Tuesday, 24 December, 2024

प्राकृतिक आपदा है आकाशीय बिजली

वज्रपात : आकाशीय बिजली का औसत तापमान सूर्य के सतही तापमान से पांच गुना अधिक होता है

नवनीत कुमार गुप्ता
न्यूजवेव @ नई दिल्ली
हर साल बारिश के मौसम में सैंकड़ों लोगों की आकस्मिक मौत आकाशीय बिजली गिरने से हो जाती है। 11 जुलाई को राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर आकाशीय बिजली गिरने से 25 लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए।
क्या है आकाशीय बिजली


आकाश में चमकने वाली बिजली को तड़ित या वज्रपात कहते हैं। प्रकृति की सबसे रोमांचक घटना अकाशीय बिजली है। जिसकी चमक और गर्जना रोमांचित कर देती है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि हर साल लगभग 2.5 करोड़ बिजलियाँ धरती पर गिरती हैं। इस प्रकार प्रति सेंकड ऐसी 100 घटनाएं घटित होती हैं।
इनका औसत तापमान सूर्य के सतही तापमान से लगभग पांच गुना अधिक लगभग (27,0000 डिग्री सेल्सियस) होता है। जबकि सूर्य का सतही तापमान लगभग 5505 डिग्री सेल्सियस होता है।
तूफानी बादलों में विद्युत आवेश पैदा होता है जिससे इनकी निचली सतह ऋणावेशित और ऊपरी सतह धनावेशित होती है, जिससे जमीन पर धनावेश पैदा होता है। बादलों और जमीन के बीच लाखों वोल्ट का विद्युत प्रभाव उत्पन्न होता है। धन और ऋण एक-दूसरे को चुम्बक की तरह अपनी-अपनी ओर आकर्षित करते हैं, किन्तु इस क्रिया में वायु बाधा बनती है क्योंकि वायु विद्युत की अच्छी संवाहक नहीं होती है जिससे विद्युत आवेश में रुकावटें आती हैं और बादल की ऋणावेशित निचली सतह को छूने की कोशिश करती धनावेशित तरंगें पेड़ों, पहाड़ियों, इमारती शिखरों, बुर्ज, मीनारों और राह चलते लोगों आदि पर गिरती हैं।
आकाशीय बिजली पर वैज्ञानिक अध्ययन शुरू
भार में एस. के. बनर्जी ने सबसे पहले अरब सागर के निकट अलीबाग (मुंबई) में आकाशीय बिजली संबंधी मापन किया था। उनके अध्ययन से इस बात के संकेत मिले थे कि इस क्षेत्र में होने वाली झंझावात में निचला धनात्मक आवेश काफी व्यापक हो सकता है। पुणे के ऊपर झंझावातों के निचली सतही विद्युत आवेश और मैक्सवेल करंट और बिजली के हालिया अध्ययनों से भी यह बात सामने आयी है कि झंझावातों के आधार पर धनात्मक आवेश का फैलाव काफी व्यापक होता है।
लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क
भारतीय मौसम विभाग का प्रयास है कि कम से कम 24 घंटे पहले आकाशीय बिजली का पूर्वानुमान लगाया जा सके। जनहानि को देखते हुए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा इस समस्या से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र यानी उत्तरकृपूर्वी राज्यों में लाइटनिंग लोकेशन नेटवर्क के विस्तार किए जाने की योजना है। इन क्षेत्रों में साल के 80 से अधिक दिनों में आकाशीय बिजली की घटनाएं घटित होती हैं।
तड़ित चालक
अक्सर आप लोगों ने ईमारतों पर एक धातु की छड़ देखी होगी। असल में यह बिजली से बचाव के लिए लगाए जाने वाला तड़ित चालक होता है। बेंजामिन फ्रैंकलिन द्वारा ही सबसे पहले तड़ित चालक बनाए गए थे। आरंभ में इन्हें फ्रैंकलिन छड़ भी कहा जाता था। तड़ित चालक एक धातु की चालक छड़ होती है जिसे ऊँचे भवनों की आकाशीय विद्युत से रक्षा के लिये लगाया जाता है। तड़ित चालक का उपरी सिरा नुकीला होता है और इसे भवनों के सबसे ऊपरी हिस्से में जड़ दिया जाता है। इन्हें किसी चालक तार आदि से जोड़कर, उस तार को नीचे लाकर धरती में गाड़ (अर्थ) दिया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार उंचे भवनों में आकाशीय बिजली से बचाव के लिए पर्याप्त तैयारी होनी चाहिए। तड़ित चालक ऐसे उपायों में से सबसे सरल और अच्छा तरीका है।

आपदा से बचाव के लिए सावधानियां
1. बिजली कड़कने के वक्त आप पेड़ के नीचे न जाएं और हो सके तो घर में ही रहें।
2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल बंद कर दें।
3. अगर किसी पर बिजली गिर जाए, तो तुरंत डॉक्टर की मदद माँगे। ऐसे लोगों को छूने से आपको कोई नुकसान नहीं पहुँचेगा।
4. अगर किसी पर बिजली गिरी है तो फौरन उनकी नब्ज जाँचे और अगर आप प्राथमिक उपचार देना जानते हैं तो जरूर दें।
5. बिजली गिरने से अकसर दो जगहों पर जलने की आशंका रहती है वो जगह जहाँ से बिजली का झटका शरीर में प्रवेश किया और जिस जगह से उसका निकास हुआ जैसे पैर के तलवे पर।
6. ऐसा भी हो सकता है कि बिजली गिरने से व्यक्ति की हड्डियाँ टूट गई हों या उसे सुनना या दिखाई देना बंद हो गया हो। इसलिए ऐसी बातों की जाँच करना चाहिए।
7. बिजली गिरने के बाद तुरंत बाहर न निकलें। अधिकाशं मौतें तुफान गुजरने के 30 मिनट बाद बिजली गिरने से होती हैं।
8. अगर बादल गरज रहे हों, और आपके रोंगटे खड़े हो रहे हैं तो ये इस बात का संकेत है कि बिजली गिर सकती है। ऐसे में नीचे दुबक कर पैरों के बल बैठ जाएँ, अपने हाथ घुटने पर रख लें और सर दोनों घुटनों के बीच। इस मुद्रा के कारण आपका जमीन से कम से कम संपर्क होगा.
9. छतरी या मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें। धातु के जरिए बिजली आपके शरीर में घुस सकती है।
10. विशेषज्ञों के अनुसार उंचे भवनों में आकाशीय बिजली से बचाव के लिए पर्याप्त तैयारी होनी चाहिए।

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