Thursday, 25 April, 2024

देेवी-देवता को दिखाने में स्ट्रोक का गोल्डन टाइम निकल जाता है

विश्व स्ट्रोक दिवस: सात दिवसीय अवेयरनेस प्रोग्राम में जायसवाल हॉस्पीटल एंड न्यूरो इंस्टीट्यूट पर हुई वर्कशॉप

न्यूजवेव@ कोटा

मनोचिकित्सक डॉ.जूझर अली ने कहा कि मरीज को लकवा होने पर परिजन देवी-देवताओं के चक्कर में गोल्डन टाइम निकाल देते हैं, जिससे मरीज की जान खतरे में आ जाती है और रोगियों की मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है।

विश्व स्ट्रोक दिवस पर जायसवाल हॉस्पीटल एंड न्यूरो इंस्टीट्यूट में विश्व स्ट्रोक दिवस पर एक दिवसीय वर्कशॉप में उन्होंने कहा कि ब्रेन हैमरेज, फालिज, लकवा जैसी प्राणघातक बीमारियों के पीछे छिपी हुई बीमारियां होती हैं। उन्होंने लोगों को सुझाव दिया कि सही जीवनशैली अपनाएं जिससे स्ट्रोक होने की आशंका न रहे। मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्तचाप आदि से पीडित होने पर निश्चित समय पर जांच करायें और ठंड के दिनों में खानपान एवं रहन सहन में सावधानी बरतें। सावधानी से पक्षाघात से बचा जा सकता है।

वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि हर साल दुनिया में 1.5 करोड़ लोग लकवे के शिकार हो रहे हैं, इनमें से 50 लाख की मौत हो जाती है तथा 50 लाख आजीवन अपाहिज हो जाते हैं। लोग नियमित व्यायाम, मॉनिंग वॉक, इवनिंग वॉक के साथ समय पर संतुलित भोजन और समय से नींद लें तो लकवा से बचाव कर सकते हैं।

न्यूरोसर्जन डॉ. दीपक वधवा ने लकवाग्रस्त मरीजों के ऑपरेशन के बाद मरीज से व्यवहार की जानकारी दी। साइक्लोजिस्ट डॉ. प्रीति जैन ने बताया कि मानसिक स्थिति बिगड़ जाने पर परिजनों के सपोर्ट की आवश्यकता होती है। अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. योगेश गौतम ने अपंगता होने पर निरन्तर उपचार से मरीज ठीक हो जाते हैं।

डाइटीशियन डॉ. मीनाक्षी शर्मा ने कहा कि अनियमित दिनचर्या, प्रदूषित खानपान बीमारियों का कारण बन रहा है। जिसका मुकाबला हम रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाकर कर सकते हैं। वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. डीआर मीणा ने कहा कि मरीज को जल्दी-जल्दी कसरत करनी चाहिए, जिससे मरीज सामान्य होकर ठीक हो सकता है और अपना काम कर सकता है। संचालन हरीश गुरवानी ने किया।

(Visited 188 times, 1 visits today)

Check Also

एक माह की नवजात की सांसें थमी तो ENT डॉक्टर ने बचाई जान

न्यूजवेव @ कोटा  कोटा में महावीर ईएनटी अस्पताल के चिकित्सकों ने एक माह की नवजात …

error: Content is protected !!