अदरक की दो नई प्रजातियों ‘अमोमम निमके’ और ‘अमोमम रिवाच’ का पता चला
निवेदिता खांडेकर
न्यूजवेव @ नईदिल्ली
भारतीय शोधकर्ताओं ने अरुणाचल प्रदेश के लोहित और डिबांग घाटी जिले में अदरक की दो नई प्रजातियों की खोज की है। इन प्रजातियों को ‘अमोमम निमके’ और ‘अमोमम रिवाच’ नाम दिया है। अमोमम निमके लोहित जिले में और अमोमम रिवाच डिबांग घाटी जिले में पाई जाती है।
केरल में कालीकट यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान से जुड़े शोधकर्ता मैमियिल साबू ने बताया कि लोहित जिले के जंगलों में खोजबीन करते हुए अदरक की इन नई प्रजातियों का पता चला। इससे पहले इन प्रजातियों को कहीं नहीं देखा गया।
पहली प्रजाति का नाम मिश्मी समुदाय से जुड़े पवित्र स्थल के नाम पर रखा गया जबकि अदरक की दूसरी प्रजाति को डिबांग घाटी जिले में जैव विविधता संरक्षण में कार्यरत रिसर्च इंस्टीट्यूशन ऑफ वर्ल्ड एनसिएंट ट्रेडिशन, कल्चर ऐंड हेरिटेज (रिवाच) के नाम पर रखा गया है।
अमोमम अदरक एक औषधीय पौधा है, जिसकी 22 प्रजातियां देश के उत्तर-पूर्व हिस्से, प्रायद्वीप क्षेत्र, अंडमान निकोबार और पूर्वोत्तर भारत में फैली हुई हैं।
साबू के अनुसार, अदरक का औषधीय व व्यवसायिक उपयोग बहुत है। यह परिचित जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग भोजन, दवा एवं सजावट के लिए किया जाता है। लेकिन 125 वर्षों से इस पर कोई रिसर्च नहीं किया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, “अदरक की ये प्रजातियां 2100 से 2560 मीटर ऊंचाई पर सदाबहार वनों में बांस और अन्य झाडि़यों के साथ बढ़ रही थी। (इंडिया साइंस वायर)
भाषांतरण -उमाशंकर मिश्र