Saturday, 14 June, 2025

‘हमें आज भी याद है एलन में पढ़ने का वो अंदाज’

एलन कॅरिअर इंस्टीट्यूट की प्रथम एलुमनी मीट ‘समानयन-2024’ में डॉक्टर्स ने कोचिंग में बिताये सुनहरे पलों को संजोया
न्यूजवेव @ कोटा

एलन कॅरिअर इंस्टीट्यूट की एलुमनी मीट-2024 समानयन में देशभर से 600 से अधिक ऐसे वरिष्ठ चिकित्सक परिवार सहित कोटा पहुंचे। वे ऑक्सी पार्क, चम्बल रिवर फ्रंट आदि दर्शनीय स्थलों पर घूमकर एक-दूसरे से रूबरू हुये, अपने बैचमेट से पुरानी यादें ताजा की, साथ में ग्रुप फोटो लिये। एलन में 1990 से अब तक मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में चयनित एलुमनी स्टूडेट्स ने 25 से 30 साल पहले पहले कोटा में बिताये अपने सुनहरे पलों को याद किया। सभी डॉक्टर्स ने एलन के इस प्रयास को अतुलनीय बताया। उन्होंने कहा, अब कोटा बहुत बदल गया है। यहां की इकोनॉमी को एलन ने बहुत ज्यादा सपोर्ट किया है। एलुमनी मेंबर्स एलन के सभी कैम्पस का अवलोकन करते हुये छात्रों से रूबरू हुये।
जवाहर नगर में रविवार को एलुमनी मीट के मुख्य समारोह में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, एलन परिवार की मातुश्री, निदेशक गोविंद माहेश्वरी, राजेश माहेश्वरी, नवीन माहेश्वरी एवं बृजेश माहेश्वरी ने सभी एलुमनी डॉक्टर्स को गोल्ड मैडल व उपरणा पहनाकर उनका अभिनंदन किया। इस अवसर पर मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं।
विद्यार्थी को भी कोच की जरूरत है- ओम बिरला


समारोह में मुख्य अतिथी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि एलन ने 35 वर्षों से देश में शिक्षण-प्रशिक्षण के साथ आध्यात्मिक उर्जा एवं संस्कारों से कोचिंग विद्यार्थियों में व्यक्तित्व निर्माण जैसा प्रेरक कार्य किया है। जो 1990 में पहले बैच से आज तक जो पढकर डॉक्टर बने, वे आज भी मानवीय सेवा में लगे हुये हैं। कोटा में बिताये पल, यहां की यादें अनमोल हैं। हमें गर्व है कि 1990 में छोटा सा एलन संस्थान आज दुनिया का सबसे बडा संस्थान बन गया है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह एक खिलाडी को भी टेªनिंग की जरूरत होती है, उसी तरह एक विद्यार्थी को भी प्रवेश परीक्षा के लिये प्रेक्टिस की जरूरत है, वो प्रेक्टिस कोचिंग ही उपलब्घ कराता है। आज देश में सबसे अच्छा शैक्षणिक माहौल कोटा में है। यहां के हॉस्टल में सभी सुविधायें हैं, हर राज्य के व्यंजन यहां मिल जाते हैं। मेरा कोंिचंग स्टूडेंट्स से यही कहना है कि आप कोटा आकर डरो मत, संघर्ष करो, बाधाओं से लडो। एक दिन जीत आपकी होगी। कोटा में हर चुनौती से लडने की शक्ति मिलती है। अंत में वे सभी एलुमनी परिवारों से मिले।
ऐसा हैल्दी कॉम्पिटीशन ओर कहीं नहीं


डॉ.जीवन कांकरिया, वरिष्ठ सर्जन, एसएमएस हॉस्पिटल, जयपुर
मैने 1995 में एलन में आकर पीएमटी के लिये क्लासरूम कोचिंग ली। तब वल्लभनगर में संस्थान की कक्षायें चलती थी। आज कोटा को नई पहचान दिलाने वाले संस्थान के देशभर में स्टडी सेंटर्स चल रहे हैं। हम जब पढते थे, कोचिंग शिक्षकों ने बहुत मेहनत करके हमे आगे बढाया। एलन में बिताये पल हमारे लिये स्वर्णिम यादें हैं। यहां आकर हर वर्ग के स्टूडेंट्स से मिलना हुआ। कॉम्पिटीशन का जो फ्लेवर कोटा में है, वैसा और कहीं नहीं।
बच्चों में स्ट्रेस कैसे कम हो
हर प्रवेश परीक्षा में प्रेशर तो स्वाभाविक रहता ही है। इसी प्रेशर रहकर में नियमित पढाई के घंटे बढ जाते हैं। कोटा के कोचिंग संस्थान में हर प्रॉब्लम का सॉल्यूशन मिल जाता है। बच्चे स्कूल लेवल तक कोई दबाव नहीं लेते हैं। लेकिन प्रवेश परीक्षाओं का पेपर पैटर्न ही ऐसा है कि उसके लिये अतिरिक्त मेहनत तो करनी होगी।
मेरा सुझाव है कि बच्चों को कोचिंग में अच्छी एजुकेशन के साथ उन्हें गेम्स से भी जोडना होगा। रोज 30 मिनट की किसी एक्टिविटी से उनको इम्यून सिस्टम मजबूत होगा। नियमित कुछ देर इंडोर या आउटडोर गेम्स खेलें। इससे उनका डाइट सिस्टम सही रहेगा। तनावमुक्त होने से ब्रेन रिफ्रेश हो जायेगा।
आहार में क्या सुधार करें
कोचिंग स्टूडेंट्स घर से दूर हॉस्टल या पीजी के कमरों में अकेले रहते हुये संतुलित भोजन लेने में लापरवाही बरतते हैं। मेरे पास बहुत स्टूडेंट्स आते हैं, जिनको पाचन संबंधी शिकायतें रहती है। इसके लिये उन्हें अपनी फूड हेबिट्स बदलनी होगी। ऑनलाइन फास्ट फूड का सेवन कम करें। ताजा फल, जूस, दूध, सलाद व हरी सब्जियों का प्रयोग करें।
सर्जरी में हमारा बीपी बढ़ जाता है
डॉ कांकरिया ने कहा कि लाइफ में प्रेशर तो हर स्तर पर रहता है। हम इसी प्रेशर में कोचिंग लेकर पीएमटी में सफल हुये हैं। आज हॉस्पिटल में जटिल सर्जरी करते समय हमारा ब्लड प्रेशर अचानक बढ जाता है। तो क्या हम सर्जरी छोड सकते हैं। उसे हेंडल करना सीखें। चुनौतियांे से हारें नहीं, उनका सामना करें। कोटा में रहकर आपका सपना जरूर सच होगा।
एलन से अनुशासन सीखा
पत्नी डॉ रश्मि बंसल ने कहा कि 1995 में एलन से कोचिंग लेते हुये हमने सुबह 5 उठना, फिर 5ः30 बजे क्लास में पहले सीट लेना सीखा। वह अनुशासन आज भी काम आता है। मुझे गर्व है कि मेरे पति, भाई, बच्चे सभी एलन से पढे हैं।
राजेश सर ने फिजिक्स फोबिया दूर किया


– डॉ अमिताभ आत्रेय, सुमेरपुर, सिरोही
हम 1990 में एलन कोटा में पीएमटी के पहले बैच के स्टूडेट रहे। मल्टीपरपज स्कूल में हिंदी मीडियम से पढकर हम कोचिंग में इंग्लिश मीडियम वालों के साथ पढते थे। मेरे पास फीस के लिये 1900 रू ही थे। वल्लभबाडी सेंटर पर राजेश माहेश्वरी सर ने हमें फिजिक्स पढाकर फोबिया दूर किया। उन्होंने कहा था फीस कौन पूछ रहा है, पढाई करो। हमने खूब मेहनत करने पर पता चला कि हम कहां स्टेंड कर रहे हैं। मुझे स्टेट रैंक-54 मिली। मेरे बैचमेट डॉ राजकुमार काबरा, बूंदी में शिशु रोग विशेषज्ञ हैं। डॉ. राजेश वृदवानी भी बूंदी मेडिकल कॉलेज में हैं। हम 12 स्टूडेंट सलेक्ट हुये थे। आज एलुमनी मीट में सबसे मिलकर जिंदगी की सबसे बडी खुशी मिली।
एलन टेस्ट सीरीज से बूस्टअप मिला
– डॉ. पंकज अग्रवाल, RPMT-1995 टॉपर
हम धौलपुर से तीन दोस्त कक्षा-12वीं के बाद एलन से कोचिंग लेने कोटा आ गये। यहां हमें पढाई करने वाला पीयर गु्रप मिला। आरपीएमटी पेपर की ‘आंसर की’ एलन में चेक होती थी। बृजेश माहेश्वरी सर ने हमें फिजिक्स में खूब पढाया। मैने पीएमटी के फिजिक्स पेपर में 100 में से 68 क्वेश्न किये। 300 में से 245 मार्क्स लेकर मैं स्टेट टॉपर बना। जिसका पूरा श्रेय एलन शिक्षकों को जाता है। वे हमसे ज्यादा मेहनत करते थे। यहां की टेस्ट सीरिज ने हमें बूस्टअप किया।
कोटा की लाइफलाइन है कोचिंग
डॉ. एस.एन. गौतम, एचओडी, न्यूरो सर्जरी, मेडिकल कॉलेज कोटा
मैं 1995 बैच का स्टूडेंट हूं। सारे बैचमेट कॉलेज के बाद आज मिले हैं। उस समय मैं फिजिक्स में कमजोर था, बृजेश सर ने हमारी कमजोरी को दूर किया। बहुत लगन से पढाते थे। आज एलन जैसे संस्थान ही कोटा की लाइफलाइन है। यहां मार्केट में हर शॉप कोचिंग स्टूडेंट से चल रही है। 15 साल से कोई उद्योग नहीं लगा। कोचिंग की नेगेटिव पब्लिसिटी करना उचित नहीं है। बच्चों पर प्रेशर के अन्य कारण भी होते हैं। पेरेंट्स उनको देखें। एलन ने हजारों डॉक्टर्स देश को दिये हैं। संस्कार युक्त ऐसा शैक्षणिक वातावरण बेमिसाल है।
कई डॉक्टर दम्पत्ती आये


एलन की पहली एलुमनी मीट समानयन में देशभर से कई ऐसे डॉक्टर दम्पत्ती आये, जिन्होंने एक ही बैच में एलन से कोचिंग ली थी। वे यहां से सलेक्ट होकर मेडिकल कॉलेज में भी साथ रहे। मेडिकल कॉलेज, नोएडा में सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. आशीष गोयल एवं उनकी पत्नी डॉ रेणु गोयल जो टीसीएस, नोएडा में है। दोनो ने वर्ष 2000 में एलन से कोचिंग ली है। मेडिकल कॉलेज कोटा में यूरोलॉजिस्ट डॉ. शैलेंद्र गोयल ने वर्ष 1999 में और पत्नी ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. पायल मित्तल ने वर्ष 2000 में एलन से कोचिंग लेकर एमबीबीएस किया। इसी तरह, गातंजली हॉस्पिटल, उदयपुर के प्रो. डॉ आशीष जाखेटिया ने 2002 में और पत्नी ऐसोसिएट प्रोफेसर डॉ. भामिनी ने वर्ष 2003 में एलन से कोचिंग ली। सांगोद में चिकित्सक डॉ मथुरेश गुप्ता ने 1996 में एवं पत्नी डॉ. अंजू गुप्ता ने 1999 बैच से कोचिंग ली।


अरिहंत हॉस्पिटल कोटा के डॉ कपिल जैन 1999 में और पत्नी डॉ. मोनिका जैन 2001 में एलन स्टूडेंट के रूप में चयनित हुये। एलन में वरिष्ठ फैकल्टी डॉ. विपिन योगी एवं पत्नी डॉ. सुनीता योगी दोनो एलन में पढ़कर चिकित्सक बने। डॉ.योगी अब एलन में ही कोचिंग स्टूडेंट को पढा रहे हैं। दो दिव्यांग चिकित्सक भी समारोह में पहंुचे।
ज्ञान शांति हॉस्पिटल, कोटा के एमडी डॉ. राहुल देव अरोडा, प्रिया हॉस्पिटल बारां के अधीक्षक डॉ. अल्ताफ हुसैन चौधरी, वरिष्ठ हेंड सर्जन डॉ गिरीश गुप्ता, डॉ. योगेश, डॉ आर.वी.गुप्ता, डॉ रत्नेश जायसवाल, डॉ. पुनीत अवस्थी, डॉ मनोज गुप्ता, डॉ आशीष शर्मा, डॉ दिनेश गुप्ता, डॉ. ओपी मालवख् सीएमएचओ साजिद खान सहित सभी एलुमनी सदस्यों ने कहा कि एलन परिवार से जुडकर वे आजीवन गर्व महसूस करते रहेंगे।

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