडा में साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डीन प्रो. सुनीता रत्तान ने ‘एडवांस स्किल इन रिसर्च एवं बौद्धिक सम्पदा अधिकार’ विषय पर पांच दिवसीय वर्चुअल कार्यशाला का उद्घाटन करते हुये यह बात कही।
उन्होंने कहा कि आमतौर पर पीएचडी स्तर पर इंजीनियरिंग एवं तकनीक से जुडे़ विद्यार्थी ही नये अनुसंधान करने में रूचि लेते हैं। जबकि स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स में सोशल साइंस एवं मैनेजमेंट कोर्स वाले स्टूडेंट्स अधिक होते हैं। इनमें से बहुत कम विद्यार्थी अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढते हैं।
कार्यक्रम निदेशक प्रो. संगीता तिवारी ने बताया कि एमिटी यूनिवर्सिटी ने देश के विभिन्न कॉलेजों के 500 शोधकर्ताओं को एडवांस रिसर्च एवं आईपीआर संरक्षण पर नवीनतम जानकारी देने के लिये राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की है। वर्चुअल कार्यशाला में पहले दिन आईपीआर विशेषज्ञ डॉ. अमरीश, पूजा एवं डॉ साक्षी ने उपयोगी प्रजेंटेशन दिये। इस सत्र में प्रोग्राम कोर्डिनेटर डॉ. क्रिस्टीन जैसलीन, डॉ. अशोक कुमार, डॉ. अनीता एवं डॉ.शेफाली सहित कई शिक्षाविदों ने भाग लिया।
हर अनुसंधान का भारतीय पेटेंट जरूरी
कार्यशाला में आईपी मोमेंट और आईपीआर फॉर सोसाइटी के संस्थापक डॉ. परेशकुमार सी. दवे ने कहा कि अब हमें रिसर्च के क्षेत्र में आईपीआर को मजबूत करना चाहिये। उन्होंने आईपीआर के साथ भारत में पेटेंटिंग अभियोजन प्रक्रिया पर भी संवाद किया, जिसमें 250़ प्रतिभागियों ने सवाल-जवाब कियें। राजस्थान से कई पीएचडी शोधार्थियों ने वर्कशॉप में भाग लिया।
डॉ. दवे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ परिकल्पना को साकार करने के लिये आईपीआर को और अधिक मजबूत करना चाहिए। देश के हर क्षेत्र में नवीन टेक्नोलॉजी पर आधारित शोध कार्य बढाये जायें। इसके लिये हमें बौद्धिक संपदा अधिकार पर आधारित अर्थव्यवस्था बनानी होगी। सत्र का संचालन रसायन विज्ञान विभाग के फैकल्टी डॉ मनोज राउला ने किया। डॉ. शैली ने शोध में नैतिकता पर उत्कृष्ट संवाद किया। 11 जून तक इस कार्यशाला में देश के प्रमुख विशेषज्ञ एवं अनुभवी शोधकर्ता व्याख्यान देंगे।