वर्ल्ड हियरिंग डे आज: स्मार्टफोन के ज्यादा उपयोग से करीब 8 प्रतिशत आबादी में सुनने की क्षमता कम हुई, शहर की बस्तियों में डोर-टू-डोर चल रहा ‘श्रुति’ प्रोग्राम, हाड़ौती में 25 हजार जरूरतमंदों की हुई निःशुल्क जांच।
न्यूजवेव @ कोटा
नेशनल सेम्पल सर्वे के अनुसार, देश में 7 से 8 प्रतिशत आबादी आज बहरेपन (कम सुनाई देने) की समस्या से जूझ रही है। एक लाख में से 290 लोगों में यह रोग सामने आ रहे हैं। चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन के अनुसार, रोज 2 से 4 घंटे लगातार मोबाइल का उपयोग करने वाले उपभोक्ताओं में बहरापन बढ़ रहा है। पहले 45 से 50 वर्ष की उम्र में कम सुनाई देने की समस्या होती थी, आज 25 वर्ष की उम्र में कान संबंधी समस्याएं सामने आ रही है।
10 हजार स्कूली बच्चों की जांच
‘श्रुति‘ प्रोग्राम के तहत शहर के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों के कानों की मोबाइल डिवाइस द्वारा निःशुल्क स्क्रीनिंग जांच की गई। ईएनटी सर्जन डॉ. विनीत जैन ने बताया कि स्कूली विद्यार्थियों में पर्दे क्षीण होने या कम सुनाई देने से उन्हें पढाई में परेशानी होने लगती है। फरवरी में महावीर ईएनटी हॉस्पिटल टीम ने 1000 से अधिक कोचिंग विद्यार्थियों के नाक, कान व गला की निःशुल्क जांच की। इनमें स्मार्टफोन का उपयोग करने वाले स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्हें क्लास में कम सुनाई देता है। कुछ बच्चों की ईएनटी जांच में टौंसिल की समस्या भी सामने आई। उन्हें निःशुल्क उपचार दिया गया।
तेज आवाज से यातायात पुलिसकर्मियों में हियरिंग लॉस
शीला चौधरी मार्ग पर कोटा हियरिंग केयर सेंटर पर ऑडियोलॉजिस्ट शुभम सिंह ने बताया कि कान से सुनने की सामान्य क्षमता 25 से 30 डेसिबल होती है लेकिन तेज आवाज में रहने या नियमित शोरगुल में रहने से हियरिंग लॉस होने लगता है। एक अध्ययन के अनुसार, यातायात पुलिसकर्मियों में वाहनों के तेज शोर के कारण व्यवहार में चिड़चिड़ापन होने लगता है। ड्यूटी से घर लौटकर वे इरिटेशन से ग्रस्त होते हैं। उनके लिये आजकल नॉइज क्रेकर आ गए हैं, जिससे वे शोरगुल व हार्न की तेज आवाज से खुद को बचा सकते हैं।
श्रुति प्रोग्राम से आ रही जागरूकता
प्रदेश में जयपुर के बाद 2018 से कोटा जिले में बहरापन दूर करने के लिये निःशुल्क श्रुति प्रोग्राम चलाया जा रहा है, जिसमें अब तक 25 हजार से अधिक निर्धन एवं जरूरतमंद रोगियों को ईएनटी जांच व परामर्श दिया गया है। यूएसए की मेट्रॉनिक कंपनी द्वारा श्रुति प्रोग्राम के तहत निर्धन एवं जरूरतमंद रोगियों को निःशुल्क ईएनटी परामर्श, जांच व दवाइयां वितरित की जाती है। महावीर ईएनटी हॉस्पिटल के निदेशक व ईएनटी सर्जन डॉ. विनीत जैन ने बताया कि 20 से अधिक कम्यूनिटी हैल्थ वर्कर (सी.एच.डब्ल्यू) की टीमें कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, भीलवाडा व चित्तौड़गढ़ जिले में शहरों, कस्बों व सुदूर गांवों तक घर-घर निःशुल्क जांच करके रोगियों की पहचान कर रही है।
एंट्रा व्यू डिवाइस से स्क्रीनिंग जांच
उन्होंने बताया कि यह नवीनतम टेली मेडिसिन कंसेप्ट है, जिसमें एंट्रा व्यू डिवाइस से रोगी के कानों की 3 मिनट में स्क्रीनिंग जांच में कान के परदे की स्थिति व सुनने की क्षमता कम होने का पता चल जाता है। बाद में रोगी के हैल्थ डाटा व कान के पर्दे के फोटो को क्लाउड कम्प्यूटिंग से एनालाइज करके ईएनटी विशेषज्ञ सही इलाज करते हैं।
फ्रांस एवं जर्मनी से एडवांस ईएनटी सर्जरी ट्रेनिंग लेने के बाद डॉ. विनीत जैन ने 5 वर्ष पूर्व कोटा में गरीब मरीजों के लिये ‘श्रवण दान प्रोजेक्ट’ प्रारंभ किया था। ईएनटी रोगी को परामर्श व जांच में 1 हजार रू. खर्च करना पडता था, लेकिन श्रुति प्रोग्राम से गरीब रोगियों को भी निःशुल्क उपचार मिल रहा है। इस स्वस्थ कान अभियान से देश के 25 अस्पतालों को जोड़ा गया है।
6 जिलों में 500 जांच शिविर
क्लाउड कम्प्यूटिंग से प्राप्त डाटा के अनुसार, महावीर ईएनटी हॉस्पिटल, कोटा द्वारा 6 जिलों में 500 संभागीय ईएनटी शिविरों में आधुनिक डिवाइस से 25 हजार से अधिक लोगों के कानों की निःशुल्क स्क्रीनिंग जांच की गई है। प्रत्येक जांच शिविर में परामर्श व दवाइयां निःशुल्क दी जाती है।