सम्मान : मानपुरा गांव में खुशी की लहर,जैविक खेती से जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़ी, विदेशों में आर्गेनिक फसलों की डिमांड ज्यादा
न्यूजवेव @ कोटा
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार 16 मार्च को प्रातः 10 बजे राष्ट्रपति भवन में राजस्थान से झालावाड़ जिले के मध्यमवर्गीय किसान हुकमचंद पाटीदार को जैविक खेती के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित करेंगे। केंद्र सरकार द्वारा 26 जनवरी को उन्हें पदमश्री सम्मान दिये जाने की घोषणा की गई थी, जिससे राज्य व जिले के किसानों में जैविक खेती के प्रति जिज्ञासा बढ़ती जा रही है।
झालावाड़ जिले में लावासल ग्राम पंचायत के छोटे सा गांव मानपुरा के ग्रामीण किसान हुकमचंद पाटीदार को पदमश्री सम्मान मिलने से गौरव महसूस कर रहे हैं। इस जिले को पहली बार यह प्रतिष्ठित सम्मान मिलने जा रहा है। साधारण किसान हुकमचंद पाटीदार ने वर्ष 2003 में एक हेक्टर भूमि में जैविक खेती करने की शुरुआत की थी। उस समय जैविक खेती करने के लिए कोई विकल्प नहीं था इसलिये उन्हें बहुत कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। क्षेत्र के ग्रामीण किसान उनसे सवाल करते थे कि परंपरागत खेती छोड़कर जैविक खेती करने से पैदावार कैसे बढ़ेगी। उनका मखौल उडाते थे कि खेत में कुछ पैदावार भी होगी या ऐसे ही खेत बंजर पड़ा रहेगा।
हुकमचंद पाटीदार ने बताया कि 5 दशक पहले भी खेती होती थी लेकिन तब किसी रासायनिक खाद का चलन नहीं था। उस समय भी लोग खेती से अपने परिवार की आजीविका चलाते थे। वेे स्वस्थ रहते थे। उनको विश्वास था कि मैंं भी उनकी तरह बिना पेस्टिसाइड खाद का उपयोग किये खेती करूंगा तो पैदावार अवश्य होगी।
प्रकृति व जीव-जंतुओं की रक्षा होगी
प्रकृति से लगाव होने के कारण हुकुमचंद बताते हैं कि जीव-जंतुओं को बचाना है तो सभी किसानों को एक दिन जैविक खेती को अपनाना पड़ेगा। प्रकृति में सभी एक जीव दूसरे का आहार होते हैं। खेती में लगातार रासायनिक खाद व कीटनाशक पावडर के छिडकाव से यदि जीव नहीं बचेंगे तो खेती की उर्वरता भी खत्म हो जाएगी। उनका कहना है कि आज रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से जीव-जंतु नष्ट हो रहे हैं जिससे जमीन की उर्वरक क्षमता भी घट रही है। जबकि जैविक (आर्गेनिक) खेती अपनाने से किसानों का ध्यान गौवंश पर भी जाएगा। घरों मैं गायों की सेवा होगी। किसानों का ध्यान खेतों में उगने वाले पेड़ पौधों पर भी जाएगा, जिससे वे खेतों के किनारों पर पेड़ लगायेंगे।
विदेशों में आर्गेनिक मसालों की मांग बढ़ी
हुकुमचंद ने बताया कि इन दिनों वे जैविक खेती के प्रसार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार कर रहे हैं। मानपुरा स्थित स्वामी विवेकानंद जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र में 28 देशों के नागरिक जैविक फसलों पर अनुसंधान के लिए आए हैं। यहां तैयार हुए आर्गेनिक मसाला को वे जापान, जर्मनी व स्विटजरलैंड सहित कई अन्य देशों में पहुंचा रहे हैं। 10 मार्च को कोटा में हुई नेशनल धनिय सेमिनार में निर्यातकों ने कहा कि भविष्य में किसानों को जैविक धनिये पर ध्यान देना होगा, जिससे उसमें तेल की मात्रा बढ़ सकती है। विदेशों में आर्गेनिक पैदावार की डिमांड तेजी से बढ रही है।