- आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान द्वारा कोटा में नेत्रदान जागरूकता अभियान
- जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, मेडिकल कॉलेज व स्वयंसेवी संस्थाओं ने लिया सामूहिक संकल्प
न्यूजवेव@ कोटा
आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के अध्यक्ष पूर्व आईएएस बीएल शर्मा ने कहा कि हमारा छोटा सा प्रयास किसी जरूरतमंद के जीवन में उजाला कर सकता है। वर्ष 2018 में कोटा से 60 लोगों ने नेत्रदान किया लेकिन सरकारी अस्पताल में केरेटोप्लास्टी की सुविधा व संसाधन नहीं होने से जयपुर की नेत्र बैंक सोसायटी में सफल कोर्निया प्रत्यारोपण किया गया। उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने आग्रह किया कि सरकारी अस्पतालों में कोर्निया प्रत्यारोपण सुविधा उपलब्ध कराएं।
आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान (ईबीएसआर) के कोटा चेप्टर द्वारा रविवार को ओम कोठारी इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के ऑडिटोरियम में आयोजित नेत्रदान जागरूकता कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल कोर्निया की खान है, लेकिन संसाधन नहीं होने से सरकारी अस्पतालों में 60 में से 10 नेत्रदान हो सके। राज्य में 65 प्रतिशत नेत्रदान होता है जबकि राष्ट्रीय औसत 42 प्रतिशत ही है।
मुख्य अतिथि जिला कलक्टर मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि यह आंख खोलने वाला कार्यक्रम है। नेत्रदान की भ्रांतियां व भय दूर करने के लिये शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे जागरूकता प्रोग्राम निरंतर हों। आंख हमारे और संसार के बीच की विंडो है। जिला प्रशासन इसमें सक्रिय भूमिका निभाएगा। उन्होंने समारोह में ‘नेत्र दृष्टि’ न्यूजलेटर का विमोचन किया।
कोटा को नेत्रदान से दिलाएं पहचान
अध्यक्षता कर रहे आईजी कोटा रेंज बिपिन कुमार पांडे ने कहा कि जिला प्रशासन, पुलिस, अस्पताल व स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर नेत्रदान में जनभागीदारी बढ़ाने का प्रयास करें। रक्तदान के साथ कोटा को नेत्रदान से भी पहचान दिलाएं। विशिष्ट अतिथि एसपी सिटी दीपक भार्गव ने श्रोताओं से 30 सेकंड के लिये आंख बंद रखने का अनूठा प्रयोग करवाया। उन्होंने कहा कि कल्पना करें किसी के सामने वर्षों से ऐसा अंधेरा है, उसे अपनी मृत्यृ के बाद हम नेत्रदान से उजाला दे सकते हैं। आईपीएस डॉ. अमृता दोहन ने कहा कि मृत्यु के 6 घंटे में कोर्निया को संरक्षित करना जरूरी है। असामयिक मृत्यु होने पर युवाओं का एक कोर्निया 4 लोगों को रोशनी दे सकता है। उन्होंने पुलिस से एनओसी लेने की प्रक्रिया समझाई।
‘…जिस मुल्क की सरहद है आंखें’
विशिष्ट वक्ता मेडिकल कॉलेज, कोटा के प्रिंसिपल डॉ. गिरीश वर्मा ने कहा कि नेत्रदान एक पवित्र आंदालन है। ‘उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता, जिस मुल्क की सरहद है आंखें…’। जीवन में हम आंख ले सकते हैं लेकिन दे नहीं सकते, इस सोच को बदलें। हम सरकारी अस्पतालों में नेत्र विभाग के आउटडोर के आगे नेत्रदान के प्रेरक फ्लेक्स लगवाएंगे।
आईबीएसआर की मेडिकल निदेशक डॉ. स्वाति तोमर ने बताया कि आई बैंक ने स्वदेशी जेम्स सॉफ्टवेयर से राज्य के सरकारी अस्पतालों को वाटसअप से जोड़ा है। राज्य में नेत्र बैंक द्वारा कोर्निया निःशुल्क आवंटित किये जाते हैं। राज्य में 1220 कोर्निया संग्रहण कर 876 को प्रत्यारोपित किया। आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के कोटा चेप्टर केे अध्यक्ष डॉ. केके कंजोलिया ने बताया कि 25 से 30 हजार लोग प्रतिवर्ष कोर्निया पीड़ित होते हैं। देश में 249 नेत्र बैंक हैं, अर्थात 50 लाख आबादी पर एक नेत्र बैंक है। देश को 2.7 लाख नेत्रदान की जरूरत है, ऐसे में जनजागरूकता बेहद जरूरी है।
ऐसे निकालते हैं कोर्निया
कोटा डिवीजन नेत्र सोसायटी के अध्यक्ष वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ.सुरेश पांडेय ने एक विडियो प्रजेंटेशन से कोर्निया निकालने व प्रत्यारोपण करने की तकनीक समझाई। उन्होंने बताया कि नई तकनीक लेमिनल केरेटोप्लास्टी से एक कोर्निया के टिश्यू से तीन नेत्रहीनों को रोशनी मिल सकती है। त्रिफाइन से 10 मिनट में कोर्निया निकाला जा सकता है। खानों में कार्यरत श्रमिकों या किसानों में कोर्निया अल्सर के मामले सामने आते हैं, उनमें प्रत्यारोपण के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है। जागरूकता कार्यक्रम में जेनसन बायोटेक कंपनी ने निःशुल्क सेवाएं दी।
कार्यक्रम में आईएसटीडी की चेयरपर्सन अनिता चौहान व प्रो.पीके शर्मा ने संचालन किया। समारोह में एएसपी सिटी राजेश मील, कोटा मेडिकल कॉलेज हॉस्पीटल के अधीक्षक डॉ. देवेंद्र विजयवर्गीय, सीएमएचओ, वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. महेश पंजाबी, प्रोग्राम संयोजक डॉ अमित सिंह राठौड, सचिव वीसी जैन सहित डॉक्टर्स, पुलिस अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी, शिक्षाविद, पुलिसकर्मी सहित जेसीआई, रोटरी क्लब, लायंस क्लब व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद रहे।