पूर्व भाजपा विधायक प्रहलाद गुंजल ने नगर निगम अधिकारियों को चेताया, पट्टा जारी किया तो भाजपा सरकार आने पर जाएंगे जेल
न्यूजवेव@ कोटा
कोटा उत्तर विधानसभा के पूर्व भाजपा विधायक प्रहलाद गुंजल ने स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल पर नियमों का उल्लंघन कर कोटा शहर में स्वयं की नवरंग होटल का पट्टा लेने का आरोप लगाया है। पूर्व विधायक गुंजल ने पत्रकारों से कहा कि शहर में कलेक्ट्री चौराहे पर लगभग 50 वर्षों से मंत्रीजी के परिवार द्वारा नवरंग होटल संचालित की जा रही है। इन दिनों राजस्थान सरकार द्वारा चलाए जा रहे पट्टा वितरण अभियान में यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी नवरंग होटल के पट्टे के लिए आवेदन किया है। इस गंभीर आरोप से कोटा में चुनावी राजनीति गरमा गई है।
उन्होंने बताया कि नगर निगम ने सार्वजनिक आपत्ति सूचना में स्टेट ग्रांट एवं धारा 69-ए के तहत 7 दिन में जनता से आपत्तियां मांगी हैं। गुंजल ने स्पष्ट किया कि जहां यह होटल है वह पूरा क्षेत्र प्लान एरिया में आता है एवं नगर विकास न्यास (यूआईटी) के गठन से पूर्व सीआईटी ने उक्त पॉश कॉलोनी को बसाया था। उस समय इस कॉलोनी के पट्टे भी जारी किये थे। यदि मंत्री धारीवाल के परिवार ने भी उक्त भूखण्ड सीआईटी के माध्यम से भूखण्ड खरीदा होता तो उनके पास भी इसका पट्टा अवश्य होता। जबकि दस्तावेज के नाम पर इनके पास मात्र माताजी द्वारा सन् 1993 में लिखी वसीयत है। उसी वसीयत को मंत्री शांति धारीवाल ने नगर निगम में पट्टा आवेदन के साथ दस्तावेज के तौर पर लगाया है, जो कि आपत्तिजनक है।
स्टेट ग्रांट एक्ट में भी पात्र नहीं
इतना ही नहीं, मंत्री स्टेट ग्रांट एक्ट में भी होटल की भूमि का पट्टा लेने के पात्र नहीं हैं। क्योंकि स्टेट ग्रांट एक्ट आजादी से पूर्व बसी अनियोजित कॉलोनियों को पट्टा जारी करने के लिए लागू किया गया था। इस तरह के पट्टे रामपुरा, लाडपुरा, अग्रसेन बाजार, बजाजखाना आदि क्षेत्रों में जारी किये जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मंत्री शांति धारीवाल ने अग्रसेन बाजार में पैतृक मकान का ग्रांट एक्ट का पट्टा बनवाया है तो उस पर कोई आपत्ति नहीं है। क्योंकि वह स्टेट ग्रांट एक्ट के तहत वैध हैं।
गुंजल ने बताया कि कोटा उत्तर विधानसभा क्षेत्र की सिविल लाईंस नयापुरा, भगतसिंह कॉलोनी, डडवाड़ा जैसी कॉलोनियां सन् 1958 में सिटी इन्प्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा प्लान की गई कॉलोनियां थीं, ऐसी कॉलोनियों में स्टेट ग्रांट या धारा 69ए के तहत पट्टा जारी किया जाना न्यायोचित नहीं है। क्योंकि यहां ये दोनों नियम लागू नहीं होते हैं।
उन्होंने इस प्रकरण में नगर निगम कोटा में लिखित आपत्ति दर्ज कराई है। साथ ही राजस्थान हाईकोर्ट में भी उक्त आवेदन को लेकर याचिका दायर की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि नगर निगम के उच्च अधिकारियों ने मंत्री के दबाव में अवैधानिक तरीके से पट्टा जारी कर दिया तो जब एकल पट्टा प्रकरण में किसी भी आईएएस को जेल हो सकती है। प्रदेश में भाजपा सरकार आने पर एसीबी से जांच करवाकर पट्टा जारी करने वाले दोषी अधिकारियों को भी कारावास भोगनी पड सकती है।
मंत्री नैतिकता के नाते सरेंडर करें होटल
पूर्व विधायक गुंजल ने कहा कि पिछले दिनों मंत्री शांति धारीवाल ने अलवर में धारा 69-ए को जादुई बताया था, यह बात अब समझ में आ गई कि यह धारा सिर्फ उनके लिए ही जादुई काम कर रही है। उन्होंने कहा कि एकल पट्टा प्रकरण और अब सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए नवरंग होटल की करोड़ों रूपयों की जमीन पर कब्जा होने की बात स्वीकार करें एवं नैतिकता के नाते उक्त उक्त जमीन व होटल को सरकार को सरेंडर कर दें।
सीएम जीरो टोलरेंस नीति पर उठे सवाल
पूर्व विधायक गुंजल ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस नीति अपनाने का दावा करते हैं, जबकि उनके ही केबिनेट मंत्री शांति धारीवाल पर एकल पट्टा प्रकरण मामले में हाईकोर्ट ने फिर से आईपीएस अधिकारी से जांच कराने के आदेश दिये हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि एक पुलिस अधिकारी प्रभावशाली मंत्री की जांच करने की हिम्मत कैसे कर सकता है। यदि मुख्यमंत्री सच में ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेस की नीति को लेकर ईमानदार हैं, तो उन्हें मंत्री शांति धारीवाल को बर्खास्त कर दोनों प्रकरणों की निष्पक्ष जांच करानी चाहिए।
भाजपा सरकार में किया था संशोधन
पूर्व विधायक गुंजल ने कहा कि नगर पालिका अधिनियम 2009 में संशोधन कर हमारी सरकार ने 2015 में धारा-69ए को जोड़ा था। जिसमें नगरीय सीमा में गैर कृषि भूमियां, गैर मुमकिन आबादी, या बीमारू उद्योग एवं स्वामित्व धारण करने वाली भूमियो के भूधारकों को पट्टे जारी करने के लिए बनाई गई थी, ना कि किसी अतिक्रमी को स्थाई करने के लिए यह प्रावधान किया गया था।