वर्ल्ड ग्लूकोमा वीक – मोतियाबिंद के बाद कालापानी अधंता का दूसरा बडा कारण, 50 प्रतिशत रोगियों को इस रोग की जानकारी नहीं
न्यूजवेव@ कोटा
कोटा डिवीजन नेत्र सोसायटी (KDOS) द्वारा 10 से 16 मार्च तक वर्ल्ड ग्लूकोमा वीक मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम ‘बीट इनविजिबल ग्लूकोमा’ पर सोसायटी द्वारा परिचर्चा आयोजित की गई। कोटा डिवीजन नेत्र सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. सुरेश पाण्डेय, डॉ. संजय गुप्ता एवं डॉ. विशाल स्नेही ने बताया कि जनता में कालापानी,काला मोतिया या काँच बिन्द आदि के खतरों की जानकारी नहीं होने से कई रोगी अंधता के शिकार हो जाते हैं।
डॉ.पाण्डेय ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ग्लूकोमा से 6 करोड़ लोग दृष्टि बाधित हैं, इनमें से 1.12 करोड़ रोगी भारतीय उपमहाद्वीप में हैं। करीब 50 प्रतिशत रोगियों को ग्लूकोमा की प्रारंभिक जानकारी नहीं होती है। यह धीरे-धीरे नजर चुरा ले जाता है इसलिए इसे ‘साईलेंट थीफ ऑफ साइट’ कहते हैं। आमतौर पर ओपन-एंगल ग्लूकोमा में कोई चेतावनी संकेत या लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, यह धीरे-धीरे विकसित होता है। क्लोज्ड-एंगल ग्लूकोमा से पीड़ित व्यक्ति को सिरदर्द, आँखों में दर्द, उल्टी आना, नजर कम होना, बल्ब के चारों सतरंगी गोले दिखाई देने जैसे लक्षण होतेे हैं। आँखों के प्रेशर की नियमित जाँच से नजर को सुरक्षित रख सकते हैं।
परिचर्चा में KDOS के नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय, डॉ. विशाल स्नेही, डॉ. संजय गुप्ता, डॉ. अशोक मीणा, डॉ. राजेन्द्र चन्देल, डॉ. जयश्री सिंह, डॉ. अंकुर गुप्ता, डॉ. दीपक शर्मा, डॉ. देवेन्द्र कंजोलिया, एवं रोटरी क्लब कोटा के अध्यक्ष प्रज्ञा मेहता, सचिव दर्पण जैन, आशीष बिरला व लायंस क्लब कोटा के अध्यक्ष सी पी विजयवर्गीय, डॉ. लियाकत हुसैन, डॉ. मनीष बोहरा ने भाग लिया।
इनमें संभावना अधिक
40 वर्ष से अधिक उम्र वाले ऐसे व्यक्ति जिनके परिवार में ग्लूकोमा का इतिहास है, जिनमें आँख के अन्दर का दबाव (IOP) अधिक है। मधुमेह, मायोपिया (दूर की नजर कमजोर), नियमित, दीर्घकालिक स्टेरॉइड/कॉर्टिसोन का उपयोग, कोई पिछली आँख की चोट, रक्तचाप का बहुत अधिक या बहुत कम होना आदि में ग्लूकोमा का खतरा बढ़ जाता है। ग्लूकोमा का नियंत्रण एंटी ग्लूकोमा आई ड्रॉप से किया जाता है। दवा से नियंत्रित नहीं होने पर रोगियों में ग्लूकोमा फिल्टरिंग सर्जरी (ट्रेबेकुलेक्टोमी) की जाती है। इस अवसर पर ग्लूकोमा कारण व उपचार पोस्टर का विमोचन किया गया एवं विशेषज्ञों द्वारा सवाल-जवाब सत्र में उपयोगी जानकारी दी गई।