केेंद्रीय वित्त मंत्रालय ने दिया स्पष्टीकरण, नागरिक संगठनों ने कहा, इससे जनता पर दोहरी मार पडेगी
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
कोरोना वैश्विक महामारी के चलते भारत के कई राज्यों में तेजी से फैलता सोसायटी इंफेक्शन जनजीवन को प्रभावित कर रहा है। इसके फैलाव को रोकने के लिये सरकार ने जनजागरूकता अभियान में आम जनता को सुरक्षित बने रहने के लिये हैंड सेनेटाइजर का उपयोग करने की सलाह दी है। एल्कोहल युक्त हैंड सेनेटाइजर के उपयोग सेे इसकी खपत भी कई गुना बढ़ी है। ऐसे में जनसंगठनों ने आवाज उठाई कि केंद्र सरकार हैंड सेनेटाइजर को जीएसटी से मुक्त करके आम जनता को तत्काल राहत दे।
इधर, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बुधवार 15 जुलाई को स्पष्ट किया कि एल्कोहल आधारित हैंड सेनिटाइजर पर जीएसटी 18 प्रतिशत की दर से लिया जा रहा है। सेनिटाइजर साबुन, एंटी-बैक्टीरियल तरल, डिटॉल आदि कीटाणुनाशक हैं जिन पर जीएसटी की मानक दर 18 प्रतिशत है।मंत्रालय ने सफाई दी कि विभिन्न वस्तुओं पर जीएसटी की दरें जीएसटी परिषद द्वारा तय की जाती हैं जहां केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारें एक साथ विचार-विमर्श करती हैं और निर्णय लेती हैं। चूंकि हैंड सेनिटाइजर के निर्माण में काम आने वाली सामग्री में रसायन पैकिंग सामग्री, सामग्री (इनपुट) सेवाएं हैं जिन पर 18 प्रतिशत की जीएसटी दर लगती है।
सरकार का मानना है कि सैनिटाइजर और ऐसी अन्य वस्तुओं पर जीएसटी दर को कम करने से उल्टे शुल्क ढांचे (इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर) को बढ़ावा मिलेगा, जिससे घरेलू निर्माताओं व आयातकों को नुकसान उठाना पड सकता है। जीएसटी दरें कम करने पर आयात दरें भी घटेगी जो आत्मनिर्भर भारत की राष्ट्रीय नीति के खिलाफ है। यदि घरेलू विनिर्माण को उल्टे शुल्क ढांचे (इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर) के कारण नुकसान होता है तो उपभोक्ता भी कम जीएसटी दर से लाभान्वित नहीं हों सकेंगे। इसलिये जनता को हैंड सेनेटाइजर पर 18 प्रतिशत जीएसटी ही देना होगा।
नागरिक संगठनों ने इसका विरोध करते हुये सरकार से मांग की कि पिछले 5 माह में भारत में एल्कोहलयुक्त हैंड सेनेटाइजर की बिक्री से कंपनियों को करोड़ो रूपये की आय हुई है, ऐसे में गरीब जनता से 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल करना न्यायसंगत नहीं है। जनता पर इससे दोहरी आर्थिक मार पड़ रही है। इसलिये सरकार हैंड सेनेटाइजर को जीएसटी मुक्त करने की घोषणा करे।