भारत विकास परिषद अस्पताल के हार्ट सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने मसूम के दिल में छेद का निःशुल्क किया ऑपरेशन
न्यूजवेव@ कोटा
झालावाड़ जिले के डग कस्बे के डेढ़ वर्षीय मासूम नीतेश मेघवाल के दिल में छेद होने से उसका शरीर नीला पडने लगा था, उसे घबराहट व चलने-फिरने में परेशानी होने लगी तो परिजनों ने उसे आंगनबाडी केंद्र में दिखाया। वहां पहुंची आरएसबीके टीम के डॉक्टर्स ने स्केनिंग में दिल में छेद का पता चलने पर उसे झालावाड़ रैफर कर दिया। जिला स्तर पर जांच के बाद बालक को भारत विकास परिषद अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ के पास भेजा गया।
भारत विकास परिषद चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के कार्डियक सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा एवं उनकी टीम ने जांच करके उसके दिल का सफल ऑपरेशन कर जान बचाई। लगभग डेढ़ लाख रू. खर्च में होने वाला यह ऑपरेशन राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत पूरी तरह निःशुल्क हुआ।
कार्डियक सर्जन डॉ. सौरभ ने बताया कि कोटा में हुई जांच में बच्चे में टेट्रालॉजी ऑफ फेलोट बीमारी स्केन हुई, जिसमें दिल में छेद, फेफड़ों की महाधमनी सिकुड़ी हुई थी, चेम्बर के औसत से बड़ा होने के साथ ही हृदय घूमा हुआ था। उन्होंने इसे चुनौतीपूर्ण मानते हुए बच्चे के दिल का सफल ऑपरेशन किया।
याद रहे कि देशभर में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत निर्धन परिवार के गंभीर रोगों से पीडित बच्चों का ऑपरेशन व इलाज निःशुल्क होता है।
1000 में 8 बच्चों को होती है यह जन्मजात बीमारी
कार्डियक सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा के अनुसार, लगभग 1000 में 8 बच्चे जन्मजात ह्रदय की बीमारी के साथ पैदा होते हैं। जन्म के तुरंत बाद बच्चे के शरीर का नीलापन ठीक नहीं होने पर टेट्रालॉजी ऑफ फेलॉट या ट्रांसपोजीशन ऑफ ग्रेट आर्टरीज नामक विकार होने की संभावना होती है। सांस तेज चलती रहे तो हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम और ह्रदय के अन्य विकारों के होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। ह्रदय के विकारों से ग्रस्त ज्यादातर बच्चों में ये विकार जन्म के तुरंत बाद अपना असर नहीं दिखाते, कुछ बड़े होने पर बीमारियों के दौरान या सामान्य जांच के दौरान इनकी पहचान होती है।