विराट धर्मसभा: सुनेल में दिव्य संत पं.कमलकिशोर नागर की श्रीमद् भागवत कथा में पांचवे दिन रविवार को 70 हजार से अधिक श्रद्धालु उमडेेेे़।
न्यूजवेव@ सुुुनेल
दिव्य गौसेवक संत पूज्य पं.कमलकिशोरजी नागर ने कहा कि परिवार में भले ही भाईयों में अलग-अलग रोटी बनती हो लेकिन जब भी कोई मेहमान आए तो एक हो जाओ। कोशिश करो कि घर का कोई राग-द्वेष बाहर न जाने पाए। ईश्वर के लिए अपना अंतःकरण शुद्ध कर लो।
सुनेल-पाटन बायपास मार्ग पर 50 बीघा भूमि में चल रही श्रीमद् भागवत कथा का विराट पांडाल रविवार को भक्ति सागर से सराबोर रहा। पूज्य संत पं.नागरजी ने ओजस्वी प्रवचनों में कहा कि नारी घर का असली श्रृंगार है। वह अपने कानों में सुख व दुख रूपी दो झूमकियां पहनती हैं। राजस्थानी लाजवंती अपने मन में गुनगुनाती है- ‘म्हारा घर में टोटो, धणी रो नाम मोटो पर म्हारो समय खोटो।’ लंका में सीता का दुख देख हनुमान भी रो पडे़ थे। वो कष्ट सहती रही लेकिन पतिधर्म पर आंच नहीं आने दी व मर्यादा की लाज नहीं जाने दी।
खचाखच भरे पांडाल में उन्होंने कहा कि जो भी कार्य करो, मुस्कराते हुए करो। ‘नाचू मैं मोरनी सी आज, म्हारे घर मेहमान आया’ भजन सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जिस घर में मेहमान का स्वागत हो, वहां भगवान आते हैं, घर बैकुंठ बन जाता है। गावों में यह परंपरा आज भी है, इसलिए गांव को गांव रहने दो, उसमें संस्कृति की खूशबू महकती है।
उन्होंने सीख दी कि कभी दान-पुण्य, अतिथि सत्कार या अच्छे आयोजन में मुंह मत बिगाड़ो, वरना आपका घर बिगड़ जाएगा। महिलाओं में अच्छे कार्य करने वाली कौशल्या, सुमित्रा अवश्य मिलेंगी लेकिन कैकयी एक भी नहीं मिलेगी।
वंश को बांस की तरह खड़ा करो
संत ‘नागरजी’ ने कहा कि आज परिवार टूट रहे हैं। जरा, बांस के जंगल को देखिए, एक बीमारी़ से खराब हो जाए तो पास वाले बांस उसे गिरने नहीं देते हैं, परिवार की तरह संभाल लेते हैं। लेकिन कुटुम्ब या वंश में अच्छा हो तो सब साथ देते हैं, लेकिन बुजुर्ग का हाथ पकडने वाले बहुत कम होते हैं, फिर बुजुर्ग दीवार के सहारे खडे होते हैं। क्या हम वंश को बांस की तरह खडा कर रहे हैं। दुर्भाग्य से आज घरों में पूजाघर से बडे़ बाथरूम बन रहे हैं। इसलिए वंश भी टूट रहे हैं।
तीन जगह बिना बुलाए जाओ
उन्होंने कहा कि जीवन में तीन जगहों पर बिना बुलाए जाना सीखो। पहला, ईश्वर की कथा में, जहां सुख-शांति की अनुभूति होगी। दूसरा, किसी पर संकट आए तो उसकी मदद करो। तीसरा,गमी के समय अतिम संस्कार में। यही आपका कर्तव्य भी है।
चारों दिशाओं में रक्षा के लिए महादेव
उन्होंने कहा कि भारत देवभूमि होने से देवता भी इसकी रक्षा करते हैं। विदेशों में रक्षा के लिए केवल बम है, लेकिन हमारे पास चारों दिशाओं में बम-बम महादेव देश की रक्षा कर रहे है। पूर्व में भुवनेश्वर महादेव, पश्चिम में सीमा पर समुद्र किनारे नागेश्वर बैठे हैं। उत्तर में केदारनाथ हैं तो दक्षिण में रामेश्वरम हमारी रक्षा के लिए हैं। बम से रक्षा नहीं हिंसा होती है, जबकि बम-बम बोलने से हिंसा नहीं रक्षा होती है।
हल्का मत बोलो,हल्का मत पहनो
पूज्य नागरजी ने कहा कि पश्चिम की हवा चलने पर पानी भी नहीं बरसता है, सूर्य भी अस्त हो जाता है, हमारे बच्चे पश्चिम की नकल से पहनावा बदल रहे हैं। बेटियों को छोटी उम्र से ही तंग व हल्के कपडे़ पहनने से रोको। इससे पूतना के दर्शन होते हंै। कभी हल्का मत बोलो और हल्का मत पहनो। बच्चे जींस पहनकर युवा कथा-सत्संग में नहीं आएं। इसी तरह, माता-पिता बच्चों के मोबाइल को रोज देखें कि बातें किससे होती हैं। ऐसा करने से परिवार टूटने से बचेंगे।
कथा सूत्र-
- साक्षात से बडा होता है साक्षात्कार। कथा में आने से श्रीकृष्ण से साक्षात्कार करने का मौका मिलता है।
- आपके अंदर जीवन जीने की कला की स्वतः प्रकट होती है। कोई पैसे लेकर क्या कला सिखा सकते है।
- पढ लिखकर जहां भी रहो, देश में रहो। विदेशो की दौड़ बंद करो।
- घरों में पार्टियों बंद कर दो, उत्सव मनाना शुरू करो। पार्टी मे नेता आते हैं, उत्सव में देवता आते हैं।
- गौचरण की रज से पाप निष्क्रिय हो जाते हैं। एक-एक गाय की सेवा का संकल्प करो।
- जिस तरह एक कटौरी घी पी नहीं सकते, उसे आटे में मिलाने से हलुआ बन जाता हैं, उसी तरह नर देह में सत्संग मिलाने से मिठास आ जाती है।