चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) की भूमिका’ पर प्रथम कांफ्रेंस
न्यूजवेव@ कोटा
मेडिकल एजुकेशन यूनिट द्वारा मेडिकल कालेज ऑडिटोरियम में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका“ पर सतत् शिक्षा कार्यक्रम (CME) आयोजित किया गया। मेडिकल कॉलेज कोटा की प्रिंसीपल डॉ. संगीता सक्सेना ने कहा कि जिस तरह रेडियो डाइग्नोसिस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने क्रान्ति सी ला दी है, उसी तरह मेडिकल साइंस के हर विभाग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग से मरीजों को बहुत लाभ पहुँचा सकता है। एआई तकनीक में सीखने एवं नया करने की अपार संभावना है। कॉलेज के सभी संकाय सदस्यों, पी.जी. एवं यू.जी. स्टूडेंट्स को अब आटिर्फिशियल इंटेलिजेंस में रूचि लेनी होगी।
मेडिकल एजुकेशन यूनिट के कॉर्डिनेटर डॉ. मनोज सलूजा ने सीएमई का उद्देश्य बताते हुये संकाय सदस्यों और स्टूडेंट्स को नई लर्निंग से जुडने की सलाह दी। वर्कशॉप में 170 फैकल्टी सदस्यों, 150 रेजिडेन्ट डाक्टर्स एवं 700 मेडिकल स्टूडेंट्स ने भाग लिया। इसमें राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी के संकाय सदस्यों एवं पी.जी. स्टूडेंट्स भी शामिल हुये। राजस्थान में इस विषय पर होने वाली यह प्रथम कांफ्रेंस हैं।
मुख्य वक्ता आईसीएमआर के पूर्व निदेशक एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विभाग के प्रमुख डॉ. विश्ववर्धन ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में हो रहे रिसर्च कार्यों में आटिर्फिशियल इंटेलिजेंस की उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होनें कहा कि चिकित्सा विभाग का डेटा बहुत जटिल होता है, इसके विश्लेषण में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग क्रान्ति ला सकता है।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस बैंंगुलूरू की डॉ.वानती सुन्दरेशन ने कहा कि न्यूरोलोजी के मस्तिष्क रोगों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(AI) की मदद से दशकों पहले पूर्वानुमान एवं भविष्यवाणी की जा सकती है। इस विषय पर उनकी टीम ने कई शोध कार्य किये हैं। विशेषज्ञ डॉ. तवप्रतेश सेठी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग की एल्गोरिदम के बारे में बताया कि एल्गोरिदम का प्रयोग जेनेटिक्स संक्रामक रोगों एवं अन्य रोगों के निदान में किया जा सकता है।