Thursday, 12 December, 2024

मच्छरों के लार्वा खत्म करती है थर्मल की राख

तापीय बिजलीघरों की फ्लाई एश को खाली भूखंडों एवं गड्डों में भरवाकर जनता को मौसमी बीमारियों से बचाया जा सकता है
न्यूजवेव @ कोटा
लगातार हो रही बरसात के कारण शहरों में कई आवासीय कॉलोनियों व बस्तियों के खाली गढ्डों में पानी जमा होने से मौसमी बीमारियां तेजी से बढने लगी है। खाली भूखंडों में पानी भर जाने से मच्छरों का लार्वा पैदा हो रहा है, जिससे नागरिक वायरल, मलेरिया, डेंगू व स्क्रब टाइफस जैसी मौसमी बीमारियों की शिकायतें लेकर सरकारी एवं निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, तापीय बिजलीघरों से निकलने वाली राख (फ्लाई एश) को स्थानीय निकायों द्वारा इन गड्डों में भर दिया जाये तो आसपास के क्षेत्र को मच्छरों के प्रकोप से बचाया जा सकता है।


उप मुख्य अभियंता आर.एन.गुप्ता ने बताया कि इंडियन काउंसलिंग ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के वेक्टर कंट्रोल रिसर्च सेंटर (VCRC) में कार्यरत वैज्ञानिकों ने फ्लाई एश पर नया रिसर्च किया है। उनका कहना है कि फ्लाई एश में सिलिका, एलुमिना व आयरन तत्व होने से यह पानी में क्षारीयता बढाती है, जिससे लार्वा पैदा होने की संभावना नगण्य हो जाती है। जबकि वर्षा जल में अशुद्धियां मिलने के बाद अम्लीयता बढ़ने से भूजल दूषित हो जाता है। जिसके कारण ठहरे हुये पानी में मच्छरों के लार्वा तेजी से पनपने लगते हैं। इन मच्छरों के काटने से मलेरिया, डेंगू, पीलिया जैसी बीमारियां तेजी से फैलती है। राख के उपयोग से इस स्थिति पर नियंत्रण किया जा सकता है।
बायो-पेस्टिसाइड के रूप में फ्लाई एश
शोधकर्ताओं ने बताया कि फ्लाई एश का उपयोग बीटीआई बायो पेस्टिसाइड के रूप में किया जा सकता है। इससे मच्छरों व कीटाणुओं के लार्वा को खत्म कर सकते हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि इस समय देशभर में 63 प्रतिशत फ्लाई एश सीमेंट उद्योगों व कांक्रीट बनाने में निःशुल्क काम में ली जा रही है, इसके अन्य क्षेत्रों में भी उपयोग होने लगे हैं।
जलमग्न क्षेत्रों में बहुत उपयोगी
विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में कोटा, छबडा, कालीसिंध, सूरतगढ़ एवं कवाई के थर्मल बिजलीघरों के राख संग्रहण क्षेत्र में प्रचुर मात्रा में फ्लाई एश निरंतर निकलती है। इसका भंडारण भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। जिला प्रशासन द्वारा प्रभावी कार्ययोजना बनाकर जलमग्न बस्तियों के गड्डों तथा खाली भूखंडों में निःशुल्क फ्लाई एश भर दी जाये तो आवासीय बस्तियों को मच्छरों के लार्वा से बचाया जा सकता है। बरसाती पानी के साथ मिलते ही फ्लाई एश गढ्डों में जमा हो जाती है, जिससे लोगों को कीचड़ या दूषित पानी से निजात मिल सकेगा तथा महामारी फैलने जैसी स्थितियां पैदा नहीं होगी।

(Visited 185 times, 1 visits today)

Check Also

राजस्थान में 13 नवंबर को होगी गौ विज्ञान परीक्षा

सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत ने किया पोस्टर विमोचन, 16 लाख से अधिक विद्यार्थी भाग …

error: Content is protected !!