Thursday, 12 December, 2024

कोटा की पिच पर तैयार हो रहे देश के किशोर वैज्ञानिक

कॅरिअर मैराथन: आईआईटी, केवीपीवाय, आईजेएसओ, एनटीएसई सहित विभिन्न इंटरनेशनल ओलिंपियाड की तैयारी करने वाले 20 फीसदी से ज्यादा स्कूली छात्र भविष्य में नए क्षेत्रों में रिसर्च करना चाहते हैं। वैज्ञानिक प्रतिभा के साथ देश के लिए पदक जीतने में अव्वल हैं कोटा कोचिंग छात्र।

न्यू इंडिया विजन:
– देश में 33 करोड 30 लाख शिक्षित युवा हैं।
– हमारी 66 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है।
– हमारे पास 25 वर्ष से कम उम्र के 55 करोड़ युवाओं की वर्कफोर्स है।
– विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, आईआईटी, एनआईटी, यूनिवर्सिटीज एवं रिसर्च सेंटर आदि को चलाने के लिए 50 हजार से अधिक क्वालिफाइड साइंस्टिस्ट की जरूरत है।
– ‘इंस्पॉयर’ अवार्ड से साइंस के बच्चों को मिल रही स्कॉलरशिप

अरविंद
कोेटा। पीएम श्री नरेंद्र मोदी के ‘न्यू इंडिया’ की उभरती तस्वीर है शिक्षा नगरी कोटा। सभी राज्यों के स्कूली छात्र यहां केवल अच्छी पढ़ाई का लक्ष्य सामने रखते हैं। शिक्षकों की टीमें साइंस के 1 लाख से ज्यादा विद्यार्थियों को नेशनल स्पर्धा के लिए कोच कर रही हैं। 15 से अधिक प्रवेश परीक्षाओं के लिए कोचिंग की पिच पर ये छात्र रोज फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स व बायोलॉजी के जटिल प्रश्नों को हल करने की प्रेक्टिस करते हैं। इसीलिए कोटा दुनिया में रोजाना गणित के सर्वाधिक सवाल करने वाला शहर बन गया।
पढ़ाई का जुनून ऐसा कि क्लास-6 से ही स्कूली बच्चे यहां कॅरिअर की मैराथन में दौडने लगते हैं। सब्जेक्ट चुनने के लिए वे क्लास-11 का इंतजार नहीं करते। छोटी क्लास से ही नेशनल टेलेंट सर्च एग्जाम (एनटीएसई), किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (केवीपीवाय) सहित विभिन्न विषयों में इंटरनेशनल ओलिंपियाड की तैयारी करना शुरू कर देते हैं।
पिछले 10 वर्षों में मेधावी छात्रों ने 11वीं और 12वी की पढ़ाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलिम्पियाड में देश के लिए दो दर्जन से अधिक गोल्ड, सिल्वर व ब्रांज पदक जीते हैं। भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, आईआईएसई या नासा के वैज्ञानिकों से रूबरू होने के बाद ये छात्र देश के लिए नए क्षेत्रों में रिसर्च करने का जज्बा रखते हैं। केवीपीवाय के जरिए प्रतिवर्ष 1 हजार युवाओं को रिसर्च फैलोशिप दी जा रही है।
इनोवेशन के लिए पैराशूट है ‘इंस्पायर’
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के डीएसटी विभाग नेे रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए इनोवेशन इन साइंस पैराशूट फॉर इंस्पायर रिसर्च ( प्देचपतम) प्रोग्राम लांच किया। इसमें क्लास-6 से 8 तक अलग-अलग ग्रुप में स्कॉलर्स को 5 वर्ष तक 5000 रूपए का अवार्ड दिया जाता है। देश के प्रत्येक सरकारी व प्राइवेट स्कूल से 2-2 छात्रों का साइंस प्रोजेक्ट व मॉडल के आधार पर चयन किया जाता है। उच्च शिक्षा के लिए 17 से 22 वर्ष के चयनित विद्यार्थियों को बीएससी व एमएससी के लिए 80 हजार रूपए हायर एजुकेशन स्कॉलरशिप दी जाती है।
छोटी क्लास से ही लॉजिकल ग्रूमिंग
कोटा में कोचिंग संस्थान क्लास-6 से 10वीं तक साइंस में रूचि रखने वाले स्टूडेंट्स की लॉजिकल स्किल के साथ ग्रूमिंग करते हैं, उनमें साइंस एटीट्यूड व स्किल डेवलपमेंट होता है। वे सीखने की जिज्ञासा हैं, इसलिए हर ओलिम्पियाड में 5-6 राउंड की प्रतिस्पर्धा के बाद दुनिया के 80 देशों के बच्चों से स्पर्धा करके देश के लिए मेडल जीतने में सक्षम हैं।
13 वर्ष की उम्र में छात्र जीवेश नून सहित सुबर्ताे नाथ, अर्पित चौहान, सार्थक गुप्ता, मुदिता गोयल, अखिल जैन व निशांत हाल ही में नेशनल साइंस ओलिम्पियाड के टॉप-10 में चुने गए। क्लास-10 के क्षितिज भारद्वाज एनटीएसई में देशभर में अव्वल रहे। अर्थ साइंस ओलिम्पियाड-2017 में प्रखर गुप्ता ऑल इंडिया टॉपर रहे। क्लास-8 के स्वराज ननदी आईजेएसओ-2017 में एआईआर-14 पर सफल हुए। कोचिंग छात्रों ने जूनियर साइंस ओलिम्पियाड में 6 स्वर्ण व 10 सिल्वर पदक तथा अर्थ साइंस ओलिम्पियाड में 8 रजत व 9 ब्रांज मेडल जीते। नेशनल टेलेंट सर्च परीक्षा में कोटा से 3053 छात्र स्कॉलर बन चुके हैं।
क्लास-8 में ही आईजेएसओ आईजेईओ में गोल्ड मेडल जीतने वाले भव्य चौधरी आईआईटी में फिजिक्स में रिसर्च करेंगे। वहीं गोल्ड मेडल जीत चुके स्कॉलर चार्ल्स राजन फिजिक्स में कुछ नया शोध करेगा। 12 साल की उम्र में आईआईटी-जेईई क्रेेक करके बिहार से गरीब किसान का बेटा सत्यम कुमार आईआईटी कानपुर में रोबोटिक्स पर नई खोज करने में जुटा है। मथुरा के छात्र गौरव वर्मा ने आईईएसओ गोल्ड मेडल जीता। वह वैज्ञानिक के रूप में देश सेवा करना चाहता है। फिजिक्स ओलिंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने वाले रमन शर्मा आईआईटी से बीटेक कर फिजिक्स मंे रिसर्च करेंगे।
अर्थ साइंस ओलिंपियाड (आईईएसओ) एवं केमिस्ट्री ओलिंपियाड (आईसीएचओ) में स्वर्ण पदक जीतने वाले छात्र यश गुप्ता अब आईआईटी छात्र है। वह केवीपीवाय में ऑल इंडिया टॉपर रहा। इससे पहले उसे सिंगापुर शिक्षा मंत्रालय द्वारा 4 वर्षं की ए-स्टार स्कॉलरशिप अवार्ड के लिए चुना गया। उसके साथ लय जैन व पवन गोयल ने भी इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिभा दिखाई। दुुनिया में प्रतिष्ठित सिंगापुर-केंब्रिज ए-स्टार यूथ स्कॉलरशिप अवार्ड में वहां सैकंडरी तक पढने के लिए प्रतिवर्ष 1 लाख 10 हजार रूपए और प्री-यूनिवर्सिटी स्तर पर प्रतिवर्ष करीब 1 लाख 20 हजार रूपए स्कॉलरशिप दी जाती है।

इनोवेशन, रिसर्च व लर्निंग में पावरफुल
आकाश गंगा सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी, बदलपुर (महाराष्ट्र) के डायरेक्टर भरत नागेश अदुर ने कहा कि इंटरनेेशनल एस्ट्रोनामी ओलिंपियाड में भारतीय बच्चों ने दुनिया के सामने अपनी प्रतिभा साबित कर दी। अब हमें एस्ट्रोनॉमी में भारतीय अनुसंधान व उपलब्धियों को नई पीढ़ी के साथ जोड़ना होगा।
एएमटीआई से 25 वर्षों से जुडे प्रख्यात गणितज्ञ एस.आर. संथानम कोटा में बच्चों की मैथेमेटिकल स्किल से प्रभावित हुए। उन्होंने कहा कि देश के यंग माइंड्स में मैथ्स का असाधारण टेलेंट है। आईएमओ में प्रतिवर्ष देश के लिए पदक जीतना बड़ी उपलब्धि है। इंडियन काउंसिल ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, नईदिल्ली के वाइस चेयरमैन प्रो.बीएम शर्मा के मुताबिक, भारत की 40 प्रतिशत आबादी 15 से 35 वर्ष के युवाओं की है। उनमें अपार क्षमताएं हैं। अगले 10 वर्षों में रिसर्च, नॉलेज व लर्निंग के बल पर हम दुनिया में सबसे पावरफुल बन सकते हैं।
जिन्होंने 3 दशक में 20 लाख बच्चों को कोच किया
एमआईटी, हार्वर्ड, स्टेनफोर्ड, बर्कले, शिकागो, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भारत के बच्चे अपने स्किल से पहुंचे रहे हैं। बच्चों में विलक्षण प्रतिभा और डेडिकेशन है। देश में अवसर मिलें तो वे किसी भी चक्रव्यूह को भेद सकते हैं। स्टूडेंट्स की नॉलेज पावर से ही देश का भविष्य तय होगा।
– वीके बंसल, संस्थापक निदेशक, बंसल क्लासेस
युवा वैज्ञानिक देश की जरूरत
इसरो की मिसाइल तकनीक से साइंस के बच्चे प्रभावित हुए। उनमें टेलेंट बहुत है। टेलेंट को देश में ही रिसर्च करने के अवसर देने होंगे। केंद्र सरकार विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों की कमेटी बनाए, जो विकसित देशों की तरह देश में रिसर्च करने वाले स्टूडेंट्स को ग्रूमिंग कर सके।
– आरके वर्मा, संस्थापक निदेशक, रेजोनेंस
दुनिया को दिखाया, नॉलेज में हम आगे
स्कूली छात्रों ने साइंस ओलिंपियाड में दुनिया के 80 देशों के छात्रों से मुकाबला कर ओलिम्पियाड पदक जीते हैं। हमें क्वालिटी इंजीनियर्स, डॉक्टर्स, टेक्नोक्रेेट्स और युवा वैज्ञानिकों की संख्या बढानी होगी। कोचिंग संस्थान बच्चों की रूचि, क्षमता और प्रतिभा से इनोवेशन व रिसर्च के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
– प्रमोद माहेश्वरी, संस्थापक निदेशक, कॅरिअर पॉइंट
ब्रेन गेन पॉलिसी बने
यूएसए में टेलेंट्स को एमआईटी, स्टेनफोर्ड, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए वरीयता देते हैं। इसी तरह केंद्र सरकार रिसर्च में रूचि रखने वाले स्टूडेंट्स को देश के अच्छे संस्थानों में प्रवेश के अवसर दे। यूएसए में वीजा शर्तांे में बदलाव के बाद विद्यार्थियों के लिए देश में ब्रेन गेन पॉलिसी पर काम शुरू हो।
– बृजेश माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरिअर इंस्टीट्यूट
इनोवेशन में अपार संभावनाएं
साइंस व टेक्नोलॉजी में इनोवेशन की अपार संभावनाएं हैं। इंटरनेशनल ओलिम्पियाड, एनटीएसई व केवीपीपाय बच्चों के टेलेंट को सही प्लेटफार्म देते हैं। सैकड़ों स्टूडेंट मेहनत से प्रतिवर्ष अवार्ड, स्कॉलरशिप व फैलोशिप अर्जित कर रहे हैं। जिज्ञासा ही उन्हें साइंटिस्ट बनने के लिए प्रेरित करती है।
– नरेंद्र अवस्थी, निदेशक, वायबें्रट एकेडमी

 

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