न्यूजवेव @ कोटा
जेईई-मेन-2020 के जनवरी अटेम्प्ट में ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथी 10 अक्टूबर रही, जिसमें अभ्यर्थी फीस 11 अक्टूबर रात्रि 11ः50 तक जमा कर सकते हैं। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा वर्ष में दो बार जनवरी एवं अप्रैल में आयोजित होने वाली ऑनलाइन इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन में छात्रों की तुलना में छात्राओं की भागीदारी 30 प्रतिशत से अधिक नहीं है। आईआईटी में छात्राओं का प्रतिशत बढाने के लिये प्रतिवर्ष जेईई-एडवांस्ड परीक्षा में गर्ल्स सुपर न्यूमरेरी सीटों का रिजर्वेशन बढाया जा रहा है, इसके बावजूद आईआईटी में छात्राओं की भागीदारी 20 प्रतिशत तक नहीं पहुंच सकी है।
दूसरी ओर, मेडिकल कॅरिअर में छात्राओं का रूझान बढ़ने से उनकी भागीदारी 55 प्रतिशत तक पहुंच गई है। वर्ष 2020 में एम्स व जिपमेर को भी नीट में शामिल कर देने से छात्राओं की रूचि मेडिकल में तेजी सेे बढ़ रही है। मेडिकल एकल प्रवेश परीक्षा में छात्राओं का अनुपात छात्रों से अधिक बढ़ जाने से वे रिजर्वेशन की मोहताज न होकर दक्षता से चयनित हो रही हैं।
एक्सपर्ट देव शर्मा के अनुसार, वर्ष 2019 के आंकडों पर गौर करें तो जनवरी-2019 बी-टेक के लिए कुल 9,29,198 विद्यार्थियों ने रजिस्टर किया था उनमें से महिला अभ्यर्थियों की संख्या मात्र 2,86,706 अर्थात मात्र 30 प्रतिशत ही थी। जबकि नीट-2019 में कुल 14.10 लाख अभ्यर्थियों में से लगभग 8 लाख छात्राए थी।
आईआईटी में छात्राओं का अनुपात बढाने के लिये आईआईटी काउंसिल द्वारा सत्र 2019-20 में 17 प्रतिशत सुपर न्यूमरेरी सीटें आरक्षित की गई थी। जिससे कुल 2415 बीटेक सीटों पर गर्ल्स ने दाखिला लिया। जेईई एडवांस- 2019 में चयनित 38,705 विद्यार्थियों में से 5,356 छात्राएं शामिल थीं। अर्थात 2 में से एक छात्रा को आईआईटी में सीट मिलना तय था। इसके बावजूद आईआईटी में छात्राओं का अनुपात नहीं बढना कई सवाल खडे़ कर देता है।
55 फीसदी बेटियां डॉक्टर और 30 फीसदी इंजीनियर बनने की दावेदार
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