न्यूजवेव @ कोटा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त 2020, बुधवार, कृष्ण पक्ष की द्वितीया, विक्रमी संवत् ्2077 को श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में ऐतिहासिक व दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखेंगे। इस गौरवशाली अवसर के अतीत को देखें तो कई वर्षों तक देश के कोने-कोने में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन की गूंज सुनाई देती रही। श्रीराम मंदिर के लिये कारसेवा में भाग लेने वाले रामभक्तों के मन में आज भी वो पल जीवंत हो उठते हैं, जब वे तमाम बाधाओं को पार करते हुये अयोध्या पहुंचे थे। राजस्थान में कोटा शहर ने भी इस आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी।
लोेकतंत्र रक्षा मंच राजस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष व कारसेवक हनुमान शर्मा ने बताया कि 30 अक्टूबर,1990 को विश्व हिंदु परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल की अगुवाई में पहली कारसेवा प्रारंभ हुई। देशभर से कारसेवकों ने अयोध्या कूच प्रारंभ किया। प्रत्येक राज्य की सीमा पर सुरक्षा के कडे़ इंतजाम किये गये। कारसेवकों को गिरफ्तार किया जाता रहा। लेकिन जत्थों का कारवां थमा नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में कारसेवकों पर पुष्पवर्षा कर रवाना किया गया। 2 नवम्बर 1990 को उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने कार सेवको पर गोलियां चलवाकर उन्हें दमनपूर्वक रोकने का प्रयास किया। इस संघर्ष में कई कारसेवक बलिदान हो गये।
ऐसे पहुंचा कोटा से अंतिम जत्था
लोकतंत्र रक्षा मंच, राजस्थान के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष एवं कार सेवक हनुमान शर्मा ने बताया कि 1990 की पहली कार सेवा में स्टेशन क्षेत्र के कार्यकर्ता जत्थों को कोटा रेलवे स्टेशन पर छोड़ने जाते रहेे। उस दौरान सांसद दाऊदयाल जोशी भी दिल्ली जा रहे थे। हर जगह गिरपतारियां तेज हो गई। लेकिन कारसेवकों को किसी भी हालत में अयोध्या पहंुचना था। गोल्डन टेम्पल मेल में प्रातः 11ः15 बजे कोटा जंक्शन से दिल्ली के लिये सैकड़ो कार सेवको ने प्रस्थान किया। तब राजस्थान में कांग्रेस सरकार थी। भरतपुर जंक्शन पर पुलिस ने एक-एक कोच की तलाशी ली। कारसेवक मिलते ही उनकी नीचे उतार लिया।
भरतपुर आने से पूर्व सांसद दाऊदयाल जोशी ने पूछा, हनुुमान कुछ सोचा क्या करोगे, मैने कहा कि सारा प्रबंध कर लिया है। दाऊदयाल जोशी, हनुमान शर्मा, रविन्द्र सिंह निर्भय, वासुदेव पाल ओर संजीव माथुर सहित अन्य कारसेवक ट्रेन के रसोईयान में गये। हमने मैनेजर रूम में बैठकर बाहर से ताला लगवा दिया। ें भरतपुर आने पर कई कारसेवको को पकड़ लिया। हम चुपचाप बैठे रहे रसोईयान में तेज पदचाप की आवाज आते ही सांस रोक लेते गाड़ी चलने पर राहत की सांस ली। उसी केबिन में दिल्ली तक गये। दूसरे दिन अयोध्या की ओर प्रस्थान किया।
शर्मा ने बताया कि दिल्ली से हम चार कारसेवकों ने अयोध्या के लिये प्रस्थान किया परन्तु कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर फतहगढ़ सेंट्रल जेल भेज दिया। उत्तर प्रदेश की सारी जेल भर गई। स्कूलों को जेल बना दिया फिर भी जगह कम पड़ गई। 7 दिन फतहगढ़ सेंट्रल जेल में रहे फिर ’अयोध्या की और आगे बढ़े।
दूसरी कार सेवा में प्रस्थान
मंच के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष हनुमान शर्मा ने कहा कि 1992 में पहले जत्थे में रघुवीर सिंह कौशल के नेतृत्व में अयोध्या प्रस्थान किया। हनुमान शर्मा, भारत भूषण खत्री, विनोद शर्मा, गणपतलाल शर्मा सपत्निक गए। लगभग 300 कार सेवक प्रथम जत्थे में थे हम 15 दिन पूर्व ही पहुच गए। देशभर से कार सेवको आना प्रारंभ हो गया। जबरदस्त जोश व जुनून था।
हनुमान शर्मा ने बताया कि राजस्थान के वरिष्ठ मंत्री ललित किशोर चतुर्वेदी तो मंत्री पद से त्यागपत्र देकर कार सेवा में शामिल होने अयोध्या पहुचे थे।’ 1992 में राजस्थान में भैरोसिंह शेखावत सरकार थी। उन्होंने बताया कि हम अयोध्या के हनुमान गढ़ी में हनुमान दर्शन कर उतर रहे थे तो महंत ने पूछा-कहां से आये हो। हमने कहा राजस्थान से। वे बोले-अच्छा, वहां से तो एक मंत्री त्यागपत्र देकर कारसेवा करने आया हैं। ललितकिशोर चतुर्वेदी को याद करते हुये कहा, वीर भूमि है त्याग, तपस्या की भूमि है। धन्य है तुम्हारे मंत्री। हमने उनके चरण छूकर आशीर्वाद लिया।
6 दिसंबर-ऐतिहासिक कार सेवा
6 दिसम्बर 1992 को ऐतिहासिक कार सेवा हुई। देश के कोने-कोने से लाखों कारसेवकों का सागर उमड़ पडा था। अयोध्या समेत पूरा उत्तर प्रदेश ’राममय’ हो गया। जयश्री राम के उद्घोष से आसमान गूंज उठा। कोटा के जत्थे में श्रीमती सुशीला कौशल, सुमन श्रंगी, कृष्णा खण्डेलवाल, उर्मिला जड़िया, सोहन लाल गौतम, मदन दिलावर, मुरलीधर शर्मा, योगेंद्र खिंची, रमेश चौबे, राकेश चावला, रिछपाल पारीक, सत्यभान सिंह, मोहर सिंह, भारत भूषण खत्री, विनोद शर्मा, जयसिंह फौजदार, मुरली लोधा हरीश चौरसिया, मनोज परिहार, लालचंद गुप्ता व अरविंद शर्मा सहित कई रामभक्त शामिल रहे। आज वो अविस्मरणीय पल देखने-सुनने की मिल रहे हैं जब श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का भूमि पूजन सम्पन्न होने जा रहा है। कोटा, बूंदी, बारां व झालावाड जिले के सभी कारसेवकों को गहरा लगाव है अयोध्या नगरी से। आज सभी रामभक्तों का सपना सच होने जा रहा है।