शिक्षा महोत्सव : पहली बार कोटा आये ‘महात्मा जानी’ के रूप में लोकप्रिय अभिनेता केसर एन.के.जानी से विशेष बातचीत-
न्यूजवेव @ कोटा
शिक्षा महोत्सव में पहली बार कोटा आये बॉलीवुड अभिनेता केसर एन.के.जानी को देखने व सुनने के लिए बड़ी संख्या में कोचिंग विद्यार्थी उमड़े। ग़ांधी के किरदार के रूप में वे ‘महात्मा जानी’ के रूप में लोकप्रिय है। विद्यार्थियों के बीच उन्होंने अपने रोचक व प्रेरक अनुभव साझा किए। उनसे एक खास बातचीत-
- आप बापू से कैसे प्रभावित हुये ?
– महात्मा गांधी की हत्या के 11 माह बाद 28 दिसम्बर,1948 को भागलपुर में मेरा जन्म हुआ। गांधी हमारे पैतृक घर आये थे। चंपारण से उन्होंने सत्याग्रह शुरू किया। मैंने बचपन से ही उनकी दिनचर्या को अपना लिया।
- जीवन मे क्या बनना चाहते थे?
– बचपन से शिक्षक बनाना चाहता था, उस समय धर्म-जाति में कोई अंतर नही था। 9 साल की उम्र से शास्त्रीय संगीत से जुड़ा। आत्मा थियेटर में बसती थी। लिखने का शोक बचपन से है। सन 1967 में साढ़े 18 वर्ष की उम्र में मैंने मेकेनिकल में बीटेक किया। तब मेरा वजन 35 किलो व लम्बाई 4 फीट 8 इंच थी। सिर से बाल भी उड़ गए।
मैं देश का पहला इडियट हूं, जो 51 वर्ष पूर्व इंजीनियरिंग की डिग्री के बाद सरकारी नौकरी छोड़कर अपनी पसंद के फील्ड में आ गया।
- फिल्मों से जुड़कर कैसा महसूस हुआ ?
– थियेटर मेरी आत्मा है। हिंदी, इंग्लिश व उर्दू में लिखता हूँ।आज 70 वर्ष की उम्र में भी 16 घन्टे कार्य करता हूँ। एक चौथाई समय फ़िल्मों, टीवी सीरियल व थियेटर को देता हूँ। कभी हिम्मत नही हारी। बाल चले गए तो आर्ट फिल्मों में अभिनय किया।
- टूटता समाज कैसे जुड़ सकता है?
– देखिए, बापू ने चुनोतियों को देखा और उनका सामना भी किया। देश टूटा हुआ था, उसे जोड़ा। आज विकृतियों से समाज टूट रहे हैं। हमें बापू को जीना सीखना होगा।
- बच्चे पढ़ाई के तनाव से बाहर कैसे निकलें ?
– बुद्धिमत्ता यानी इंटेलिजेंसी के मामले में भारत दुनिया मे सबसे आगे है। हमारी संस्कृति व संस्कार मजबूत हैं।पहले गुरुकुल में शिक्षक विद्यार्थी को अपने बच्चे के समान मानते थे। आज महंगे स्कूल बच्चों की दिनचर्या को बदल रहे हैं। शिक्षा के साथ सदभावना भी सिखाई जाए।
- कोचिंग विद्यार्थी बापू के जीवन से क्या सीख लें ?
– एक अच्छा इंसान अवश्य बनने की कोशिश करें। जो बातें कोचिंग में सीख रहे हैं, वो जीवन मे हर जगह काम आएगी। इन चार बातों पर ध्यान दें-
पहला, जो भी करें, दिल, दिमाग और आत्मा से करें, फल अच्छा ही मिलेगा। कभी किसी परीक्षा में फेल हो जाएं, तो समझ लें कि आपको इससे बेहतर विकल्प मिलने वाला है। ईश्वर पर भरोसा रखें।
दूसरा, रोज अपने अच्छे लक्ष्य को सामने रखें। कितने कार्य पूरे कर लिए, कितने बाकी रह गए, इस आंकलन से समय प्रबंधन सीख जाएंगे।
तीसरा, निराशावादी होना अधर्म है। हमेशा आशावादी रहें। असफल होने पर उसे स्वीकार कर लें। सचिन तेंदुलकर भी स्कूल ड्रॉपआउट हैं, इसलिए ईश्वर के निर्णय को मानकर दूसरा प्रयास जारी रखें।
चौथा, डिग्री के बाद जॉब न मिले तो किसी भी क्षेत्र में जॉब क्रियेटर बन जाएं। मैंने डिग्री लेकर कभी इंजीनियरिंग का काम नही किया, फिर भी ज्यादा सफल रहा।
युवा अपना माइंडसेट बदलें
मैं आज भी देश मे शिक्षा, स्वच्छता और स्वरोजगार (खादी) के लिए सदभावना मार्च करता हूँ। हमें देश की संस्कृति पर गर्व है। दुनिया मे भारत जैसा कोई देश नही है।
आज के युवा अपना माइंडसेट बदलें और इच्छाशक्ति से कुछ अच्छा करने की ठान ले तो भारत दुनिया मे सबसे आगे दिखाई देगा।