कोटा में हिंदुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज समूह के ‘अटल काव्यांजलि’ समारोह में उमडे़ नागरिक
न्यूजवेव @ कोटा
हिंदुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज एजेंसी एवं नीरज स्मृति न्यास द्वारा भारतरत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को समर्पित ‘अटल काव्यांजलि’ समारोह झालावाड़ रोड़ स्थिति निजी होटल के सभागार में हुआ। अतिथियों ने भारत माता एवं अटलजी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलित किया। अटल कवि सम्मेलन में देश के ख्यातनाम कवियों ने देर रात तक देशभक्ति एवं ज्वलंत मुद्दों पर अपनी ओजस्वी कविताएं सुनाई।
हिंदुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज समूह के संस्थापक एवं राज्यसभा सांसद आर.के.सिन्हा ने अपने संदेश में कहा कि उन्हें 53 वर्ष तक अटलजी का सान्निध्य मिला। वे वतन की आंखों के तारे थे। प्रख्यात कवि गोपालदास नीरज के अवसान के बाद जब अटलजी का महाप्रयाण हुआ तो काव्य जगत में शून्य छा गया। हमने देश में 55 अटल काव्याजंलि समारोह से देश के नवोदित कवियों को अटलजी की काव्य यात्रा से जोड़ने का अभियान शुरू किया हैं। कोटा में इस काव्य यात्रा का 9वां पडाव रहा।
भारत को परमाणु शक्ति बनाया
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काव्यांजलि के मुख्य अतिथि राजस्थान तकनीकी विश्वाविद्यालय के कुलपति डॉ.एनपी कौशिक ने कहा कि भारत रत्न अटलजी काव्य हृदय रहे, उन्होंने राजनीति से उपर उठकर जीवन जीया। उन्होंने ‘हार नहीं मानूंगा, रार नहीं ठानूंगा..’ जैसी पंक्तियांे को चरितार्थ करते हुए पोकरण में 3 परमाणु परीक्षण कर भारत को परमाणु शक्ति के रूप में उभारा। पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे कलाम का साथ उनको मिला। अटलजी मानते थे कि गांव जब शहर से जुडेंगे तो देश का सही विकास होगा, इसी सोच से प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना व स्वर्ण चतुर्भुज योजना पर अमल किया।
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समारोह की मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने कहा कि मुझे गर्व है कि जहां अटलजी पैदा हुए, मैं उसी भूमि से हूं। एक दीक्षांत समारोह में उनसे मिलना हुआ। उनमें हमेशा सहज भाव दिखा। भारत को मजबूत बनाने के लिए उनमें एक दृष्टि थी। उनकी कविता ‘ए जंग का एलान..’ सीमाओं पर जूझते हुए वीर सैनिकों में जयघोष करती है।
हिंदुस्थान समाचार बहुभाषी न्यूज समूह के सीईओ समीर कुमार ने अटलजी ने ‘मैं’ शब्द को ‘हम’ में तब्दील किया। ‘अटल काव्यांजलि’ से युवाओं व नागरिकों को उनके आदर्शाें से रूबरू कराना है। हिंदुस्थान समाचार देश में एकमात्र बहुभाषी न्यूज एजेंसी है जो हिंदी, अग्रेजी सहित 14 भाषाओं में समाचार एवं विश्लेषण देती है। यह समूह सत्य, संवाद व सेवा के मूलमंत्र को चरितार्थ कर रहा है।
अपना हौसला जीवित रखें
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विशिष्ट अतिथि श्रीराम रेयंस समूह के यूनिट हेड, सीनियर वाइस प्रेसीडेंट एवं आईएसटीडी के संरक्षक वीके जेटली ने कहा कि आज के युवा अटलजी के गीत-‘काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूं, गीत नया गाता हूं..’ से प्रेरणा लेकर हमेशा हौसला जीवित रखें। जीवन तुम्हारा है, इसे अमूल्य बना लो। उन्होंने 1984 का एक प्रसंग सुनाते हुए बताया कि मैं दिल्ली एयरपोर्ट से आगरा आ रहा था। साथ में बच्चों के लिए 4 रसगुल्ले के डिब्बे थे, सिक्यूरिटी जांच में कहा गया कि इनको फ्लाइट में ले जाने की अनुमति नहीं है। अचानक पीछे अटलजी आए तो सुरक्षाकर्मी अलर्ट हो गए, उन्होनें कहा हंगामा क्यों कर रहे हो। एक डिब्बा खोलकर देखो। सुरक्षाकर्मी ने डिब्बा खोला तो अटलजी ने एक रसगुल्ला खुद खाते हुए दूसरा सुरक्षाकर्मी को खिलाया। साथ में तीन डिब्बे मुझे दे दिए कि ये बच्चों को जरूर खिलाना। एयरबस में ढाई घंटे तक वे सभी यात्रियों से सहज होकर मिले।
एलबीएस एजुकेशनल ग्रुप के चेयरमैन कुलदीप माथुर ने कहा कि मेरे पिता ऑफिस से छुट्टी लेकर अटलजी को सुनने जाते थे। अटलजी का कहना था कि नारों में ‘देश का नेता कैसा हो’ की जगह युवा इस बात पर मंथन करें कि ‘देश कैसा हो।’ हम शिक्षा के क्षेत्र में उनकी इस बात का अनुसरण कर रहे हैं।
‘बचा लो अपना हिंदुस्थान…’
देर रात तक चले कवि सम्मेलन में प्रख्यात कवि कुंअर बैचेन ने ‘हमने दिया है सिर्फ तुम्हारा उदाहरण’, ओज रस कवि गजेंद्र सोलंकी ने ‘बचा लो अपना हिंदुस्थान.’, योगेंद्र शर्मा की ओजस्वी पंक्तियों, जगदीश सोलंकी ने ‘तिरंगा की जुबान होती तो क्या कहता’, मुंबई के नरेंद्र बंजारा ने ‘एक बार आकर मेरा हिंदुस्थान देख लो..’, के अलावा कैलाश मंडेला के पैरोडी गीतों, सपना सुमन के गीतों और उदयपुर की दीपका माही के प्रेम गीत- ‘बस्ती-बस्ती बदरा बरसे, बरस गए हम सावन में’ जैसी रचनाओ को खूब दाद मिली।
वीर रस के कवियों के साथ श्रोताओं की तालियों से सभागार गूंज उठा।उदयपुर के कवि अजातशत्रु ने संचालन किया। कवि सम्मेलन में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्ध नागरिक, उद्यमी, डॉक्टर, सीए, प्रोफेसर, इंजीनियर एवं विद्यार्थी राष्ट्रीय कवियों की रचनाएं सुनकर मंत्रमुग्ध होते रहे।