एमएचआरडी के प्रस्ताव के अनुसार, बीटेक में कमजोर छात्रों को आईआईटी से छह सेमेस्टर के बाद बाहर निकलने का विकल्प मिल सकता है।
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
देश के सभी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs), अकादमिक रूप से कमजोर छात्रों को तीन साल में डिग्री पूरी करने की अनुमति दे सकते हैं। हालांकि यह डिग्री बी.टेक की नहीं होगी। आईआईटी 3 साल में इंजीनियरिंग में B.Sc.की डिग्री दे सकता है। यह प्रस्ताव आईआईटी परिषद की बैठक के एजेंडे पर है।

मानव संसाधन विकास मंत्री की अध्यक्षता वाली परिषद सभी 23 आईआईटी संस्थानों की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। वर्तमान में, सभी आईआईटी में अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एनरोल्ड छात्रों को 8 सेमेस्टर या 4 वर्ष पूरा करने के बाद बी. टेक की डिग्री प्रदान की जाती है। हालांकि, कमजोर ग्रेड वाले कई स्टूडेंट्स बीच में ही आईआईटी छोड़ देते है।
इस वर्ष 2461 को IIT से निकाला
इस वर्ष संसद में एमएचआरडी द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, बी.टेक और पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में पिछले दो वर्षों से 2,461 स्टूडेंट्स विभिन्न आईआईटी से बाहर हो गए। इनमें कमजोर शैक्षणिक प्रदर्शन के कारण निष्कासन के मामले भी शामिल हैं। इस वर्ष आईआईटी कानपुर ने ग्रेड में गिरावट आने पर 18 छात्रों को निष्कासित कर दिया, जिनमें से आधे बीटेक स्टूडेंट्स थे।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जो प्रस्ताव दिया है वो छात्रों को आईआईटी से 6 सेमेस्टर के बाद बाहर निकलने का विकल्प प्रदान करेगा। काउंसिल के मुताबिक, आईआईटी को इस प्रस्ताव को मंजूर करने के लिए कहा गया है। ये पढ़ाई में कमजोर छात्रों को दूसरे सेमेस्टर के बाद B.Sc. (इंजीनियरिंग) के चयन की अनुमति देगा। यह कोर्स तीन वर्ष बाद पूरा हो जाएगा बशर्ते छात्र न्यूनतम शैक्षणिक मानकों को पूरा कर चुके हो।
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