महावीर ईएनटी हॉस्पिटल में ब्रोन्कोस्कोपिक सर्जरी से मिली राहत
न्यूजवेव @ कोटा
9 साल की छोटी बच्ची घर में खेलते हुये सेफ्टी पिन निगल गई, जिससे वह पिन सांस नली में जाकर फंस गया। उसे खांसी चलने लगी तो परिजनों से उसे बूंदी के सरकारी अस्पताल में दिखाया, वहां एक्सरे में पता चला कि सेफ्टी पिन उसकी सांस नली में उलटी फंसी हुई है। डॉक्टर्स ने मामले को जोखिमपूर्ण मानते हुये कोटा में ईएनटी विशेषज्ञ से ऑपरेशन करवाने की सलाह दी।
परिजनों ने बेटी को महावीर नगर तृतीय चौराहे पर महावीर ईएनटी हॉस्पिटल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. विनीत जैन को दिखाया। उन्होंनें जांच के बाद ऑपरेशन करवाने की सलाह दी। महावीर ईएनटी हॉस्पिटल के निदेशक विनीत जैन ने बताया कि अत्याधुनिक उपकरणों सेे ब्रोन्कोस्कोपिक सर्जरी द्वारा श्वसन नली में उलटे फंसे पिन को बाहर निकाला गया। इसे दौरान उसे गले में कोई अंदरूनी चोट नहीं लगी। ऑपरेशन टीम में डॉ.विनीत जैन के अलावा डॉ.हेमलता शर्मा, मुख्य एनेस्थेटिस्ट डॉ.आरती गुप्ता, ओटी स्टाफ रोनी शर्मा व मुकेश मीणा ने इस जटिल ऑपरेशन को सफल बनाया। रोगी को एक दिन बाद छुट्टी दे दी गई। अगले दिन से उसकी स्थिति सामान्य है।
बच्चों को जागरूक करें
डॉ.जैन ने कहा कि घरों में छोटे बच्चे अक्सर सेफ्टी पिन, बटन या धातुओं से बनी नुकीली चीजें मुंह में दबाकर खेलते हैं, अभिभावक उन्हें इस बच्ची का फोटो दिखाकर जागरूक करें कि उनके लिये यह कितना खतरनाक हो सकता है। उल्लेखनीय है कि महावीर ईएनटी हॉस्पिटल को नेशनल एक्रिडिएशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल (NABH) द्वारा मान्यता प्राप्त है।
कोटा में दुर्लभ सर्जरी का कीर्तिमान
फ्रांस एवं जर्मनी में नाक, कान व गला (ENT) की एडवांस ट्रेनिंग लेकर एंडोस्कॉपी तकनीक में विशेषज्ञ डॉ विनीत जैन ने बताया कि इससे पहले 2 माह की बालिका के नाक का अंदरूनी भाग बंद था, जिससे उसे सांस लेना मुश्किल हो रहा था। उसका दूरबीन द्वारा अति-सूक्ष्म ऑपरेशन किया गया। माइक्रो डिवाइडर तकनीक से हाडौती में यह प्रथम ऑपरेशन था। शाहबाद निवासी दिनेश कुमार के कान की हड्डी गलने से मस्तिष्क का एक भाग कान में आ गया था। इस चुनौती को स्वीकार करते हुए कोटा में ही अति-सूक्ष्म सर्जरी करके मरीज को स्वस्थ कर दिया।
वे कोटा जिले में निर्धन एवं जरूरतमंद रोगियों को निःशुल्क ईएनटी परामर्श, जांच व दवाइयां वितरित करने के लिये ‘श्रुति प्रोग्राम’ संचालित करते हैं। अब तक कोटा संभाग के 50 से अधिक शिविरों में 25,000 हजार से अधिक रोगियों को निशुल्क जांच, परामर्श, दवाइयां वितरित कर चुके हैं।