भारत विकास परिषद चिकित्सालय, कोटा में होने लगे हार्ट के दुर्लभ आपरेशन
न्यूजवेव @ कोटा
भारत विकास परिषद चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र के कार्डियक सर्जरी विभाग द्वारा दो मासूम बच्चों की जटिल ओपन हार्ट सर्जरी करने से उन्हें जीवनदान मिला है। कार्डियक सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा ने बताया कि एक बच्चे के चार तरह के प्रोसीजर और दूसरे बच्चे के दिल पांच बीमारी थी, जिसका सफल ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि इतनी कम उम्र के बच्चों के चार से पांच प्रोसीजर एकसाथ करना चुनौतीपूर्ण था। पहले बच्चे को टेट्रोलॉजी ऑफ फेलोट विद पीडीए, विद एबसेंट पल्मोनरी वॉल्व बीमारी थी, जो बहुत कम बच्चों में होती है। आंकडों के अनुसार, 100 फेलोट मरीजों मंे से सिर्फ तीन बच्चों में ऐसा होता है।
पत्रकारों से बातचीत में कार्डियक सर्जन डॉ.शर्मा ने बताया कि चित्तौड़गढ़ के 10 माह के बालक को ट्रेट्रोलॉजी ऑफ फेलोट जन्मजात बीमारी थी, जिसके कारण बच्चे का वजन सात किलो ही था। ऐसी बीमारी में बच्चा बार-बार बीमार पड़ने, वजन नहीं बढ़ने, ग्रोथ नहीं होने एवं शरीर के नीला पड़ने की बीमारी से ग्रसित रहता था। प्राथमिक जांच में बच्चे के टॉफ में पीडीए था, जिसमें जन्म के 72 घंटे पश्चात महाधमनी स्वतः बंद होनी थी वह बंद नहीं हुई। इन सबके प्रोसीजर में हार्ट में बड़े छेद को बंद किया, फिर फेफड़े की तरफ जाने वाले सिकुड़े रास्ते को खोला और उसके बाद ह्रदय से जन्म से वॉल्व ही नहीं था, उसके लिए ह्रदय के उपर से झिल्ली लेकर वॉल्व बनाया। ऑपरेशन करीब चार घंटे तक जारी रहा। अब बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है। सर्जरी टीम में कार्डियक सर्जन डॉ. सौरभ शर्मा, कार्डियक एनेस्थेटिक डॉ. सनी केसवानी, डॉ. प्रभा खत्री, डॉ. महेश, सीनियर परफ्यूजनिस्ट प्रमोद कुमार, फिजिकल असिस्टेंट ललित कुमार, स्क्रब नर्स अर्पित जैन, एनेस्थिसिया टेक्निशियन सागर पंवार, आईसीयू इंचाज, नाजिर मिर्जा आदि शामिल रहे।कार्डियक सर्जन डॉ. सौरभ ने बताया कि जन्मजात बीमारियों के इलाज में जितनी देरी होती है, उतना ही नुकसान हार्ट, लंग्स व पूरे शरीर को होता रहता है। हार्ट, लंग्स खराब होने लगता है और ग्रोथ भी नहीं होती है।
निशुल्क हुये हार्ट ऑपरेशन
भारत विकास परिषद हॉस्पीटल के संरक्षक श्याम शर्मा, अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता, सचिव श्याम सुंदर गोयल, कोषाध्यक्ष सीताराम गोयल ने बताया कि दोनों मरीजों के ऑपरेशन केन्द्र सरकार की योजना से निशुल्क हुये। जबकि हार्ट सर्जरी पर उन्हें करीब 5 लाख रूपये खर्च करने पड़ते। गांवों से आने वाले ऐसे कई निर्धन रोगियों को भाविप अस्पताल में निशुल्क अथवा रियायती दरों पर उपचार मिल रहा है।