केंद्र सरकार का जल जीवन मिशन: जल गुणवत्ता की जांच रिपोर्ट ऑनलाइन मिलेगी
न्यूजवेव @नई दिल्ली
केंद्र सरकार देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 2024 तक नियमित व गुणवत्ता पूर्ण पीने योग्य नल का पानी उपलब्ध कराने की योजना पर तेजी से अमल किया जा रहा है। इसके लिये देश में लगभग 2000 प्रयोगशालायें खोल दी गई हैं, जहां मामूली दरों पर पानी के नमूनों की जांच हो सकेगी। इसकी रिपोर्ट भी ऑनलाइन मिल जायेगी। इस योजना में राजधानी, जिला, ब्लॉक व सब डिवीजन स्तर पर जल गुणवत्ता परीक्षण करने वाली प्रयोगशालाओं को एनएबीएल मान्यता देने की प्रक्रिया जारी है।
जल जीवन मिशन के तहत पानी की गुणवत्ता से प्रभावित बस्तियों में नल जल आपूर्ति को प्राथमिकता दी गई है। अब तक, राज्यों में चिह्नित 27,544 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में से 26,492 बस्तियों के लिए पेयजल आपूर्ति के प्रावधान किए गए हैं। जब तक पाइपलाइन से जलापूर्ति हो, तब तक राज्यों को सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (CWPP) स्थापित करने की सलाह दी गई है, जिससे पीने और खाना पकाने के लिये प्रति व्यक्ति न्यूनतम 8-10 लीटर स्वच्छ जल उपलब्ध कराया जा सके। वर्तमान समय में, पूरे देश में 32,543 CWPP लगाए जा चुके हैं। प्रत्येक गांव में, 5 लोगों (महिलाओं को प्राथमिकता) को फील्ड टेस्ट किट (FTK) से जल परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
‘जल जीवन मिशन’ का लाभ अंतिम व्यक्ति तक
15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की थी, तब 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) घरों में नल से जलापूर्ति होती थी। 18 मार्च, 2021 तक नये जल कनेक्शन देकर 7.11 करोड़ (37प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण घरों में नल से जलापूर्ति की जा रही है।
जल शक्ति मंत्रालय जल गुणवत्ता की स्मार्ट मॉनिटरिंग के लिए ‘सेंसर-आधारित आईओटी‘ सॉल्यूशन का उपयोग कर रहा है। मात्रा, गुणवत्ता और नियमितता के लिये ‘स्मार्ट वाटर सप्लाई माप एवं निगरानी प्रणाली‘ विकसित की जा रही है। देश भर में 9 विभिन्न स्थानों पर ‘सेंसर-आधारित आईओटी’ समाधान के लिए पायलट परीक्षण चल रहे हैं। शिकायत निवारण के लिए, ऑनलाइन और टोल-फ्री नंबर-आधारित हेल्पलाइन भी स्थापित किए जा रहे हैं।
इन मापदंडों पर होगी पानी की जांच
केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदंडों के अनुसार, शुद्ध पेयजल की pH वैल्यू 6.5 से 8.5 तक है। पानी में TDS की मात्रा 2000 से अधिक न हो। टर्बिडिटी 1 से 5 के बीच हो। क्लोराइड की मात्रा 1000 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिये। क्षारीयता 600 मिग्रा तक सीमित हो। पेयजल में सल्फेट 200 मिली ग्राम प्रति लीटर से अधिक न हो।