मुकुंदराः लोकसभा अध्यक्ष की पहल पर ईको सेंसिटिव जोन के बाहर खनन की राह साफ
न्यूजवेव @ कोटा
मुकुंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व के एक किमी के ईको सेंसीटिव जोन (ESZ) के बाहर खनन की राह साफ हो गई है। नेेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथोरिटी की ESZ समिति ने जोन की सीमा को लेकर चल रहे मामले को बंद करते हुए नोटिफिकेशन जारी करने की सिफारिश कर दी है। इससे करीब 3500 छोटी-बड़ी खदानों में फिर से रौनक लौटेगी और करीब 1 लाख श्रमिकों को रोजगार मुहैया हो सकेगा।
पूर्व विधायक हीरालाल नागर ने बताया कि पूर्व में मुकुंदरा नेशनल टाइगर रिजर्व के ईएसजेड की सीमा तय नहीं होने के कारण 10 किमी क्षेत्र में खनन कार्य बंद कर दिया गया था। इससे कोटा, बूंदी व झालावाड़ के करीब एक लाख से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए।
वहीं दूसरी ओर खनन व्यवसाय से जुड़े सहगामी उद्योग व कार्यों में भी ताले लगने की नौबत आ गई थी। कोटा स्टोन का उत्पादन बंद होने से कोटा में कार्यरत ढाई सौ से अधिक स्पिलिटिंग इकाइयां भी प्रभावित हो रही थीं। इन परिस्थितियों के चलते खान उद्योग से जुड़े व्यापारियों, श्रमिकों, व लघु उद्योग संचालकों के चेहरों पर चिंता की लकीरें खिंच गई थीं। उन्होंने बताया कि श्रमिकों तथा व्यवसायियों ने रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर तथा बूंदी विधायक अशोक डोगरा के नेतृत्व में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था। बिरला ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री तथा अन्य अधिकारियों के सामने वस्तुस्थिति रखी। बिरला के प्रयासों से गत 10 जनवरी को ईको सेंसीटिव जोन की सीमा 10 किमी से घटाकर एक किमी करने का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया।
नागर ने बताया कि इस मामले में राजस्थान सरकार को 2 माह में आपत्तियां प्राप्त कर निस्तारित करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन राजस्थान सरकार इस अवधि में यह सुनवाई नहीं कर पाई। ऐसे में एनटीसीए ने 16 मार्च 2020 को आपत्तियों के निस्तारण के लिए दो और माह का समय दे दिया।
विधायक दिलावर तथा डोगरा ने बताया कि ईएसजेड समिति की 23 व 24 जून को आयोजित बैठक में फिर यह मुद्दा सामने आया। राजस्थान के PCCF अरिंदम तोमर ने समिति को नागरिकों की आपत्ति की सुनवाई के लिए दो और माह का समय देने की मांग की। इस पर समिति ने कहा कि पूर्व में भी राजस्थान सरकार को दो की जगह चार माह का समय दिया जा चुका है। NTCA इस विषय का विस्तृत अध्ययन कर चुका है। ऐसे में ऐसा कोई ठोस आधार नहीं है जिसको देखते हुए और अधिक समय दिया जाएगा। इसके बाद समिति ने ईएसजेड का नोटिफिकेशन जारी करने की सिफारिश कर दी।
दोनों ने कहा कि अब जल्द ही नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा, जिससे लाखों लोग पुनः रोजगार से जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि बिरला ने पूरे मामले पर संवदेनशीलता के साथ नजर बनाए रखी। समय-समय पर वे संबंधित मंत्रालय के मंत्री और अधिकारियों से मामले को लेकर फीड बैक लेते रहे तथा विषय के शीघ्र निस्तारण के प्रयास करते रहे। बिरला की इन्हीं कोशिशों से न सिर्फ कोटा स्टोन उद्योग अपितु इससे जुड़े हजारों व्यापारियों और लाखों श्रमिकों पर छाए खतरे के बादल जल्द छंट जाएंगे।