ट्रिब्यूनल सुधार अध्यादेश, 2021 द्वारा अप्रैल में विभिन्न बोर्डो व अपीलीय न्यायाधिकरणों को बंद करने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने आईपी बैंच गठित की
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत में आईपी मामलों की सुनवाई करने के लिए एक बौद्धिक संपदा अधिकार खंडपीठ गठित की है। यह फैसला जस्टिस प्रतिभा एम.सिंह और संजीव नरूला वाली दो सदस्यीय समिति की सिफारिशों के आधार पर लिया गया, जिसका गठन चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने किया था।
मुख्य न्यायाधीश ने समिति की सिफारिशों के आधार पर, आईपीआर संबंधी मामलों के त्वरित निपटने के लिए इस न्यायालय में बौद्धिक सम्पदा डिविजन (IPD) गठित करने के निर्देश दिये हैं। उल्लेखनीय है कि देश में ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (युक्तिकरण और सेवा की शर्तें) अध्यादेश, 2021 ने अप्रैल,2021 से विभिन्न बोर्डों व अपीलीय न्यायाधिकरणों को समाप्त कर दिया है, जो आईपीआर को नियंत्रित करने वाले कानूनों के तहत मौजूद थे। उनकी न्यायिक शक्तियों को देश के 25 उच्च न्यायालयों में स्थानांतरित किया गया है। आईपीडी गठित हो जाने से आईपी के विभिन्न मामले अब हाईकोर्ट में अपील में ही आएंगे।
25 हाईकोर्ट में 60 लाख मामले पेंडिंग
आईपी मोमेंट की लॉ इंटर्न सोनाली सिंह के अनुसार, देश के 25 हाईकोर्ट में 60 लाख मामले लंबित चल रहे हैं। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पृथक आईपीआर खंडपीठ गठित कर देते से त्वरित सुनवाई एवं निस्तारण हो सकेगा। आईपीएबी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, लगभग 3000 केस दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर होने हैं। आईपी खंडपीठ में व्यापार चिन्हों, कॉपीराइट, पेटेंट, रिट याचिकाओं के उल्लंघन से संबंधित सूट, वाणिज्यिक न्यायालयों के समक्ष आईपीआर सूट से उत्पन्न संशोधन याचिकाएं, आईपीआर सूट आदि से संबंधित वाणिज्यिक न्यायालयों के आदेशों या निर्णयों पर अपील आदि शामिल होंगे।
यह खंडपीठ आईपीआर विवादों से संबंधित रिट याचिकाओं (सिविल), सीएमएम, आरएफए, एफएओ से भी निपटेगा। जिनको डिवीजन बैंच द्वारा निपटाया जाना आवश्यक है, उन्हें इससे अलग रखा जायेगा। उच्च न्यायालय आईपीडी के लिए विस्तृत नियम जारी करेगा, जो पेटेंट विवादों के स्थगन की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करेंगे। इसके लिए एक समिति गठित की है। मसौदे को टिप्पणियों के लिए हितकारकों को अधिसूचित किया जा चुका है।
विदेशों में भी अलग हैं आईपी कोर्ट
आईपी मोमेंट के संस्थापक निदेशक डॉ. परेश सी. दवे ने कहा कि ब्रिटेन, जापान, मलेशिया, थाईलैंड, चीन आदि दशों में इस तरह की आईपी कोर्ट पहले से ही काम कर रही हैं। ऐसे में भारत में बढते आईपीआर प्रकरणों को देखते हुये दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा अलग आईपी खंडपीठ का गठन करना वैश्विक न्याय प्रणाली के अनुरूप एवं स्वागतयोग्य है।