वार्ड-15 व 16 में विधायक गुंजल ने जनता को दी सौगातें
न्यूजवेव@ कोटा
कोटा उत्तर विधानसभा के वार्ड-15 में कंट्रोल सीसी एवं बेडमिंटन कोर्ट का लोकार्पण एवं शीतला माता मंदिर के पास योग भवन का शिलान्यास किया गया। साथ ही, वार्ड नंबर 16 में वाल्मीकि बस्ती में विधायक कोष से बनाए गए योग भवन का लोकार्पण कार्यक्रम हुआ।
मुख्य अतिथि कोटा उत्तर विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि 2013 में विधायक बनते समय मन में कल्पना नहीं थी कि उत्तर विधानसभा की गली-गली में पानी की समस्या होगी एवं कई गलियां व मोहल्ले चम्बल का पानी पीने का तरस रहे होंगे। विधायक बनने के बाद सबसे पहले पानी, बिजली, सड़क, नाली-पटान के विकास का खाका तैयार किया और उस पर कार्य करना प्रारंभ किया। आज यह कार्य धरातल पर दिखने लगे हैं।
उन्होंने कहा कि मुझसे पहले कई सांसद, विधायक, मंत्री इस क्षेत्र में आए किन्तु सभी समस्याओं का हल वो नहीं कर पाए, लेकिन मैंने विधायक के नाते समस्याओं को सूचीबद्ध करके कार्य प्रारंभ किए और एक-एक समस्या को हल करने की जिम्मेदारी ली।
नगर विकास न्यास अध्यक्ष रामकुमार मेहता ने कहा कि विधायक गुंजल के निर्देशानुसार पूरी उत्तर विधानसभा में 100 करोड़ के विकास कार्यों की रिकॉर्ड स्वीकृति प्रदान की गई है एवं इस क्षेत्र में प्रत्येक विकास कार्य को पूरा करवाने के लिए न्यास ने तत्परता से कार्य किया।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ. गोपालसिंह भाटी, पार्षद अतुल कौशल, मधु कुमावत, मण्डल अध्यक्ष पंकज साहू थे।
वाल्मीकि बस्ती में पुरानी क्रॉस रेगुलेटर की समस्या हल
बरसात के मौसम में वार्ड-16 में नयापुरा स्थित वाल्मीकि बस्ती के वाशिंदे बाढ़ के खतरे से भयभीत रहते थे। बस्ती के लोगों की दशकों पुरानी चम्बल की तरफ से बस्ती को बाढ़ से बचाने के लिए क्रॉस रेगुलेटर बनाने की मांग थी, जिसे पूरा करते हुए कोटा उत्तर विधायक प्रहलाद गुंजल एवं यूआईटी चौयरमेन रामकुमार मेहता ने रेगुलेटर के कार्य का बुधवार को शिलान्यास किया।
इस अवसर पर विधायक गुंजल ने इस कार्य को कर रहे सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि आने वाले दो माह में यह कार्य पूरा हो जाना चाहिए। गुंजल ने कहा कि क्रॉस रेगुलेटर गेट बनने के बाद वाल्मीकि बस्ती के लोगों अगले साल से बाढ़ का भय नहीं सताएगा, अब तक कोटा बैराज से पानी छोडने पर बस्ती के नाले में चम्बल की तरफ से पानी बस्ती में घुसता जाता था, एवं लोगों को बस्ती के बाहर जाकर शरण लेनी पड़ती थी।