Tuesday, 19 March, 2024

स्टूडेंट्स का सिर्फ कंप्यूटर-साइंस में क्रेज खतरे की घंटी

न्यूजवेव@कोटा
हाल में ज्वाइंट एडमिशन काउंसलिंग-जेएसी,नई दिल्ली द्वारा नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलॉजी-एनएसयूटी तथा इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन-आईजीडीटीयूडब्लू जैसे प्रतिष्ठित एवं शीर्ष इंजीनियरिंग एवं तकनीकी संस्थानों की अंडरग्रैजुएट-बीटेक सीटों के आवंटन हेतु स्पॉट-राउंड का आयोजन किया गया। आयोजन से पूर्व इंजीनियरिंग ग्रैजुएट सीटों की वेकेंट-सीट मैट्रिक्स जारी की गई।
नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलॉजी-एनएसयूटी तथा इंदिरा गांधी दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमन-आईजीडीटीयूडब्ल्यू, नई दिल्ली जैसे देश के ख्याति प्राप्त  टेक्नोलॉजी संस्थानों में सिविल तथा मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पचासों-सीटों का सामान्य काउंसलिंग राउंड्स के तहत आवंटित नहीं होना तथा इन्हें आवंटित करने हेतु विशेष स्पॉट-राउंड का आयोजन किया जाना इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है। देव शर्मा ने बताया कि ज्वाइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी-जोसा तथा ज्वाइंट एडमिशन काउंसलिंग-जेएसी, नई दिल्ली द्वारा सीट-आवंटन के पैटर्न का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि जेईई-मेन तथा जेईई-एडवांस्ड,2022 के सफल विद्यार्थियों की रूचि सिर्फ कंप्यूटर-साइंस/मैथमेटिक्स एंड कंप्यूटिंग/डाटा-साइंस में प्रवेश को लेकर है। विद्यार्थियों की इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन, मैकेनिकल तथा सिविल इंजीनियरिंग में प्रवेश को लेकर कोई खास रुचि नहीं है। विद्यार्थियों के इस रुचि/अरुचि के व्यवहार के कारणों को समझना होगा। अन्यथा ‘मेक इन इंडिया’ का स्वप्न साकार होना लगभग असंभव सा प्रतीत होता है।
विद्यार्थी यदि इलेक्ट्रॉनिक्स के अंतर्गत सेमीकंडक्टर्स तथा सेमीकंडक्टिंग डिवाइसेज को नहीं समझेंगे तो देश में इलेक्ट्रॉनिक-चिप के निर्माण हेतु इंजीनियरिंग एवं तकनीकी विशेषज्ञों कैसे उपलब्ध होंगे? विद्यार्थियों की रूचि सिविल एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग में नहीं होगी तो स्टील-स्ट्रक्चर्स, सस्पेंशन-ब्रिजेस तथा हाई-राइज बिल्डिंग्स के निर्माण एवं रखरखाव विशेषज्ञ कहां से प्राप्त होंगे? बेहतर-दक्षता के बॉयलर एवं टरबाइन की तकनीकी हेतु हमें रूस तथा फ्रांस पर ही निर्भर रहना होगा।
भारतीय उद्योग जगत इंजीनियरिंग के गिरते स्तर से पहले से ही परेशान है। ऐसा ही रहा तो भविष्य में स्थिति बद से बदतर ही होगी। माना कि इंजीनियरिंग,तकनीक, बैंकिंग, डाटा-हैंडलिंग एवं आर्टिफिशियल-इंटेलिजेंस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कंप्यूटर-साइंस की अहम भूमिका है किंतु कंप्यूटर-साइंस ही तो सब कुछ नहीं है।
इंजीनियरिंग में मटेरियल एवं मटेरियल-टेस्टिंग का बड़ा महत्व है। इंजीनियरिंग-स्ट्रक्चर्स के फेल्योर ( फेल-होने) के तीन बड़े कारण, त्रुटिपूर्ण-डिजाइन, सब्सटेंडर्ड-मटेरियल तथा इंजीनियरिंग-मानकों के अनुसार रखरखाव नहीं होना है।
वर्तमान समय में रखरखाव कॉस्मेटिक हो चुका है। विशेषज्ञों का अभाव है। नान-इंजीनियरिंग कंपनीज, नान-क्वालिफाइड मेन-पावर का उपयोग कर इंजीनियरिंग स्ट्रक्चर्स का निर्माण एवं रखरखाव कर रही हैं।
इंजीनियरिंग एवं टेक्निकल एजुकेशन से संबंधित सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों को जागरूक होना होगा। समाज में ऐसा माहौल खड़ा करना होगा कि कंप्यूटर/डाटा-साइंस के अतिरिक्त अन्य इंजीनियरिंग फील्ड्स में बड़ी संभावनाएं हैं तभी जाकर स्थिति में सुधार आएगा। भारतीय उद्योग जगत को बेहतर इंजीनियर एवं तकनीकी विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे तथा मेक इन इंडिया का स्वप्न साकार हो सकेगा
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