न्यूजवेव@नईदिल्ली
कोविड-19 के चलते सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन,नई दिल्ली सहित देश के कई माध्यमिक शिक्षा-बोर्ड द्वारा 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं को आंशिक तौर पर निरस्त किया गया था। परीक्षाओं के निरस्त होने के कारण सीबीएसई सहित कई स्टेट बोर्ड द्वारा अंक-आंकलन के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई थीं।
एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि अंक-आंकलन की उपरोक्त वैकल्पिक व्यवस्थाओं द्वारा विद्यार्थी की प्रतिभा का सही मापन संभव नहीं था फलस्वरूप बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थी द्वारा अर्जित अंको का कोई विशेष महत्व नहीं रह जाता। उल्लेखनीय है कि देश के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों आईआईटी, एनआईटी तथा सेंट्रल फंडेड टेक्निकल इंस्टिट्यूट सीएफटीआई में प्रवेश हेतु 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75% अंक अथवा बोर्ड के टॉप-20-परसेंटाइल में शामिल होना आवश्यक है।
विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं शिक्षकों की मांग थी कि वर्ष-2020 में बोर्ड परीक्षाओं में आंकलन वैकल्पिक व्यवस्था द्वारा किया गया है। ऐसी स्थिति में 75% तथा टॉप 20-परसेंटाइल का क्राइटेरिया औचित्यहीन हो जाता है। आईआईटी में प्रवेश हेतु नियामक संस्था ज्वाइंट एडमिशन बोर्ड द्वारा इस पर विचार किया गया एवं अंततः तार्किक निर्णय लेते हुए वर्ष-2020 हेतु उपरोक्त क्राइटेरिया को समाप्त कर दिया गया है।
एमएचआरडी मंत्री रमेश पोखरियाल “निशंक” द्वारा ऑफिशियल टि्वटर हैंडल से उपरोक्त 75% एवं टॉप-20-परसेंटाइल की बाध्यता को समाप्त करने की जानकारी कल 17-जनवरी रात को जारी की गई। हालांकि इसकी विस्तृत जानकारी फिलहाल वेबसाइट पर नही दी गई है।