कोटा स्टोन उद्योग जगत में शोक की लहर, हजारों श्रमिकों ने नम आंखों से विदाई दी
न्यूजवेव @ कोटा
कोटा स्टान के जनक किरीट भाई पारख का 31 मई मंगलवार सुबह बडौदरा मे दिल का दौरा पडने से निधन हो गया। वे 84 वर्ष के थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही राजस्थान के हाडौती अंचल में शोक की लहर छा गई।
दिवंगत किरीट भाई ने लोकप्रिय कोटा स्टोन को उद्योग का दर्जा दिलाते हुये रामगंजमंडी में एएसआई कंपनी की स्थापना की थी, जिससे कई दशकों से लाखों श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने कोटा स्टोन की खुदाई, पॉलिशिंग और एक्सपोर्ट के माध्यम से इस उद्योग को नई उंचाईयां दी। वे सामाजिक सरोकार से जुडे़ कार्यों में भामाशाह एवं दानदाता के रूप मे लोकप्रिय रहे।
कोटा दरबार के तत्कालीन महाराव भीमसिंह ने कोटा स्टोन खदान के लिये उन्हें भूमि आवंटित की थी। किरीट भाई द्वारा एएसआई कंपनी विकसित करने के बाद हाडौती में कोटा स्टोन का खनन एवं पॉलिशिंग करने के लिये सैकडों उद्यमी आगे आये, जिससे कोटा स्टोन को दुनियाभर में नई पहचान मिली। नीले-भूरे रंग के कोटा स्टोन की खासियत यह है कि यह मजबूत, टिकाउ और खूबसूरत होने के साथ ठंडक भी देता है। देश के कई रेलवे स्टेशनों के प्लेटफार्मों पर कोटा स्टोन दिखाई देता है। आज कोटा जिले एवं झालावाड जिले में कोटा स्टोन की खानों से लाखों टन कोटा स्टोन का उत्पादन हो रहा है। इसके टुकडों एवं स्लरी से समूचे क्षे़त्र में अप्राकृतिक पहाड़ खडे़ दिखाई देते हैं।
किरीट भाई के निधन पर कोटा स्टोन एसोसिएशन एवं अन्य संगठनों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित कर उद्योग जगत में उनकी सेवाओं को अतुलनीय बताया।