नेशनल सेमिनार: कॅरिअर पॉइंट यूनिवर्सिटी में ‘भारत में किशोर न्याय प्रणाली पर पुनर्विचार, वर्तमान स्थिति व चुनौतियां’ विषय पर हुआ मंथन
न्यूजवेव @ कोटा
राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस मुनिश्वर नाथ भंडारी ने कहा कि बाल अपराध रोकने के लिए बच्चों को पॉजीटिव माहौल दें। अनाथालय या चाइल्ड होम में रहने वाले बच्चों के साथ समय बिताएं, अपना जन्मदिन मनाएं, ताकि वे भी खुशियों के पल महसूस कर सकें और अपराध का रास्ता छोड़ समाज की मुख्यधारा से जुडें। बाल अपराध से जुड़ी खबरों पर तुरंत एक्शन हो और पीडि़त को मदद मिले।
जस्टिस भंडारी शनिवार को कॅरिअर पॉइंट यूनिवर्सिटी कोटा व राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में सीपी टावर सभागार में ‘भारत में किशोर न्याय प्रणाली पर पुर्नविचार, वर्तमान स्थिति एवं चुनौतियां’ विषय पर नेशनल सेमीनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कॅरिअर पॉइंट यूनिवर्सिटी कोटा ने इस सामयिक विषय को उठाकर अच्छी पहल की है।
देश में निर्भया केस ने सभी को झकझौर दिया है। बच्चों को उनके अधिकार मिले और हर स्तर पर उनका विकास हो। चुनौतियां हर काम में आती है। 10 से 11 वर्ष की उम्र के बच्चों का अपराधों में लिप्त होना चिंता का विषय है।
अध्यक्षता कर रहे जिला न्यायाधीश एवं राजस्थान स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के मेम्बर एस.के. जैन ने कहा कि लावारिस बच्चों की देखभाल हमारी जिम्मेदारी है। चाइल्ड लाइन व हेल्पलाइन से बच्चों को कानूनी सुरक्षा मुहैया करवाई जा रही है।
कार्यक्रम में सीपीयू के विधि अनुभाग की एचओडी शैलेष शर्मा ने स्वागत भाषण दिया। कॅरिअर पॉइंट यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रमोद माहेश्वरी ने अतिथियों ने स्मृति चिन्ह प्रदान किए। इस मौके पर अतिथियों ने सीपीयू की सोविनियर बुक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. नीतू नुवाल ने विचार व्यक्त किए। कॅरिअर पॉइंट के अकादमिक निदेशक गुरूदत्त कक्कड़, सहायक प्रोफेसर कुनाल सहित समाजसेवी संस्थाए, अभिभाषक, लॉ स्टूडेंट आदि मौजूद थे।
अपने ही कर रहे रिश्ते तार-तार
राजस्थान यूनिवर्सिटी की रिटा. प्रो.मधु शास्त्री ने कहा कि बेटियां आज घरों में भी सुरक्षित नहीं रही। अपने ही रिश्तों को तार-तार कर रहे है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ स्लोगन मात्र से काम नहीं चलेगा। आज 4 से 6 साल की बच्चियों से दुष्कर्म हो रहे है आखिर ये सब क्या है? हम कौनसे समाज का निर्माण कर रहे है? दोषियों के खिलाफ कानून कड़ाई से काम करें। अगर समय रहते बाल अपराधों पर अंकुश नहीं लगा तो कारवां गुजर जाएगा और हम देखते रहेंगे।
सीपीयू के चांसलर प्रमोद माहेश्वरी ने कहा कि आज समाचारों में बाल अपराध की खबरें आती है तो मन विचलित हो उठता है। चिंता होती है कि समाज किस दिशा में जा रहा हैं। दोषियों के लिए कानून सख्त हो। शिक्षक होने के नाते मुझे लगता है कि कुछ ऐसी पॉलिसी बने जिससे अपराध रूके और पीडि़तों का उत्थान हो।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोटा योगेंद्र कुमार पुरोहित ने कहा कि 16 की उम्र के बच्चे आज रेप व मर्डर जैसे गंभीर अपराध में लिप्त है।ऐसे अपराध करने वाले बच्चों की मनोचिकित्सक से जांच करवाई जाती है ताकि उनकी मानसिकता पता चलें। इसके लिए कोटा में कार्य आरंभ किया गया है।
75 से अधिक शोध पत्र पढ़े
सीपीयू के अकादमिक निदेशक डॉ. गुरूदत्त कक्कड़ ने बताया कि दूसरे सत्र में देशभर से आए 75 से ज्यादा शोध पत्र विधि विशेषज्ञों द्वारा पढ़े गए। शोध पत्रों के माध्यम से धरातल पर हो रहे बाल अपराध के कारण व निवारण विस्तृत तरीके से बताए गए।